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ढैंचा बीज में लूटा सरकारी खजाना

प्रेम मुजफ्फरपुर : सरकारी खजाने की राशि कैसे लुटायी जाती है, इसका उदाहरण ढैंचा बीज वितरण में देखने को मिल जायेगा. बिहार राज्य बीज निगम ने घटिया किस्म का ढैंचा बीज सूबे के लाखों किसानों को बांट दिया. सरकारी खजाना खाली कर घटिया बीज आपूर्ति करने वाली कंपनियों का खजाना भर दिया गया. जब तक […]

प्रेम

मुजफ्फरपुर : सरकारी खजाने की राशि कैसे लुटायी जाती है, इसका उदाहरण ढैंचा बीज वितरण में देखने को मिल जायेगा. बिहार राज्य बीज निगम ने घटिया किस्म का ढैंचा बीज सूबे के लाखों किसानों को बांट दिया.

सरकारी खजाना खाली कर घटिया बीज आपूर्ति करने वाली कंपनियों का खजाना भर दिया गया. जब तक जांच में बीज की गुणवत्ता का पता चला, तब तक किसान अपने खेतों में बीज की बोआई कर चुके थे. बीज की गुणवत्ता पर संदेह हुआ तो कई जिले से बीज के 259 सैंपल जांच के लिए कृषि उपनिदेशक (बीज विश्लेषण) को भेजा गया.

मई से अगस्त 2011 के बीच सैंपल जांच के दौरान बीज की गुणवत्ता का राज खुल गया. भोजपुर समेत कई जिले के कृषि अधिकारियों ने बीज की गुणवत्ता पर पहले ही सवाल खड़ा किया था. बिहार राज्य बीज निगम लिमिटेड (बीआरबीएन) के द्वारा सरकारी खजाना लूटाने का खुलासा महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट से हुआ है. यह खुलासा वर्ष 2011-13 के बीच जांच के दौरान हुआ है.

चौंकाने वाली थी सच्‍चाई

फरवरी 2011 में सरकार ने हरी चादर योजना अंतर्गत ढैंचा बीज खरीद किसानों के बीच वितरण कराने का फैसला लिया था. इस पर 72.50 करोड़ रुपये खर्च करना था. सौ फीसदी अनुदान पर बीज देना था. बीज को खरीदने व प्रखंड स्तर पर वितरण का कार्य बीआरबीएन को सरकार ने सौंपा था.

सरकार के निर्देशानुसार सरकारी व प्राइवेट बीज कंपनियों से बीज खरीद कर मार्च के अंत तक किसानों को बीज उपलब्ध कराना था. बीज खरीदने का काम हुआ. लेकिन इसमें सच्‍चाई चौंकाने वाली थी.

महालेखाकार की टीम ने बीआरबीएन के 2011 -13 के सारे रिकॉर्ड खंगाले. पाया गया कि मार्च 2011 में कोटेशन आमंत्रित किया गया था. इसमें सरकारी व को-ऑपरेटिव सोसाइटी की कंपनियों ने कोटेशन डाला था. जबकि गाइड लाइन में प्राइवेट कंपनियों से भी कोटेशन आमंत्रित करना था. तीन कंपनियों ने अपने दर के साथ फरवरी/मार्च 2011 में कोटेशन डाला.

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