मुजफ्फरपुर : जीएसटी के निबंधन के नाम पर कारोबारियों से तीन से चार हजार वसूले जा रहे हैं. एक्सपर्ट अपने हिसाब से इसकी राशि तय कर रहे हैं. निबंधन कितने दिनों में हो जायेगा, इसकी भी गारंटी नहीं. जीएसटी लागू होने के बाद से सेल टैक्स के जानकार अपने हिसाब से राशि वसूल रहे हैं. एक्सपर्ट कारोबारियों से डाटा लेकर ऑनलाइन निबंधन करा रहे हैं.
कारोबारियों के पास भी इसका विकल्प नहीं है. इनका कहना है कि एक हजार तक तो ठीक है, लेकिन अब बाजार में मनमानी शुरू हो गयी है.
कई एक्सपर्ट कारोबारियों से पूरे साल के रिटर्न का ठेका भी ले रहे हैं. 75 लाख कंपाउंडिंग टैक्स वाले से 10 हजार व टैक्स के सामान्य दायरे में आनेवाले कारोबारियों के लिए 15 से 20 हजार पर ठेका तय किया जा रहा है. लेकिन कारोबारियों को अकाउंट का डाटा एक्सपर्ट को ही देना हाेगा. इसके लिए अकाउंटेंट साल के 24 हजार रुपये मांग रहे हैं. हालांकि एक्सपर्ट ऐसे आरोपों से इनकार करते हैं, जबकि राशि देने वाले कारोबारी एक्सपर्ट का नाम नहीं बताना चाहते. मोतीझील में कपड़े की दुकान चलानेवाले सत्येंद्र बताते हैं कि हमलोग पहले वैट के तहत तीन महीने पर रिटर्न भरते थे. एक हजार में काम हो जाता था. जीएसटी के तहत ऑनलाइन टैक्स का डाटा तैयार करने व रिटर्न भरने की जानकारी नहीं है.
जीएसटी के नियमों में करें बदलाव : चेंबर ऑफ कॉमर्स ने गुरुवार को सेंट्रल एक्साइज के सहायक आयुक्त को नौ सूत्री ज्ञापन देकर इसे लागू करने की मांग की. इसमें जीएसटी के नियमों में बदलाव
सहित व्यापारियों को राहत देने की बात कही गयी थी.
सेल टैक्स में है हेल्प डेस्क, होता है नि:शुल्क निबंधन
सेल टैक्स के पश्चिमी अंचल प्रभारी अच्छेलाल प्रसाद ने कहा कि कारोबारी किसी तरह की समस्या आने पर विभाग से संपर्क नहीं करते. इस कारण उन्हें मनमानी राशि देनी पड़ रही है. विभाग में 25 जून से ही हेल्प डेस्क की शुरुआत की गयी. इसकी जानकारी कारोबारियों को सेमिनार में भी दी गयी थी. यहां कारोबारियों के नि:शुल्क रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था है. उन्हें अपने साथ पासबुक की फोटोकॉपी, पैन कार्ड, आधार कार्ड व किरायानामा लेकर आना है.