Bihar News: अमूमन होली में लोग घर की ओर आते हैं, लेकिन घर में परिवार के लोगों के साथ होली मनाने के बदले बिहार के मजदूर त्योहार से पहले ही बाहर जाते दिखे. पेट की आग बुझाने और परिवार का भरण-पोषण के लिए प्रतिदिन कोसी क्षेत्र से हजारों की संख्या में मजदूरों का पलायन हो रहा है. होली से पहले दिल्ली, पंजाब, अमृतसर जाने के लिए सहरसा जंक्शन पर श्रमिकों की होड़ लगी रही.
होली से ठीक दो दिन पहले स्टेशन पर कामगारों की भीड़
होली से ठीक दो दिन पहले दिल्ली, पंजाब जाने वाली ट्रेनों में ठूंस-ठूंस कर मजदूर कोसी क्षेत्र से पलायन करते रहे. जिसका सिलसिला जारी ही है. पिछले कुछ दिनों से यही हाल स्टेशनों पर देखा गया. सहरसा से आनंद विहार जाने वाली पुरवइया एक्सप्रेस में एसी, स्लीपर और जनरल कोच मजदूरों से खचाखच भरा था. वहीं सहरसा-अमृतसर गरीब रथ एक्सप्रेस ट्रेन का भी यही हाल था. यानी कि होली से पहले भी दिल्ली, पंजाब जाने के लिए इन ट्रेनों में लंबी वेटिंग लिस्ट रही है.
होली से पहले लौटने की वजह
पूछने पर मजदूर यात्री बताते हैं कि होली के बाद दिल्ली, पंजाब, अमृतसर जाने के लिए ट्रेन नहीं मिलती. सहरसा जंक्शन से जो ट्रेनों का परिचालन किया जा रहा है उसमें मार्च अंत तक लंबी वेटिंग लिस्ट है. ऐसे में ट्रेन नहीं मिलने से पहले ही मजदूरी के लिए निकल पड़े हैं.
रोजाना पांच हजार से अधिक मजदूरों का पलायन
बता दें कि एक तरफ होली त्योहार को लेकर दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, अमृतसर से घर लौटने वाले की ट्रेनों में भीड़ देखी जा रही है, तो वहीं दूसरी तरफ गरीब रथ, वैशाली एक्सप्रेस, पुरबिया एक्सप्रेस, जनसाधारण आदि ट्रेनों में परदेस लौटने वाले श्रमिक यात्रियों की भीड़ भी देखी जा रही है. रोजाना पांच हजार से अधिक कोसी क्षेत्र से मजदूरों का पलायन हो रहा है. दिल्ली, पंजाब जाने वाली ट्रेनों में भीड़ इस कदर हावी होती है कि शौचालय तक में बैठने की जगह नहीं मिलती.
कमायेंगे नहीं, तो खायेंगे क्या
श्रमिक यात्री कहते हैं कि होली के समय घर से परदेस जाना परिवार को छोड़कर अच्छा नहीं लगता है, लेकिन कमायेंगे नहीं तो खिलायेंगे कहां से. परिवार का भरण-पोषण और पेट की आग बुझाने के लिए परदेस तो जाना ही पड़ेगा. होली से पहले इसलिए जा रहे हैं कि ट्रेन में बैठने तक की जगह मिल जायेगी. लेकिन होली के बाद अधिक संख्या में ट्रेन नहीं होने की वजह से ट्रेनों में लंबी वेटिंग लिस्ट जाती है. सहरसा जंक्शन पर दो दिन रुकने के बाद भी दिल्ली, पंजाब, अमृतसर जाने के लिए ट्रेन में खड़े रहने तक की जगह नहीं मिलती है.
Published By: Thakur Shaktilochan