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पता नहीं, समझ नहीं पा रहा पर तब ऊंचा था जल स्तर

मुजफ्फरपुर: बूढ़ी गंडक नदी के बारे में एक बात काफी चर्चित है. यह बढ़ती भी धीरे है व घटती भी. यही कारण है कि इसे ‘कोढ़िया’ नदी भी कहा जाता है. पर, रजवाड़ा बांध टूटने के बाद जो इसने रफ्तार पकड़ी है कि अच्छे-अच्छे के होश उड़ गये हैं. उन्हें समझ नहीं आ रहा है […]

मुजफ्फरपुर: बूढ़ी गंडक नदी के बारे में एक बात काफी चर्चित है. यह बढ़ती भी धीरे है व घटती भी. यही कारण है कि इसे ‘कोढ़िया’ नदी भी कहा जाता है. पर, रजवाड़ा बांध टूटने के बाद जो इसने रफ्तार पकड़ी है कि अच्छे-अच्छे के होश उड़ गये हैं. उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि आखिर वर्ष 2004 व 2007 से जलस्तर नीचे रहने के बावजूद यह तबाही क्यों मचा रही है? वो भी एकतरफा, दोतरफा नहीं, चौतरफा.
नरौली हाट के समीप एक भूजा की दुकान पर कुछ लोग जमे थे. बाढ़ पर ही चर्चा हो रही थी. करीब 65 वर्षीय राजदेव राय बोले 1975 में बाढ़ इससे भी भयावह था. लेकिन, तब पानी तेजी से दरधा की ओर बह निकला. पता नहीं इस बार क्यों दोनों तरफ (शहर की ओर भी) तबाही मचा रही है. पास में बैठा एक युवक बोला, चाचा कोई बड़ा भौगोलिक बदलाव कारण तो नहीं? जवाब मिला, अरे नहीं. कहां कुछ बदला है!
हां, अब जो पक्की सड़क है, उस समय कच्ची सड़क थी. और कुछ बदला है, मुझे याद नहीं. भूल गये होंगे, युवक बोला. बुजुर्ग ने जवाब दिया 1987 की बाढ़ भी अच्छी तरह याद है. नदी के चरित्र को लेकर कमोबेश बुजुर्ग जैसी ही स्थिति रजवाड़ा बांध पर मरम्मत का कार्य करवा रहे इंजीनियर नलिन रंजन प्रसाद की भी थी.
उनसे जब पूछा गया कि क्या नदी का जलस्तर गिरेगा! जवाब मिला, पता नहीं! जलस्तर के बारे में यहां तो कुछ नहीं बता सकता, पर जो सूचना मिल रही है कि कल से ऊंचे एरिया में जलस्तर गिर रहा है या स्थिर है. ऐसे में यहां भी जलस्तर गिरना चाहिए. पर, पता नहीं क्यों जलस्तर बढ़ ही रहा है! शायद शाम के बाद गिरना शुरू हो. मुशहरी माई स्थान के समीप मुशहरी गांव निवासी सुकदेव महतो से मुलाकात हुई. वे ध्वस्त हो चुके पुलिया को देखने आये थे.
बताया कि 1975 में शहर व दरधा, दोनों तरफ दबाव बढ़ा था. तब मुशहरी में तीन जगह यह सड़क (रोहुआ-मुशहरी पथ) टूट गयी थी. तीनों जगह पानी की ऐसी ही धार थी. तब पुलिस लाइन के समीप तक पानी पहुंचा. जवानों के प्रयास से वहां उसे रोक लिया गया. पर, उन्होंने भी स्वीकारा कि तब नदी का जलस्तर आज से काफी ज्यादा था.

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