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जिंदगी व मौत से जूझ रही पीिड़ता

मधुबनी : कुछ साल पहले तक आशा पूर्ण स्वस्थ थी. पर अब तो शरीर में केवल हड्डी का ढांचा मात्र रह गया है. लगता ही नहीं कि यह मेरी बेटी है. हमें क्या मालूम कि हम अपनी जिस बेटी को ससुराल भेज रहे हैं वह उसे जानवर की तरह पीटेंगे. यह बात आशा की मां […]

मधुबनी : कुछ साल पहले तक आशा पूर्ण स्वस्थ थी. पर अब तो शरीर में केवल हड्डी का ढांचा मात्र रह गया है. लगता ही नहीं कि यह मेरी बेटी है. हमें क्या मालूम कि हम अपनी जिस बेटी को ससुराल भेज रहे हैं वह उसे जानवर की तरह पीटेंगे. यह बात आशा की मां विमलेश देवी बता रही थी. आशा में इतनी ताकत भी नहीं बची थी कि वह एसपी से जाकर

अपनी व्यथा सुना सके. तीन लोग आशा को गोद में उठाकर एसपी से मिलने गये. विमलेश देवी की मानें तो आशा को इस कदर पीटा गया है कि खाना खाने में भी परेशानी हो रही है और ना ही कोई दवा ही काम कर रहा है. दिन व दिन तिल तिल कर आशा मौत के दहलीज की ओर बढ़ती जा रही है. विमलेश देवी बता रही थी कि पिछले दिनों करीब दस दिन तक डीएमसीएस के आइसीयू में भी आशा का इलाज किया गया है. पर उसके बाद डॉक्टरों ने उसे जवाब दे दिया.

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