27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सिनॉप्सिस जमा करके महीनों से विभाग का चक्कर लगा रहे शोधार्थी

मुजफ्फरपुर : बीआरए बिहार विश्वविद्यालय से शोध करना मुश्किल होता जा रहा है. विवि ने 2013 में पीआरटी कराया था, जिसमें सफल अभ्यर्थियों का कोर्स वर्क फरवरी 2016 में पूरा हो गया. सभी ने संबंधित विभागों में सिनॉप्सिस भी जमा कर दिया है, लेकिन दो साल में भी उनका शोध शुरू नहीं हो सका है. […]

मुजफ्फरपुर : बीआरए बिहार विश्वविद्यालय से शोध करना मुश्किल होता जा रहा है. विवि ने 2013 में पीआरटी कराया था, जिसमें सफल अभ्यर्थियों का कोर्स वर्क फरवरी 2016 में पूरा हो गया. सभी ने संबंधित विभागों में सिनॉप्सिस भी जमा कर दिया है, लेकिन दो साल में भी उनका शोध शुरू नहीं हो सका है. परेशान शोधार्थी विभागों का चक्कर लगाकर थक चुके हैं. बीच में काफी दिनों तक पीएचडी में रेगुलेशन को लेकर भी मामला उलझा हुआ था. हालांकि उसका समाधान हो चुका है.

विवि के अधिकारियों का कहना है कि पीजीआरसी की बैठक में सिनॉप्सिस रखा जायेगा, जहां से स्वीकृति मिलने पर ही शोध कार्य शुरू हो सकेंगे. वहीं, 2013 के बाद विश्वविद्यालय ने पीआरटी भी नहीं कराया, जिससे शोध के इच्छुक छात्रों का इंतजार बढ़ता जा रहा है. इसको लेकर छात्रों ने कई दिनों तक धरना-प्रदर्शन भी किया. कुलपति ने छात्रसंघ चुनाव के बाद पीआरटी कराने का आश्वासन दिया है.

2016 में हुआ था कोर्स वर्क
रेगुलेशन के चक्कर में भी उलझा रहा पीएचडी का मामला
दबाव में पूरा कराया जा सका कोर्स वर्क
विवि ने अभ्यर्थियों के दबाव में आकर कोर्स वर्क पूरा कराया. दरअसल, 2013 में पीआरटी कराया गया था. इसका रिजल्ट, 2014 में निकल गया, लेकिन किसी ने गंभीरता नहीं दिखायी. इस बीच अभ्यर्थियों ने दबाव बनाना शुरू किया. तत्कालीन प्रॉक्टर डॉ सतीश राय की पहल पर सितंबर, 2015 में कोर्स वर्क शुरू हुआ और फरवरी, 2016 में खत्म हो गया. इसके तत्काल बाद ही पीजीआरसी कराने का प्रयास किया जा रहा था, लेकिन तत्कालीन कुलपति का पॉवर सीज होने के कारण नोटिफिकेशन नहीं हो सका.
नये सिरे से गठित होगी पीजीआरसी
इस साल जनवरी में विवि ने नये सिरे से पीजीआरसी (पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च काउंसिल) गठन की पहल की, क्योंकि पुरानी कमेटी के अधिकतर सदस्य रिटायर हो चुके हैं. विवि की ओर से सभी पीजी विभागों को पत्र भेजकर वरीय शिक्षकों की सूची मांगी गयी है. कमेटी तैयार करके एकेडमिक काउंसिल की बैठक में प्रस्ताव रखा जायेगा. प्रस्ताव पास होने के बाद विवि की ओर से नोटिफिकेशन किया जायेगा.
नेट-जेआरएफ पास शोधार्थी भी परेशान
विवि ने दो साल पहले नेट व जेआरएफ में सफल शोधार्थियों का आवेदन लिया था. हालांकि इसमें नेपाल व असम के तीन सौ से अधिक अभ्यर्थियों के शोध पर विवि ने रोक लगा दी. उनके सर्टिफिकेट की जांच करायी गयी.
दो साल पहले नेट
दरअसल, पीएचडी के लिये विवि स्तर पर पीआरटी कराया जाता है. इसमें सफल अभ्यर्थी उसी विश्वविद्यालय में शोध कर सकते हैं. वहीं नेट, जेआरएफ व एमफिल करने के बाद किसी भी विश्वविद्यालय से पीएचडी किया जा सकता है.
2012 में लागू हुआ 2009 का रेगुलेशन
पीएचडी के लिए यूजीसी ने 2009 में रेगुलेशन तैयार किया, जो बीआरएबीयू में 2012 में लागू किया जा सका. इसमें कहा गया है कि प्रोफेसर के अंडर में आठ व एसोसिएशन प्रोफेसर के अंडर में छह कैंडीडेट शोध कार्य कर सकते हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें