मुंगेर: विश्व शांति के अग्रदूत भगवान बुद्ध की जयंती सोमवार को मुंगेर के विभिन्न संस्थाओं द्वारा समारोहपूर्वक मनायी गयी. इस अवसर पर भगवान बुद्ध के जीवन चरित्र पर आधारित परिचर्चा का भी आयोजन किया गया. साथ ही उनके जीवन से प्रेरणा लेने पर बल दिया गया.
वक्ताओं ने कहा कि भगवान बुद्ध ने विश्व को सत्य, अहिंसा व शांति का संदेश दिया. सरस्वती शिशु मंदिर बेकापुर में जयंती समारोह का आयोजन किया गया. जिसका उद्घाटन शिशु भारती के अध्यक्ष बेबी, सचिव शिवम, सेनापति आदर्श एवं विद्यालय के प्रधानाचार्य संजीव कुमार पाठक ने दीप प्रज्वलित कर किया. प्राचार्य ने कहा कि गौतम बुद्ध बचपन से ही सच्चे व उदारवान थे. उन्होंने विश्व शांति व भाइचारे का संदेश दिया. पूनम दास ने भगवान बुद्ध के जीवन को त्याग एवं प्रेम का प्रतीक बताया. रजनी ने बच्चों के अंदर भगवान बुद्ध के जीवन की मार्मिक घटनाओं को रखते हुए कहा कि दुनिया के दुखों को मिटाने के लिए मध्य रात्रि में अपने छोटे बच्चे, पत्नी एवं अपने राज-पाट को छोड़ कर ज्ञान प्राप्ति के लिए निकल पड़े थे.
उन्होंने कहा था ‘‘ आत्म दीपों भव: ’’ अर्थात दुख का मूल कारण तृष्णा है. जिसका त्याग करना आवश्यक होता है. इस मौके पर अनेक लोगों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये. इधर सरस्वती विद्या मंदिर लाल दरवाजा में आयोजित जयंती कार्यक्रम का उद्घाटन चंद्रप्रभा ने की. उन्होंने कहा कि बुद्ध का जीवन तपस्वी का जीवन था. उसने अपनी साधना के माध्यम से संसार की नश्वरता को बखूबी पहचाना और लोगों को ईष्या, द्वेष, लोभ, मोह, काम के परित्याग की सीख दी. साधना देवी ने बौद्ध धर्म की महानता का वर्णन करते हुए कहा कि यह धर्म मानव में मानवोचित गुणों का विकास करती है. आचार्य चंद्रकांत शर्मा ने कहा कि जीवन की मौलिकता बौद्ध धर्म में ही निहित है. विलासिता पूर्ण जीवन को त्याग कर महात्मा बुद्ध ने जीवन की उस अच्छाइयों की ओर खुद को ले गया जो पूरी तरह नि:सभाव था. मौके पर बबीता कुमारी, सुनीता कुमारी, शंकरदानी मौजूद थे.