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छह लाख में लगा मिनी पंप नहीं दे रहा पानी, कागज पर बिछी पाइपलाइन

मुजफ्फरपुर : मुख्यमंत्री से उप महापौर की शिकायत के बाद नगर निगम में उजागर हुए करोड़ों रुपये के कथित मिनी पंप (सबमर्सिबल) व पाइपलाइन घोटाला की जांच फिर तेज हो गयी है. मंगलवार को पटना से नगर विकास एवं आवास विभाग के संयुक्त सचिव विनोदानंद झा के नेतृत्व में इंजीनियर व पदाधिकारी की तीन सदस्यीय […]

मुजफ्फरपुर : मुख्यमंत्री से उप महापौर की शिकायत के बाद नगर निगम में उजागर हुए करोड़ों रुपये के कथित मिनी पंप (सबमर्सिबल) व पाइपलाइन घोटाला की जांच फिर तेज हो गयी है. मंगलवार को पटना से नगर विकास एवं आवास विभाग के संयुक्त सचिव विनोदानंद झा के नेतृत्व में इंजीनियर व पदाधिकारी की तीन सदस्यीय जांच टीम शहर पहुंची.
चिलचिलाती धूप व गर्मी के बीच जांच टीम ने दिनभर शहर के वार्ड नंबर 18, 38, 41, 42 समेत अन्य वार्डों में घूम कर लगाये गये मिनी पंप व पाइपलाइन को देखा. इस दौरान कई पंप खराब मिले. कई जगहों पर तो कागज पर ही पाइपलाइन बिछाये जाने की जानकारी मिली. ऑन-स्पॉट एस्टिमेट के अनुरूप काम नहीं दिखा. वार्ड नंबर 38 में नगर आयुक्त संजय दूबे की मौजूदगी में टीम में शामिल पदाधिकारी ने एक मिनी पंप को चालू करा देखा. पानी निकल रहा था, लेकिन वहां पाइपलाइन नहीं बिछायी गयी थी.
इसके बाद शाम में टीम ने निगम पहुंच कई घंटे तक तत्कालीन नगर आयुक्त रमेश प्रसाद रंजन के कार्यकाल में हुए मिनी पंप व पाइपलाइन के काम का एस्टिमेट व भुगतान से संबंधित पूरी जानकारी मांगी. संचिका का फोटो कॉपी कर टीम अपने साथ ले गयी. सूत्रों के मुताबिक मामले में तत्कालीन नगर आयुक्त के अलावा इंजीनियर व कर्मियों का फंसना तय माना जा रहा है.
ये सभी काम विभागीय हैं.एक-एक इंजीनियर को एक-एक दिन में 50-50 लाख रुपये से अधिक का भुगतान किया गया है. जबकि, संविदा पर बहाल इंजीनियर से विभागीय काम कराने पर रोक है.

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