मुजफ्फरपुर : स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने व आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल पर भी जोर दिया जा रहा है. लेकिन सदर अस्पताल में लगा ‘इंटेलीजेंट क्यू मैनेजमेंट सिस्टम’ खुद ही कुप्रबंधन का शिकार हो गया है. मरीजों की सुविधा के लिए ऑटोमेटिक मशीन लगायी गयी है. ओपीडी भवन के हॉल में दीवार पर बड़ा स्क्रीन लगा है, जबकि सभी कमरों के बाहर भी स्क्रीन लगाया गया है.
दो साल पहले अस्पताल में सिस्टम लगा, तो उम्मीद थी कि मरीजों को राहत मिलेगी. स्क्रीन पर परची नंबर लिखा होता, जिसके आधार पर मरीज अपना नंबर आते ही अंदर चले जाते. इसमें किसी तरह की गड़बड़ी की शिकायत भी नहीं रहती. हालांकि दो साल में कभी स्क्रीन की लाइट भी नहीं जली. सभी स्क्रीन पर धूल की मोटी परत जमी है. अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही का आलम यह है कि लाखों खर्च के बावजूद आज भी ओपीडी चेंबर के बाहर मैनुअल काम होता है. अक्सर ओपीडी के बाहर मरीजों के बीच नोकझोंक होती है. जब मरीजों की भीड़ होती है, तो कुछ लोग किनारे बैठकर अपनी बारी का इंतजार करने लगते हैं. इसी बीच धक्का-मुक्की करके कई मरीज अपना नंबर लगा लेते हैं. कर्मचारियों पर भेदभाव का आरोप भी लगता है. कई बार स्थिति बिगड़ने पर सुरक्षाकर्मियों को भी हस्तक्षेप करना पड़ा है.
मशीन के बारे में भी नहीं जानते अधिकारी :सदर अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारी व्यवस्था सुधारने को लेकर कितने गंभीर है, इसका उदाहरण इंटेलीलेंट क्यू मैनेजमेंट सिस्टम भी है. दो साल से सिस्टम बेकार है. आज तक किसी ने सुधि नहीं ली, जबकि दावे लगातार बेहतर सुविधाओं के होते हैं. हैरानी की बात यह है कि जिम्मेदार लोगों को यह पता ही नहीं कि किस वजह से आज तक उसे चालू नहीं किया जा सका. यह भी नहीं पता कि कभी चालू हुआ भी है या नहीं.
सदर अस्पताल में आधुनिक स्वास्थ्य सेवा पर ग्रहण
आइक्यूएमएस लगा है. लेकिन पिछले डेढ़-दो साल में जब से हम यहां है, कभी मशीन नहीं चली. कब और किस स्तर से सिस्टम लगाया गया था, इसके बारे में भी कोई जानकारी नहीं है. अब इसको देखकर दुरुस्त कराने का प्रयास करेंगे, जिससे मरीजों को सुविधा मिल सके.
प्रवीण कुमार, प्रबंधक- सदर अस्पताल
सिस्टम के बारे में अभी पूरी जानकारी नहीं है. इसके बारे में पता कर रहे हैं. वैसे मरीजों को काउंटर पर ही परची कटाते समय बता दिया जाता है कि किस कमरे में उन्हें दिखाना है. परची पर डॉक्टर का नाम व कमरा नंबर भी लिखा जाता है, ताकि उन्हें किसी तरह की दिक्कत न हो.
डॉ एनके चौधरी, उपाधीक्षक