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किताब, कॉपी के साथ चाहिए ब्रांडेड बैग व जूता भी

मुजफ्फरपुर: प्राइवेट स्कूलों में बच्चों का नामांकन शुरू हो गया है. अभिभावकों को एक बार फिर स्कूल संचालकों की मनमानी का सामना करना पड़ रहा है. इससे अभिभावक त्रस्त हैं. स्कूल किताब-कॉपी के साथ-साथ अब बैग व जूता की कंपनी का ब्रांड भी तय कर रहे हैं. कुछ स्कूलों ने बैग पर स्कूल का नाम […]

मुजफ्फरपुर: प्राइवेट स्कूलों में बच्चों का नामांकन शुरू हो गया है. अभिभावकों को एक बार फिर स्कूल संचालकों की मनमानी का सामना करना पड़ रहा है. इससे अभिभावक त्रस्त हैं. स्कूल किताब-कॉपी के साथ-साथ अब बैग व जूता की कंपनी का ब्रांड भी तय कर रहे हैं. कुछ स्कूलों ने बैग पर स्कूल का नाम लिखा होना अनिवार्य कर दिया है.

स्कूल का नाम लिखा हुआ बैग बाजार में उपलब्ध नहीं है. ऐसे में बच्चों को बैग स्कूल से ही दिया जा रहा है. इसके लिए मनमाना पैसे वसूले जा रहे हैं. जो बैग बाजार में 300-400 में उपलब्ध है, इसके लिए 700 रुपये लिए जा रहे हैं.

जूता की कंपनी भी होती है तय
बैग के अलावा जूता किस कंपनी का लेना है, यह भी अब स्कूल ही तय कर रहे हैं. बच्चों को किस कंपनी के जूते स्कूल में पहन कर आना है, यह अभिभावकों को बताया जा रहा है. इतना ही नहीं बाजार में उस कंपनी के जूते नहीं मिलने पर स्कूल संचालक जूते भी मुहैया करा रहे हैं. इसकी कीमत स्कूल संचालकों की ओर से 600-800 रुपये लिये जा रहे हैं.

स्टेशनरी भी लेना अनिवार्य : किताबें भी स्कूलों के तय दुकानों में ही मिलती हैं. अभिभावकों की मजबूरी का दुकानदार भी फायदा उठाते हैं. वह पहले से ही अलग-अलग कक्षाओं के लिए किताब का बंडल बना कर रखते हैं. बिना किसी मोल-भाव के किताब का बंडल अभिभावक को थमा दिया जाता है. अधिकांश स्कूल संचालक अपने परिसर में ही किताब कॉपी बेचते हैं. इसमें किताब के साथ-साथ कॉपी व अन्य स्टेशनरी भी लेना अनिवार्य किया जाता है. कॉपी नहीं लेने पर किताब नहीं मिलती है. स्कूलों ने कॉपी की साइज भी तय कर रखा है. अभिभावक वही किताब बाजार में लेता है तो उन्हें दस फीसदी की छूट मिलती है. वहीं स्कूल द्वारा निर्धारित किताब दुकानों में छूट नहीं मिलती.

सादे कागज पर किताब की कीमत
स्कूल प्रबंधन अभिभावक व छात्रों को किताब की लिस्ट नहीं देते. इसके बदले दुकान के नाम का परचा थमा दिया जाता है. किताब की लिस्ट मांगने पर कहा जाता कि संबंधित दुकान में किताब मिल जायेगी. कुछ दुकानदार किताब खरीद की रसीद भी नहीं देते हैं. रसीद के बदले सादे कागज पर किताब की कीमत लिख कर दे देते हैं. अगर स्कूल लिस्ट दे भी देते है तो किताब दूसरी दुकान में नहीं मिलता.

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