मुंगेर : अब प्लास्टिक से बने राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग किसी भी हाल में नहीं किया जायेगा. केंद्र सरकार ने इसके प्रयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाते हुए इसे राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 के तहत दंडनीय अपराध की श्रेणी में अधिसूचित किया है. इस संदर्भ में गृह मंत्रालय के निर्देश के बाद राज्य सरकार ने सभी जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षकों को इसके अनुपालन का निर्देश दिया है. राज्य के मुख्य सचिवों को भेजे गये पत्र में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है
कि राष्ट्रीय ध्वज हमारे देश के लोगों की आशाओं, आकांक्षाओं एवं गौरव का प्रतिनिधित्व करता है. इसलिए इसे पूर्ण सम्मान मिलना चाहिए. राष्ट्रीय ध्वज के लिए एक सर्वभौमिक लगाव, आदर तथा बफादारी होनी चाहिए. मंत्रालय ने कहा है कि प्राय: महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेलकूद के अवसरों पर कागज के राष्ट्रीय झंडों के स्थान पर प्लास्टिक के राष्ट्रीय झंडों का उपयोग किया जाता है. राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 की धारा 2 के अनुसार कोई भी व्यक्ति जो किसी सार्वजनिक स्थान पर राष्ट्रीय झंडे या उसके प्रति अनादर प्रकट करता है अथवा अपमान करता है
तो इसके लिए तीन वर्ष कारावास व जुर्माना का प्रावधान है. राष्ट्रीय झंडा संहिता 2002 के प्रावधान के अनुसार राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेलकूद के अवसरों पर जनता द्वारा केवल कागज से बने झंडों का ही प्रयोग का प्रावधान है. समारोह के बाद ऐसे कागज से बने झंडों को न तो विकृत किया जाय और न ही फेंका जाय. झंडों का निबटान उनकी मर्यादा के अनुसार एकांत में किया जाय. चूंकि प्लास्टिक के बने झंडे कागज के समान जैविक रूप से अपघट्य नहीं होते हैं और लंबे सयम तक नष्ट नहीं होते. इसलिए प्लास्टिक से बने राष्ट्रीय ध्वज का सम्मानपूर्वक नष्ट करना एक व्यावहारिक समस्या है. ऐसी स्थिति में प्लास्टिक से बने झंडे का प्रयोग पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है.