बिना अधीक्षण अभियंता के चल रहा कार्यालय
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अपराह्न 1 बजे तक नहीं खुला था भवन अंचल कार्यालय
बिना अधीक्षण अभियंता के चल रहा कार्यालय मुंगेर : मुंगेर में अफसर और बाबुओं पर सरकार के निर्देश का भी कोई असर नहीं है. हकीकत तो यह है कि समाहरणालय के समीप के सरकारी कार्यालय भी अब समय पर नहीं खुलते. शनिवार को भवन निर्माण विभाग, भवन अंचल मुंगेर के अधीक्षण अभियंता कार्यालय में अपराह्न […]
मुंगेर : मुंगेर में अफसर और बाबुओं पर सरकार के निर्देश का भी कोई असर नहीं है. हकीकत तो यह है कि समाहरणालय के समीप के सरकारी कार्यालय भी अब समय पर नहीं खुलते. शनिवार को भवन निर्माण विभाग, भवन अंचल मुंगेर के अधीक्षण अभियंता कार्यालय में अपराह्न एक बजे तक ताला लटका रहा. जो सरकारी कार्यालय के हकीकत को बयां करने के लिए काफी है.
अपराह्न एक बजे तक नहीं खुला था ताला: भवन अंचल मुंगेर के अधीक्षण अभियंता कार्यालय से प्रमंडल के भवन निर्माण विभाग के कार्यों का नियंत्रण होता है. जहां आठ कर्मचारी तैनात हैं, लेकिन एक भी कर्मचारी अपराह्न 12:30 बजे तक कार्यालय के समीप नहीं पहुंचे थे. जब प्रभात खबर की टीम वहां पहुंची तो एक व्यक्ति आया और कहा कि उसका नाम राजेश कुमार है और वह शेखपुरा भवन विभाग से आया है. उसने कहा कि वह चिट्ठी देने के लिए घूम रहा है,
जबकि कुछ देर बाद 12:45 बजे विजय कुमार नामक कर्मचारी पहुंचा. उसने कहा कि मैं यहां कार्यालय परिचारी के पद पर तैनात हूं. मैं सुबह 10:30 बजे ही पहुंच गया था. कार्यालय का ताला नहीं खुला इसलिए मैं टलह रहा था, जबकि 12:50 में एक महिला आयी और कहा कि किस लिए फोटो खिंच रहे हैं. जब उनसे पूछा गया कि आप यहां कार्यरत है तो उन्होंने कहा कि मैं यहां कि किरानी हूं और मेरा नाम सावित्री देवी है.
ताला नहीं खुला था इसलिए कल्याण विभाग के बरामदे पर जाकर बैठ गयी थी. दोनों कर्मचारियों से जब पूछा गया कि और कर्मचारी कहां हैं तो उसने कहा कि सभी लोग बाहर से आते हैं. ट्रेन विलंब से चल रही है. इसलिए आने में विलंब हो रहा है.
बड़ा बाबू ने कहा, आप यहां से गये होंगे और मैं पहुंच गया
प्रभात खबर की टीम 11:30 से लगातार अपराह्न 1 बजे तक कार्यालय के सामने रही, तब तक बड़ा बाबू नहीं पहुंचे थे. जब कार्यालय के बाहर खड़े दोनों कर्मचारी से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि बड़ा बाबू का नाम इंद्रदेव प्रसाद है. काफी मशक्कत के बाद बड़ा बाबू का फोन नंबर मिला. जब उनके मोबाइल संख्या 9431874408 पर 12: 57 में फोन लगाया गया तो उन्होंने कहा कि जिसके पास चाभी रहती है. उसके परिवार में घटना घट गयी है. वह घोघा कहलगांव से आते हैं, जबकि मैं भागलपुर से आता हूं और फोन कट गया. पुन: अपराह्न 1:34 पर फोन लगाया गया तो उन्होंने कहा कि मैं अपने कार्यालय में बैठा हूं. जब मैंने पूछा कि एक बजे तक आप कार्यालय नहीं पहुंचे थे और ताला लगा हुआ था. कितने बजे ताला खुला. उन्होंने कहा कि आप यहां से गये होंगे और मैं पहुंच गया था और ताला भी खुल गया. उन्होंने बताया कि एक चाभी चतुर्थवर्गीय कर्मचारी अजय कुमार के पास रहती है, जो यहां रात्रि प्रहरी का काम करता है. जबकि दूसरी चाभी चपरासी जीतेंद्र कुमार के पास रहती है. उसकी मां भागलपुर में भरती थी, जिनका निधन हो गया. कर्मचारी को भेज कर चाभी मंगवाया. किसी के घर में कभी भी दुर्घटना हो सकती है. ऐसे में वह क्या करेगा. मैं तो खुद 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो जाऊंगा.
बिना अधिकारी के चल रहा कार्यालय:
जिस घर में अभिभावक नहीं होता उस घर की स्थिति बड़ा ही डमाडोल होती है. यही स्थिति भवन अंचल मुंगेर के अधीक्षण अभियंता कार्यालय की हो गयी है. नवंबर में एसी रविंद्र प्रसाद सिंह सेवानिवृत्त हो गये. तब से यह कार्यालय बिना अधिकारी के चल रहा है. अधिकारी नहीं रहने के कारण कर्मचारी बेलगाम हो गये और मनमाने समय पर कार्यालय खुलता एवं बंद होता है. बड़ा बाबू इंद्रदेव प्रसाद ने कहा कि अब तक किसी को यहां के अधीक्षण अभियंता का प्रभार नहीं दिया गया है.
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