24 घंटे की नहीं मिल रही सुविधा
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एसएनसीयू. अब तक मात्र 63 नवजातों का हुआ इलाज
24 घंटे की नहीं मिल रही सुविधा तीन की जगह दो शिफ्ट में हो रहा संचालन एसएनसीयू सेवा सातों दिन 24 घंटे का है. साथ ही यहां तीन शिफ्ट में सेवा का संचालन होना था. किंतु वर्तमान समय में मात्र दो शिफ्ट में ही एसएनसीयू का संचालन हो रहा है. पूर्व में यहां एक शिफ्ट […]
तीन की जगह दो शिफ्ट में हो रहा संचालन
एसएनसीयू सेवा सातों दिन 24 घंटे का है. साथ ही यहां तीन शिफ्ट में सेवा का संचालन होना था. किंतु वर्तमान समय में मात्र दो शिफ्ट में ही एसएनसीयू का संचालन हो रहा है. पूर्व में यहां एक शिफ्ट में 4 नर्स को ड्यूटी पर लगाया जाता था. किंतु अब प्रत्येक शिफ्ट में मात्र एक ए ग्रेड नर्स को ड्यूटी पर तैनात किया जा रहा है.
व्यवस्थाओं का है अभाव
एसएनसीयू में इलाज करवाने के दौरान नवजात के परिजनों के लिए प्रतिक्षालय की व्यवस्था नहीं दी गयी है. जिसके कारण नवजात के परिजनों को एसएनसीयू के बाहर खुले में ही इंतजार करना पड़ता है. इतना ही नहीं उनके लिए शौचालय की भी कोई व्यवस्था नहीं है. सदर अस्पताल के बाहरी क्षेत्र में रहने के बावजूद भी एसएनसीयू के क्षतिग्रस्त चहारदीवारी का मरम्मती नहीं कराया गया है. सबसे हैरत की बात तो यह है कि रात्रि के समय यहां सुरक्षा गार्ड को तैनात नहीं किया जाता है. जिसके कारण शाम होते ही नर्स वहां ताला बंदी कर निकल जाती है.
सदर अस्पताल के एसएनसीयू में व्यवस्थाओं का अभाव है. 24 घंटा सेवा उपलब्ध कराये जाने के नाम पर खुले एसएनसीयू में महज 16 घंटे की सेवा ही उपलब्ध हो पा रही है. इससे इसे खोलने का उद्देश्य पूर्णत: धरातल पर नहीं उतर पा रहा है.
मुंगेर : 24 घंटा सेवा उपलब्ध कराये जाने के नाम पर खोले गये एसएनसीयू में इन दिनों महज 16 घंटे की सेवा ही उपलब्ध हो पा रही है. जिसके कारण इस सेवा का उद्देश्य पूर्णत: धरातल पर नहीं उतर पा रहा है. वहीं एसएनसीयू में यदि सुविधा की बात की जाये तो मरीज के साथ आने वाले एटेनडेंट के लिए एक प्रतिक्षालय तक की भी व्यवस्था नहीं है.
अब तक 63 नवजातों का हुआ इलाज : एसएनसीयू में वैसे नवजातों का इलाज किया जाता है जिसका जन्म समय से काफी पहले हो जाता है. साथ ही वैसे नवजात जिनमें जन्म के साथ ही एक्सपेक्सिया, सेप्सिस, रिस्प्रेट्री, डिस्ट्रेसिंड्रोम तथा एचआइई जैसी बीमारियां पायी जाती है. नवजात को एसएनसीयू में जब जक रख कर इलाज किया जाता है, जब तक वह पूर्ण रूप से ठीक नहीं हो जाये. सदर अस्पताल में यूं तो पिछले साल ही 27 फरवरी को एसएनसीयू का उद्घाटन किया गया था. किंतु अब तक यहां मात्र 63 नवजातों का ही इलाज किया गया है.
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