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डेढ़ दशक बाद भी नहीं बना शोध संस्थान का सभागार

वर्ष 2003 में हुआ था शिलान्यास, आज तक नहीं जुड़ी एक भी ईंट हवेली खड़गपुर : खड़गपुर के लाल, अनूठे चितेरे नंदलाल बसु अपने ही शहर में गुमनाम होते जा रहे हैं. देश ही नहीं अंतराष्ट्रीय स्तर के ख्याति प्राप्त चित्रकार आचार्य नंदलाल बसु पर शोध के लिए हरि सिंह महाविद्यालय के प्रांगण में आचार्य […]

वर्ष 2003 में हुआ था शिलान्यास, आज तक नहीं जुड़ी एक भी ईंट

हवेली खड़गपुर : खड़गपुर के लाल, अनूठे चितेरे नंदलाल बसु अपने ही शहर में गुमनाम होते जा रहे हैं. देश ही नहीं अंतराष्ट्रीय स्तर के ख्याति प्राप्त चित्रकार आचार्य नंदलाल बसु पर शोध के लिए हरि सिंह महाविद्यालय के प्रांगण में आचार्य नंदलाल बसु कला शोध संस्थान के सभागार निर्माण की नींव रखी गयी. तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति डॉ रामाश्रय यादव द्वारा वर्ष 2003 में बसु शोध संस्थान के सभागार का शिलान्यास किया गया था.
लेकिन डेढ़ दशक बीत जाने के बाद भी नींव स्थल पर एक ईंट भी नहीं जुड़ सकी और वहां बड़े-बड़े घास उग आये. चितेरे कला गुरु नंदलाल बसु की ख्याति राजा रवि वर्मा, प्रसिद्ध चित्रकार पिकासो, लियोनार्ड दिबिची की तरह विश्वविख्यात हुई. मोनालिसा के चित्र की तरह उनके भी चित्र अंतर्राष्ट्रीय स्तर के हैं. वर्ष 2003 में हरी सिंह महाविद्यालय के तत्कालीन प्रभारी प्राचार्य उमेश कुमार उग्र ने तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के सीनेट सदस्य होने के नाते नंदलाल बसु की कलाकृति को खड़गपुर में संरक्षित करने को एक शोध संस्थान तथा नंदलाल बसु म्यूजियम स्थापित करने को सीनेट की बैठक में प्रस्ताव रखा.
जिसे तात्कालिक कुलपति रामाश्रय यादव ने काफी गंभीरता से लिया और उन्होंने सीनेट की बैठक मैं हरि सिंह महाविद्यालय के प्रांगण में नंदलाल बसु सभागार एवं शोध संस्थान स्थापित करने के लिए अनुमोदित कर दिया. 3 दिसंबर 2003 को प्रो. उमेश कुमार उग्र की अध्यक्षता में कुलपति ने रामाश्रय यादव द्वारा आचार्य नंदलाल बसु कला शोध संस्थान एवं सभागार का नींव रखा एवं शिलापट्ट लगाया गया.
महाविद्यालय के संस्थापक पूर्व श्रम मंत्री शमशेर जंग बहादुर तथा खड़गपुर विधानसभा के तत्कालीन विधायक जयप्रकाश नारायण यादव ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया. प्रो. उमेश कुमार उग्र ने सेवानिवृत्त होने के बाद भी विश्वविद्यालय में इस संदर्भ में अपना प्रतिवेदन समय-समय पर देते रहे. लेकिन 14 वर्ष के बाद भी स्थिति ज्यों का त्यों पड़ा हुआ है. स्थानीय रजनीश झा, शंभू केशरी, दीपक यादव, रवि रंजन, अंकित जायसवाल, धनराज सहित दर्जनों छात्र-छात्राओं एवं कला प्रेमियों ने कुलपति से मांग की कि नंदलाल बसु के हरि सिंह महाविद्यालय में रखे नींव को अंतिम रूप देकर एक स्वर्णिम इतिहास रचें.

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