मुजफ्फरपुर : कुढ़नी केरमा गांव के संतोष राम और सुशीला अपने छह साल के बेटे साहिल को लेकर बुधवार की दोपहर एसकेएमसीएच पहुंचे. डॉक्टरों ने अपने स्तर से पू्रा एप्रयास किया, लेकिन उसे बचाया न जा सका. साहिल को एसकेएमसीएच तक लाने के लिए कुढ़नी पीएचसी से एंबुलेंस न मिला, तो ऑटो से लाया गया. दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह रही कि उसकी मौत के बाद शव को ले जाने के लिए भी एंबुलेंस की व्यवस्था न हो पायी. पिता को अपने बेटे का शव भाड़े के ऑटो से ले जाना पड़ा. सुशीला ने कहा कि उसका छह साल का बेटा दोपहर 12 बजे के करीब घर के बाहर खेल रहा था. अचानक वह बेहोशहोकर गिर गया. आनन-फानन में
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शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस न िमला तो ऑटो से आना पड़ा
मुजफ्फरपुर : कुढ़नी केरमा गांव के संतोष राम और सुशीला अपने छह साल के बेटे साहिल को लेकर बुधवार की दोपहर एसकेएमसीएच पहुंचे. डॉक्टरों ने अपने स्तर से पू्रा एप्रयास किया, लेकिन उसे बचाया न जा सका. साहिल को एसकेएमसीएच तक लाने के लिए कुढ़नी पीएचसी से एंबुलेंस न मिला, तो ऑटो से लाया गया. […]
उसे लेकर पीएचसी पहुंची. वहां डॉक्टर ने एसकेएमसीएच रेफर कर दिया. पीएचसी से एंबुलेंस नहीं मिलने पर वह ऑटो से गोद में लेकर अपने बच्चे को एसकेएमसीएच के इमरजेंसी पहुंची. वहां डॉक्टरों ने साहिल की सांसें फिर से वापस लाने की हरसंभव कोशिश की, लेकिन उसे बचाया न जा सका. एसकेएमसीएच में डॉक्टर ने सुशीला से कहा कि उसका बच्चा दम तोड़ चुका है, तो उसे काठ मार गया. उसकी आंखों से आंसू तक नहीं निकल रहे थे. इलाज कर रही नर्स ने कहा कि पता नहीं यह बीमारी कितनी माताओं की गोद सुनी करेगी.
एसकेएमसीएच के इमरजेंसी में पड़े साहिल को जब स्ट्रेचर व एंबुलेंस नहीं मिला, तो पिता संतोष राम बेटे के शव को गोद में उठा चल दिये. बाहर निकलने के बाद उसने भाड़े का ऑटो किया और शव को लेकर अपने गांव के लिए निकल गये. उसने कहा कि इमरजेंसी में उसे कहा गया कि एंबुलेंस अभी नहीं है, आने पर दिया जायेगा. तब तक वह इंतजार कर लें.
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