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कारोबारियों की मुसीबत बन गये सिक्के

मीनापुर : कुछ महीने पूर्व तक लोग हाथ मे नोट लिये रेजगारी के लिए भटकते थे. लेकिन अब यही रेजगारी मुसीबत बन गयी है. कुछ दिनो से सिक्के की खनक ने छोटे व मध्यम व्यवसायियों का सिरदर्द बढ़ा दिया है. बड़े व्यवसायी सिक्का लेने से इंकार कर रहे है. बैंक ने भी हाथ खड़ा कर […]

मीनापुर : कुछ महीने पूर्व तक लोग हाथ मे नोट लिये रेजगारी के लिए भटकते थे. लेकिन अब यही रेजगारी मुसीबत बन गयी है. कुछ दिनो से सिक्के की खनक ने छोटे व मध्यम व्यवसायियों का सिरदर्द बढ़ा दिया है. बड़े व्यवसायी सिक्का लेने से इंकार कर रहे है. बैंक ने भी हाथ खड़ा कर दिया है. अब तो ग्राहक भी सिक्के लेने से इंकार कर रहे है.गुप्ता किराना व जेनरल स्टोर के प्रोपराइटर मिथिलेश गुप्ता बताते हैं कि ग्राहक थोक समान लेने पर भी सिक्का थमाते हैं.खुदरा समान लेने वाले भी सिक्का लेकर आते है. पैसा नहीं लेने पर वह झगड़ा पर उतारू हो जाते है. हमारी समस्या है कि आखिर इतने सिक्के को लेकर करेंगे क्या.

जबकि शहर के थोक कारोबारी सिक्के नहीं ले रहे. ग्राहक बड़े नोट लेकर आते हैं. वापसी में सिक्का लेने में नाक-भौं सिकोड़ते हैं. प्रियदर्शी मोबाइल सेंटर के प्रोपराइटर रजनीशकांत प्रियदर्शी ने बताया कि मोबाइल रिचार्ज कराने भी लोग सिक्का लेकर ही आते है. शृंगार र दुकान चलाने वाले देवेंद्र कुमार कहते है कि महिलाएं घर से सिक्कों की पोटली लेकर चलती हैं. मुस्तफागंज, खेमाइपट्टी, नेउरा, तुरकी, बनघारा, सिवाइपट्टी आदि इलाकों में भी व्यवसायी सिक्के की वजह से परेशान हैं. वे अब ठेकेदारों से संपर्क कर रहे हैं. ईट भट्ठा मजदूर, राजमिस्त्री व खेतिहर मजदूरों को सिक्का थमाने के लिए इन्हें अग्रिम थमाया जाता है. नोटबंदी के दौरान लोगों को रेजगारी थमाने वाले बैंक सिक्का लेने से साफ इंकार कर रहे है. फल, किराना, जेनरल स्टोर, होटल, चाय दुकानदार व अन्य छोटे-छोटे कारोबारियों के पास सिक्कों की भरमार है.

कभी छुट्टे के लिए होती थी मारामारी अब यही है परेशानी
बाजार में सिक्कों की बाढ़ से कारोबारी परेशान
ग्राहक, बैंक और बड़े व्यवसायी नही ले रहे सिक्के
नोट के छुट्टे में भी िसक्के नहीं ले रहे लोग
मजदूरों को देने के लिए ठेकेदारों को सिक्का देकर लिये जा रहे नोट
सबसे ज्यादा परेशानी में हैं छोटे व्यवसायी
30 वर्षों में एक बार भी नहीं हुई सड़क की मरम्मत

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