मुंगेर : मुंगेर प्रक्षेत्र के डीआइजी शिवेश्वर प्रसाद शुक्ल ने कहा कि आचार्य कपिल मुंगेर के वैसे साहित्यकार थे जिनसे मुंगेर की एक पहचान थी. शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने जो मिसाल कायम किया वह आज भी लोग याद करते हैं. वे आचार्य कपिल के स्मृति में आयोजित व्याख्यान माला को संबोधित कर रहे थे.
व्याख्यान माला का विषय ‘ भारतीय संस्कृति पर वैश्वीकरण का प्रभाव ‘ था. उन्होंने कहा कि आज विज्ञान और तकनीक का युग है और जब तक हम एक दूसरे से जुड़ेंगे नहीं तो तरक्की की दौड़ से पिछड़ जायेंगे. हर चीज की अच्छाई व बुराई दोनों होती है. बेहतर पहलू को आत्मसात करें और आगे बढ़ें.
समारोह की अध्यक्षता करते हुए तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के अंगरेजी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. अवधेश शर्मा ने कहा कि वैश्वीकरण के सकारात्मक पक्ष को समझने की आवश्यकता है. साथ ही सामाजिक मूल्यों को जिंदा रखने की दिशा में काम करना जरूरी है. प्रो अजफर शमसी ने विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय जीवन शैली में आयी गिरावट के लिए वैश्वीकरण के उन तत्वों को जिम्मेदार बताया जो हमें अपनी मिट्टी से अलग कर भटकने के लिए साजिश कर रहे हैं.
कार्यक्रम के संयोजक डॉ सुचित नारायण प्रसाद ने आचार्य कपिल के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला. जबकि विषय प्रवेश प्रो. एसके झा ने कराया. प्रो शब्बीर हसन ने विषय से हट कर भारत को आर्थिक रूप से परतंत्र बनाने की पश्चिमी देशों की साजिश का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि वे इस बात के लिए भारत को बाध्य कर रहे हैं कि हम अपना उपजाया हुआ अनाज न खाये, बल्कि उनके दिये अन्न पर जीने की आदत डालें.
प्रो. विद्या कुमार चौधरी ने कहा कि सांस्कृतिक पराभव के लिए वैश्वीकरण जिम्मेदार नहीं है. आज संयुक्त परिवार की परिपाटी अपने देश में इसलिए समाप्त हो गयी है कि हम देने, सेवा व त्याग की भावना त्याग चुके हैं. हमारी संस्कृति पर पर वैश्वीकरण का यह सबसे बड़ा कुप्रभाव है.
इस मौके पर शिक्षक नेता नवल किशोर प्रसाद सिंह, डॉ केएन राय, उपेंद्र त्यागी, सरोज कुमार सहित अन्य वक्ताओं ने भी अपना अपने विचार रखे. आगत अतिथियों का प्रो. प्रभात कुमार ने स्वागत किया. कार्यक्रम का संचालन सरस्वती विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य अजय कुमार मिश्रा ने किया. इस मौके पर बिहार के राज्यपाल के संदेश को समारोह में पढ़ा गया.