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31 किमी में फैला बागमती का पानी, 10 लाख लोग प्रभावित
मुजफ्फरपुर : मुजफ्फरपुर व सीतामढ़ी के बॉडर पर स्थित गांवों की स्थिति भयावह होती जा रही है. भादाडीह में बांध टूटने के बाद बागमती का पानी धीरे-धीरे 31 किमी तक फैल चुका है. रुन्नीसैदपुर के 14 व औराई प्रखंड के 20 पंचायत के दस लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हो चुके है. हालांकि […]
मुजफ्फरपुर : मुजफ्फरपुर व सीतामढ़ी के बॉडर पर स्थित गांवों की स्थिति भयावह होती जा रही है. भादाडीह में बांध टूटने के बाद बागमती का पानी धीरे-धीरे 31 किमी तक फैल चुका है. रुन्नीसैदपुर के 14 व औराई प्रखंड के 20 पंचायत के दस लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हो चुके है. हालांकि दो दिनों में कई गांवों में बाढ़ का पानी घटा है, लेकिन अब दुर्गंध से महामारी फैलने की आशंका बढ़ गयी है. औराई जाने वाली सड़क पर राजखंड के पास सड़क पर डेढ़ फीट से ऊपर पानी बह रहा है. वही सबसे ज्यादा खराब स्थिति बेलसंड पथ की है. रुन्नीसैदपुर से अथरी के बीच आठ जगहों पर बागमती का तेज बहाव है.
रामपुर गांव के पहले प्रशासन की ओर से राहत नहीं मिलने से नाराज मो कयूम, मो इब्राहिम व सीनत मांझी ने बांस-बल्ला लगा कर सड़क जाम कर दिया था. उनका कहना था कि तीन दिन बाद भी उनकी खोजखबर लेने कोई नहीं आया है. वहां से आगे बढ़ने पर कई लोग स्कूल की छत पर शरण लिये हुए है. यहीं नहीं, गांव में ही एक डीह पर पचास से अधिक लोग रुके है. उनके लिए राहत सामग्री ग्रामीण पांच फीट पानी होकर पहुंचाते है. गांव के लोगों का कहना था कि अब तक प्रशासन की ओर से नाव भी उपलब्ध नहीं कराया गया है.
ननद के गांव में आयी बाढ़ तो अनाज लेकर पहुंची भौजाई : टॉल प्लाजा के पास सड़क किनारे दौ सौ से अधिक लोगोंं ने शरण ले रखी है. वसतपुर की रहने वाली सुनीता के घर में बाढ़ का पानी घुस गया. वह सपरिवार पुल किनारे शरण ले ली. गांव में बाढ़ की सूचना मिलने पर उसके मायके वाले बैचेन हो गये. अहियापुर के माेहद्दीपुर में उसका मायका है. बुधवार को उसकी भौजी सुनीता व भतीजा राशन का सारा सामान लेकर पहुंच गये. आटा, चावल, दाल, आलू के साथ गैस सिलेंडर भी उसका भतीजा लेकर आया था.
छत पर ली शरण, खाने को मोहताज हुआ अवधेश
अवधेश साह बाढ़ के कहर से खाने को मोहताज हो चुका है. वह औराई के धरहरवा गांव का रहने वाला है. उसका परिवार गांव मेें अन्नु प्रसाद के छत पर शरण ले रखा है. वह रोज मुजफ्फरपुर जाकर बालुशाही बेच कर अपने परिवार का भरण पोषण करता था. लेकिन दो दिनों से बाढ़ के पानी के कारण उसके सामने खाने का संकट उत्पन्न हो चुका है. वह बैजू मंडल की दुकान से रोज मिठाई लेकर बेचता था. बुधवार को वह टॉल प्लाजा के पास पहुंच कर बैजू से मिठाई देने का आग्रह किया, लेकिन दूध की आवक नहीं होने से उनके दुकान में बालुशाही बनना बंद हो चुका है. अवधेश बताता है कि गांव में उसकी पत्नी मंजू देवी, बेटा अजीत, अमित व दो बेटियां है. उसे किसी प्रकार की मदद नहीं मिल रही है. दो दिनों बाद बुधवार को जनप्रतिनिधि व प्रशासन के लोग एनडीआरएफ की टीम के साथ गांव गये है. केवल कहां जा रहा है कि उनलोगों को खिचड़ी मिलेगी.
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