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ईश्वर के स्वरूप दर्शन के लिए मानव में आंतरिक भक्ति की आवश्यकता

फोटो संख्या : 6फोटो कैप्सन : सत्संग में उपस्थित महिलाएं प्रतिनिधि, बरियारपुर ईश्वर के स्वरूप के दर्शन के लिए मानव में आंतरिक भक्ति की आवश्यकता है. इसके लिए मानव को सत्संग कर ज्ञान अर्जित करने की जरूरत है. ईश्वर का तत्व ज्ञान प्राप्त करने के लिए तीन योग की जरूरत है. तीन योग क्रमश: बुद्धि, […]

फोटो संख्या : 6फोटो कैप्सन : सत्संग में उपस्थित महिलाएं प्रतिनिधि, बरियारपुर ईश्वर के स्वरूप के दर्शन के लिए मानव में आंतरिक भक्ति की आवश्यकता है. इसके लिए मानव को सत्संग कर ज्ञान अर्जित करने की जरूरत है. ईश्वर का तत्व ज्ञान प्राप्त करने के लिए तीन योग की जरूरत है. तीन योग क्रमश: बुद्धि, मानस एवं ज्योति योग द्वारा मानव ईश्वर के स्वरूप का दर्शन कर सकते हैं. ये बातें बाबा भूषण महाराज सत्संग आश्रम ब्रह्मस्थान में आयोजित महर्षि मेंहीं दास जी महाराज के 131 वीं पुण्यतिथि समारोह में कही. उन्होंने कहा कि तत्व ज्ञान का स्वरूप है. ज्ञान के लिए सत्संग करना जरूरी है. अंधकार, प्रकाश और शब्द ये तीन आत्मा जिसके पास है वो जीवात्मा कहलाता है. ये तीनों मंच जब मन से लगा देंगे तो आप मानस योग को जान जायेंगे. ईश्वर का स्वरूप जानने के लिए ज्योति योग करना जरूरी है. आंखों की ज्योति को गुरु की ज्योति से सिमटाव करेंगे तो ईश्वर ज्योति प्राप्त होगी. आज्ञा चक्र का पालन करेंगे तो अंधकार समाप्त हो जायेगा और प्रकाश का ज्ञान होगा. इससे पूर्व श्रद्धालुओं ने शोभायात्रा निकाली जो आश्रम से निकल कर विजयनगर होते हुए काली स्थान बरियारपुर होते हुए पुन: सत्संग ध्यान आश्रम ब्रह्मस्थान में जाकर समाप्त हुई. समारोह का नेतृत्व साधना केंद्र के उपाध्यक्ष नंदिनी प्रसाद सिंह ने किया. मौके पर मीना देवी, नीलम देवी, महेश मंडल, सचिव सीताराम पासवान, ओमप्रकाश पासवान, रमण कुमार सिंह, शकुंतला देवी मुख्य रूप से मौजूद थे.

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