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एइएस है तो पुरजा पर लिखें, फिर करें इलाज

मुजफ्फरपुर : अगर बच्चों में एइएस है, तो पुरजा पर एइएस लिखें और उसका इलाज करें. अगर नहीं है, तो उसके पुरजा पर संदिग्ध नहीं लिखें. अब तक किसी भी संदिग्ध बच्चे में एइएस व जेइ की पुष्टि नहीं हुई है. मैं इसकी रिपोर्ट सरकार से करूंगा. ये बातें गुरुवार को केजरीवाल अस्पताल में क्षेत्रीय […]

मुजफ्फरपुर : अगर बच्चों में एइएस है, तो पुरजा पर एइएस लिखें और उसका इलाज करें. अगर नहीं है, तो उसके पुरजा पर संदिग्ध नहीं लिखें. अब तक किसी भी संदिग्ध बच्चे में एइएस व जेइ की पुष्टि नहीं हुई है. मैं इसकी रिपोर्ट सरकार से करूंगा. ये बातें गुरुवार को केजरीवाल अस्पताल में क्षेत्रीय स्वास्थ्य उपमहानिदेशक डॉ विजय कुमार ने अस्पताल प्रशासन से कहीं.

उन्होंने बच्चों का इलाज कर रहे डॉ नीरज कुमार से भी कई सवाल किये. उन्होंने पूछा कि किस आधार पर आप बीमार बच्चों के पुरजा पर संदिग्ध लिखते हैं. जो बच्चे अस्पताल में भरती होते हैं, उनके पुरजे पर सभी बातें क्यों नहीं लिखी जाती हैं. इस पर डॉ नीरज ने कहा कि पहले बच्चों का इलाज जरूरी है, न कि उनके पुरजे पर कुछ लिखना. उन्होंने कहा कि निर्देश पर ही हमें संदिग्ध लिखना पड़ता है.

सरकार से की जायेगी इनकी रिपोर्ट :
क्षेत्रीय स्वास्थ्य उपमहानिदेशक ने केजरीवाल अस्पताल प्रबंधक को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि एइएस से पीड़ित जो भी बच्चे आते हैं, उनके पुरजे पर एइएस लिखें और स्वास्थ्य विभाग को इसकी रिपोर्ट भेजें. बच्चों की मौत अगर एइएस से होती है, तो एइएस लिखने में हमें कोई आपत्ति नहीं है. उन्होंने केजरीवाल अस्पताल में एइएस वार्ड में कितने बेड हैं और क्या सुविधा है, इसकी जानकारी ली.

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