36.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिहार के इस मंदिर में ईश्वर की नहीं उनके वाहन की होती है पूजा, मंत्री से अधिकारी तक टेकते हैं मत्था

मुंगेर जिला मुख्यालय से लगभग 45 किमी दूर टेटिया बंबर प्रखंड के गौरवडीह गांव में एक ऐसा मंदिर है जहां ईश्वर की पूजा नहीं होती है बल्कि वहां ईश्वर के वाहनों की आराधना होती है. इस मंदिर में सभी देवी-देवाताओं के वाहनों की प्रतिमाएं हैं.

मुंगेर. मुंगेर जिला मुख्यालय से लगभग 45 किमी दूर टेटिया बंबर प्रखंड के गौरवडीह गांव में एक ऐसा मंदिर है जहां ईश्वर की पूजा नहीं होती है बल्कि वहां ईश्वर के वाहनों की आराधना होती है. इस मंदिर में सभी देवी-देवाताओं के वाहनों की प्रतिमाएं हैं. जैसे मां दुर्गा का वाहन शेर, गणेश का वाहन मूषक, भगवान शंकर का बैल, विष्णु का गरुड़, सरस्वती का हंस, लक्ष्मी का उल्लू आदि स्थापित है.

पूरी होती है यहां मांगी गयी मुरादें

किसी ईश्वर के मंदिर से इस मंदिर के प्रति लोगों की आस्था कम नहीं है. दूर-दूर से लोग इस मंदिर में पूजा आराधना करने आते हैं. मंत्री से पदाधिकारी तक अपनी मनोकामना लेकर यहां आते हैं और मत्था टेकते हैं. यह आस्था इसलिए मजबूत है, क्योंकि यहां मांगी गयी मुरादें पूरी होती है. इसी लिए शायद इस मंदिर का नाम भी मनोकामना मंदिर रखा गया है. ग्रामीण भगवान की पूजा करने के बाद इस मंदिर में पहुंचकर उनके वाहनों की पूजा करते हैं.

एक शिक्षक ने कराया था मंदिर का निर्माण

इस मंदिर का निर्माण सेवानिवृत्त शिक्षक विनोद कुमार सिंह ने कराया था. उनका मत रहा है कि लोग सभी देवताओं की पूजा करते हैं, लेकिन उनके वाहनों को भूल जाते हैं. शास्त्रों में इन वाहनों को प्रतीक या द्योतक के रूप में उल्लेखित किया गया है. कहा गया है कि ये सभी पशु-पक्षी अपने काल में श्रेष्ठ ऋषि और देव रहे हैं. संकष्टी गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के साथ इस मंदिर में उनके वाहन की भी पूजा होती है.

अपने आप में इकलौता मंदिर 

बिहार में ऐसा दूसरा मंदिर नहीं है. गौरवडीह में बने इस मनोकामना मंदिर में पूजा करने के लिए हर दिन महिलाएं बड़ी संख्या में पहुंचती है. मंदिर का द्वार श्रद्धालुओं के लिए सुबह छह बजे ही खुल जाता है. महिलाएं भगवान की पूजा करने के बाद यहां उनके वाहनों की पूजा करतीं हैं. महिलाएं सभी वाहनों को अगरबत्ती से धूमन से पूजा करती हैं. यह मंदिर जिले की पहचान बनती जा रही है. अब दूसरे जिलों से भी लोग अपनी मनोकामना लेकर यहां पहुंच रहे हैं.

महिलाओं की मंदिर में गहरी आस्था

बताया जाता है कि यहां मन से मांगने पर हर मुरादें पूरी होती है. मंदिर में पूजा करने पहुंची महिलाओं का कहना है कि भगवान का मंदिर तो गांव-गांव में है, लेकिन, उनके वाहनों का यह एक इकलौता मंदिर है. महिला श्रद्धालुओं ने बताया कि उनके घर में कुछ ठीक नहीं चल रहा था. भगवान की पूजा करने के बाद यहां उनके वाहनों की पूजा करने लगे. सच्चे मन से जो मांगे वह पूरा हुआ. इसलिए इस मंदिर के प्रति गहरी आस्था हो चुकी है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें