मुजफ्फरपुर: जरूरतमंद लोगों को भले ही मनरेगा में काम न मिले. इंदिरा आवास से मकान बनवाने के लिए साहबों की दरबारी करनी पड़े. लेकिन, बीडीओ साहब के पिता जी ने मनरेगा योजना अंतर्गत ईंट से सोलिंग कार्य किया. मिट्टी भराई का कार्य किया. मनरेगा में काम करने के साथ ही उन्हें इंदिरा आवास योजना का लाभ भी दिया गया. मामला मुशहरी प्रखंड के बड़ा जगन्नाथ पंचायत के चकमोब्बत गांव का है.
यहां औराई प्रखंड के बीडीओ सरोज कुमार बैठा के पिता मुसाफिर बैठा का इंदिरा आवास योजना से मकान बनाया गया. उन्होंने अंगूठा निशान लगा मनरेगा का खुद भुगतान भी प्राप्त किया. इस पंचायत में प्रखंड विकास अधिकारी, विकास मित्र व मुखिया ने इंदिरा आवास का मकान बांटने में भी दरियादिली दिखायी है. विकास मित्र ने कुछ खास व संपन्न लोगों के बीच इंदिरा आवास योजना का लाभ दिया. संपन्न लोगों में चौकीदार बालेश्वर पासवान, पुलिस कर्मी किशुनी राम की पुत्री संजू कुमारी को भी इंदिरा आवास योजना का लाभ दिया गया. जबकि संजू कुमारी इस पंचायत की लड़की है. इसकी शादी कहीं और हो चुकी है. इतने संपन्न लोगों को इंदिरा आवास दिया जाना पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रहा है. अधिकारी पूरे मामले को दबाने में लगे हैं. इसकी शिकायत मुख्यमंत्री तक हो चुकी है. सीएम के आदेश पर डीडीसी को जांच का आदेश मिला, लेकिन अभी तक जांच शुरू नहीं हुई है.
बिना जांच लौटायी राशि
मामला प्रकाश में आने के बाद बिना जांच किये मुशहरी बीडीओ ने आनन- फानन में इंदिरा आवास योजना से बनी मकान की राशि सरेंडर करा ली. कागज भी पक्का करने में सरकारी महकमा लगा है. नौकरी पेशे वाले लोगों के परिवार को मनरेगा में काम देना व इंदिरा आवास योजना का लाभ दिया जाना गलत है या सही इस मुद्दे पर मुशहरी के बीडीओ सुमन कुमार कुछ भी नहीं बोल रहे हैं. आखिर किस परिस्थिति में गरीब को मिलने वाला लाभ बीडीओ के पिता व सरकारी कर्मियों व इनके संतानों को मिला यह बड़ा सवाल है.
यहां भी हो जांच
बड़ा जगन्नाथ निवासी राम सागर राय ने सीएम से मुशहरी के झपहां, सहबाजपुर, शेखपुर, अब्दुल नगर उर्फ माधोपुर, जमालाबाद, भिखनपुर पंचायतों में बांटी गई इंदिरा आवास योजना में लूट खसोट है. नौकरी पेशा व संपन्न लोगों के साथ साथ एक व्यक्ति के नाम दो बार इंदिरा आवास दी गई है. कई बैंकों से राशि का भुगतान हुआ है.