57 प्रतिशत बच्चे ही मध्याह्न भोजन योजना का उठा रहे लाभ
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बच्चों को विद्यालय से नहीं जोड़ पा रही योजना
57 प्रतिशत बच्चे ही मध्याह्न भोजन योजना का उठा रहे लाभ मुंगेर : बच्चों को विद्यालय से जोड़ने एवं विद्यालय में अंतिम घंटी तक बच्चे की उपस्थिति बनी रहे. इसके लिए सरकार ने मध्याह्न भोजन योजना चला रखी है. लेकिन जिले की बदहाल शिक्षा व्यवस्था के कारण बच्चों की उपस्थिति बढ़ने के बजाय घटती जा […]
मुंगेर : बच्चों को विद्यालय से जोड़ने एवं विद्यालय में अंतिम घंटी तक बच्चे की उपस्थिति बनी रहे. इसके लिए सरकार ने मध्याह्न भोजन योजना चला रखी है. लेकिन जिले की बदहाल शिक्षा व्यवस्था के कारण बच्चों की उपस्थिति बढ़ने के बजाय घटती जा रही है. वर्तमान समय में मात्र 57 प्रतिशत बच्चे ही विद्यालय पहुंच रहे और मध्याह्न भोजन योजना का भोजन ग्रहण कर रहे. अर्थात करोड़ों खर्च के बावजूद मध्याह्न भोजन बच्चों को विद्यालय की ओर नहीं खींच पा रहा.
1085 विद्यालय में चल रहा एमडीएम
जिला में 1103 प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय संचालित हो रही है. जिसमें से 1085 विद्यालय में मध्याह्न भोजन योजना चालू है. प्राथमिक विद्यालय में 1,71,938 बच्चे एवं मध्य विद्यालय में 88,413 हजार बच्चे नामांकित हैं. यानी कुल 2,60,351 बच्चे नामांकित है. लेकिन 1,49,969 बच्चे ही विद्यालय पहुंच रहे हैं. यानी लगभग 57 प्रतिशत बच्चे की मध्याह्न भोजन का लाभ उठा पा रहे है. जबकि 8 विद्यालय में मध्याह्न भोजन योजना पूरी तरह बंद है. जिसका मुख्य कारण है खाता का संचालन नहीं होना है.
आखिर क्यों कम होता जा रहा प्रतिशत :
विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति लगातार कम होती जा रही है. जिसके कारण प्रतिशत भी घटता जा रहा है. इसके पीछे कई पेंच है. मध्याह्न भोजन योजना में अनियमितता का समाचार हमेशा सुर्खियों में रहा है. इस पर विराम लगाने के लिए योजना में सख्ती बरती गयी. जिसके कारण फर्जी बच्चों की उपस्थिति कम होने लगी. इतना ही नहीं सरकारी विद्यालय में नामांकित बच्चों में ऐसे भी बच्चे हैं जो प्राइवेट विद्यालय में पढ़ते हैं.
सख्ती के बाद उनकी उपस्थिति बननी बंद हो गयी. जागरूकता के अभाव में भी बच्चों की उपस्थिति विद्यालय में कम होने का एक महत्वपूर्ण कारण है. टोला सेवक एवं तालिमी मरकज के स्वयंसेवी का दायित्व है कि वे बच्चों को विद्यालय तक पहुंचाये. विकास मित्र भी इस कार्य में सहयोग करेंगे. ऐसी चर्चा हुई थी. इतना ही नहीं विद्यालय के प्रधानाध्यापक एवं शिक्षक भी अपने पोषक क्षेत्र में बच्चों के अभिभावक से संपर्क स्थापित कर बच्चों को विद्यालय से जोड़ने का काम करेंगे. लेकिन इनके द्वारा जागरूकता अभियान सिफर है.
कहते हैं अधिकारी
जिला मध्याह्न भोजन योजना पदाधिकारी बसंत कुमार सिंह ने बताया कि बच्चों को विद्यालय से जोड़ने के लिए मध्याह्न भोजना योजना चलाया जा रहा है. ताकि पढ़ाई के साथ ही बच्चों को स्कूल में ही भोजन कराया जाय और बच्चे विद्यालय में बने रहे. लेकिन जिले में 57 प्रतिशत बच्चों की ही उपस्थिति विद्यालयों में हो पा रही.
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