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अब भोजन में नहीं रहे 30 साल पहले जैसे पोषक तत्व

चेतावनी l खाद्यान्न, सब्जियां व फलों में लगातार कम हो रहा न्यूट्रीशन देश के विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के खाद्यान्न पर किया गया था रिसर्च मुजफ्फरपुर : अब भोजन में 30 साल पहले जैसी ताकत नहीं रही. अनाज, दाल, फल व सब्जियों में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट व आयरन की मात्रा लगातार कम हो रही है. हाल ही […]

चेतावनी l खाद्यान्न, सब्जियां व फलों में लगातार कम हो रहा न्यूट्रीशन

देश के विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के खाद्यान्न पर किया गया था रिसर्च
मुजफ्फरपुर : अब भोजन में 30 साल पहले जैसी ताकत नहीं रही. अनाज, दाल, फल व सब्जियों में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट व आयरन की मात्रा लगातार कम हो रही है. हाल ही में नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ न्यूट्रीशन की ओर से जारी रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 30 सालों में मिट्टी के पोषक तत्व कम हुए हैं. इसका असर हमारे खाद्यान्न पर पड़ा है. इंस्टीच्यूट ने देशभर से शोध के लिए 528 खाद्य सामग्री में 151 पोषक तत्वों का विश्लेषण किया था. इसके लिए देश के छह अलग-अलग भौगौलिक क्षेत्रों से नमूने लिये गये थे.
इन खाद्य पदार्थों की तुलना 1989 के खाद्यपदार्थों में पाये जाने वाले न्यूट्रीशन से की गयी थी.
रिपेार्ट में यह बात सामने आयी कि खाद्यान्न, फल व सब्जियों में लगातार पोषक तत्वों की कमी आ रही है. देश के विभिन्न क्षेत्रों के खाद्यान्नों में न्यूट्रीशन लेबल में कमी के कारण बीमारियां बढ़ी है.
बच्चे हो रहे अधिक कुपोषित
खाद्यान्न में न्यूट्रीशन की कमी से बच्चे अधिक कुपोषित हो रहे हैं. जिले में एइएस बीमारी की मुख्य वजह भी विशेषज्ञों ने कुपोषण माना है. जो बच्चे पहले से कुपोषण का शिकार रहते हैं, उन्हें बीमारी होने की संभावना अधिक होती है. जिनकी प्रतिरोधक क्षमता ठीक होती है, उन्हें बीमारी नहीं होती. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ राजीव कुमार कहते हैं कि न्यूट्रीशन बच्चों के लिए बहुत जरूरी है. बच्चों को खानपान में पर्याप्त न्यूट्रीशन नहीं मिले तो वे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं. ऐेसे में बीमारियों का शिकार होने की संभावना अधिक होती है.
नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ न्यूट्रीशन की ओर से जारी रिपोर्ट में हुआ खुलासा
खाद्य पदार्थों में कम हुआ न्यूट्रीशन
मसूर दाल में 10 फीसदी प्रोटीन हुआ कम
मूंग दाल में 6.12 फीसदी आयरन घटा
बाजरा में 8.5 फीसदी कार्बोहाइड्रेट कम हुआ
सेब से 60 फीसदी आयरन घट गया है.
गेहूं में 9 फीसदी कार्बोहाइड्रेट कम हुआ है
बदलाव का भुगत रहे परिणाम
विशेषज्ञों का मानना है कि कृषि पद्धति में आये बदलाव व जैविक की जगह केमिकल युक्त खेती से यह परिवर्तन आया है. फसलों को 16 से 17 पोषक तत्वों की जरूरत होती है. 1965 से पहले कृषि गौ आधारित थी. गोबर व गोमूत्र की जैविक खाद इस तरह के तत्वों की भरपाई कर देती थी. गोमूत्र में अकेले 35 प्रकार के तत्व पाये जाते हैं. लेकिन जब से हरितक्रांति आयी है, केमिकल का उपयोग बढ़ा. किसान अशोक कुमार कहते हैं कि केमिकल युक्त खेती के कारण मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी हो रही है. मिट्टी में जिंक, बोरान, आयरन, मैगनीशियम व कॉपर की मात्रा कम हो गयी है.

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