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मंदिर के बरामदे पर तैयार हो रहे देश के भविष्य
मुंगेर : शिक्षा विभाग भी कमाल है. जहां विद्यालय के लिए कोई जमीन देने को तैयार नहीं है, वहां विभाग जमीन के लिए परेशान है. लेकिन जहां जमीन देने वाला तैयार है वहां विभाग जमीन नहीं ले रही है. इस कारण आज भी शहर के एक नंबर वार्ड का प्राथमिक विद्यालय गंगानगर दो जगह संचालित […]
मुंगेर : शिक्षा विभाग भी कमाल है. जहां विद्यालय के लिए कोई जमीन देने को तैयार नहीं है, वहां विभाग जमीन के लिए परेशान है. लेकिन जहां जमीन देने वाला तैयार है वहां विभाग जमीन नहीं ले रही है. इस कारण आज भी शहर के एक नंबर वार्ड का प्राथमिक विद्यालय गंगानगर दो जगह संचालित हो रहा है. झोपड़ी में कार्यालय चल रहा है तो वहीं खुले आसमान के नीचे भोजन बनाया जा रहा है. जबकि श्मसान घाट स्थित बजरंगबली मंदिर में देश के भविष्य को पढ़ाया जा रहा है. शवयात्रा व वाहनों के कौतूहल के बीच बच्चे पढ़ने तो शिक्षक पढ़ाने को विवश हैं.
झोपड़ी में चल रहा कार्यालय मंदिर में विद्यालय
गंगानगर शहर का वह हिस्सा है जहां गंगा से विस्थापित अधिकांश परिवार रहते हैं. जो काफी पिछड़ा हुआ है और वहां के अधिकांश लोग गरीब, मजदूर वर्ग के हैं. अभिभावक अपने बच्चों के पढ़ाई के प्रति काफी चिंतित हैं. शुरुआती दौर में एक व्यक्ति ने अपना घर पर विद्यालय चलाने को दिया. जहां प्राथमिक विद्यालय गंगानगर संचालित होने लगा. मुख्य सड़क के किनारे एंव झोपड़ी में बैठ कर बच्चे पढ़ते थे. तीन साल पूर्व विद्यालय का कक्षा श्मसानघाट स्थित बजरंगवली मंदिर के बरामदे पर संचालित होने लगा जो चारों ओर से खुला हुआ है. जबकि रोजाना मंदिर के पास से दर्जनों शव यात्रा गुजरती है. किसी यात्रा में ढोल-बाजा बजता है तो किसी में निर्गुन की आवाज गूंजती है. शवयात्रा में वाहनों का काफिला भी गुजरता है. जिसके कारण बच्चों को पढ़ने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
क्योंकि खुले होने के कारण अनायास ही बच्चों का ध्यान शवयात्रा में चला जाता है. इस ठंड में भी बच्चे बिना दरी के मंदिर के फर्श पर बैठ कर पढ़ने को विवश है. इतना ही नहीं विद्यालय के प्रभारी थैला में उपस्थिति पंजी व कार्यालय का अधिकांश कागजात लेकर मंदिर और कार्यालय करने को विवश है. क्योंकि मंदिर से कुछ दूरी पर एक झोपड़ी में कार्यालय चलता है. कार्यालय के बगल में ही खुले में बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन बनाया जाता है. जो शिक्षा विभाग के लिए एक बड़ा सवाल है.
147 बच्चे नामांकित, पढ़ाने को दो शिक्षक
इस विद्यालय में कक्षा एक से पांच में 147 बच्चे नामांकित हैं. एक शिक्षिका व एक शिक्षक उन बच्चों को पढ़ा रहे हैं. विद्यालय की प्रभारी सह शिक्षिका स्नेहा ज्योति ने बताया कि यहां के शिक्षक नंदन कुमार ट्रेनिंग में गये हुए हैं. जिसके बदले समीर कुमार को यहां डेप्यूटेशन पर भेजा गया.
जबकि दो टोला सेवक भी यहां तैनात हैं. दोनों टोला सेवक बीएलओ हैं. जमीन देने को तैयार, नहीं ले रहा विभाग
सरकार ने विद्यालय भवन निर्माण के लिए जमीन देने वाले दाताओं के परिवार के सदस्य के नाम पर विद्यालय का नाम रखने की योजना चला रखा है. लेकिन मुंगेर में हकीकत कुछ और ही है.
यहां जमीन देने वाले दाता तैयार हैं, लेकिन विभाग जमीन लेने को तैयार नहीं है. स्थानीय लोगों ने बताया कि डिक्की सिंह ने विभाग को जमीन देने की पेशकश की. जब जमीन रजिस्टार के पास रजिस्ट्री कराने गया तो बताया गया कि यह जमीन बेगूसराय अंचल में पड़ता है.
उसी जिला में रजिस्ट्री का काम होगा. जिसके बाद यह मामला अधर में लटक गया. शिक्षा विभाग से स्थानीय लोगों ने बात की और कहा कि विभाग पहल कर वहां जमीन रजिस्ट्री करवा ले. लेकिन विभाग इस दिशा में आगे बढ़ने को तैयार नहीं है. जिसके कारण जमीन राज्यपाल के नाम स्थानांतरण का मामला अधर में लटक गया.
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