टीबी. अब एक घंटे में होगी मरीज की पहचान
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तीन माह में ही मिले 1241 नये मरीज
टीबी. अब एक घंटे में होगी मरीज की पहचान 30 लाख रुपये की लागत से आयी सीबीनेट मशीन मधुबनी : जिले में टीबी मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. ऐसा लग रहा है कि यहां पर सरकार द्वारा चलाये जा रहे डॉट्स काम नहीं कर रहा. आंकड़ों के अनुसार चालू वित्तीय वर्ष […]
30 लाख रुपये की लागत से आयी सीबीनेट मशीन
मधुबनी : जिले में टीबी मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. ऐसा लग रहा है कि यहां पर सरकार द्वारा चलाये जा रहे डॉट्स काम नहीं कर रहा. आंकड़ों के अनुसार चालू वित्तीय वर्ष के पहले तीन माह में ही 1241 मरीज की पहचान टीबी से ग्रसित मरीज के रूप में हुई है. जबकि साल 2012 के पूरे साल में यह आंकड़ा 2242 थी. स्वास्थ्य महकमा इसको लेकर खासे चिंतित है.
पदों में होगा इजाफा
प्रखंडों में ट्रिटमेंट यूनिट खोले जाने के बाद इसमें आवश्यकता के अनुसार पदों में बढोतरी भी होगी. इसके अनुसार 10 एसटीएस, 3 एसटीएमएस प्रयोगशाला प्रोवैद्यिकी पद के कुल 23 पद की आवश्यकता होगी. इसके लिये अपर समाहर्ता के पास अंतिम रोस्टर को प्रकाशित करने के लिये भेजा गया है.
सीबी नट से एक घंटे में आयेगी रिपोर्ट
अब टीबी के मरीजों को बीमारी की जांच के लिए महीनों इंतजार नहीं करना होगा. अब महज एक घंटे मे वे यह जान सकेंगे कि उन्हें टीबी है या नहीं. इसके लिये तीस लाख रुपये की लागत से जापान से नयी तकनीक से बने सीबीनट मशीन को मंगाया गया है. यह मशीन विगत फरवरी माह में ही आ चुका है.
हर प्रखंड में होगी ट्रीटमेंट यूनिट
आने वाले दिनों में टीबी पर रोकथाम लगाने के हर प्रखंड में ट्रीटमेंट यूनिट की स्थापना की जायेगी. इसके लिये सरकार को जिला स्वास्थ्य महकमा ने प्रस्ताव भेजा है. जिसके आधार पर सरकार ने जिले के 9 प्रखंडों में ट्रिटमेंट यूनिट खोले जाने के लिये राशि भी आवंटित कर दी है. जिन प्रखंडों में यह यूनिट खोला जायेगा उसमें बाबूबरही, अंधराठाढी, बासोपट्टी, बेनीपट्टी, खजौली,खुटौना, लौकही, मधवापुर, मधेपुर एवं पंडौल प्रखंड शामिल है. वहीं बेनीपट्टी एवं मधेपुर में टीबी यूनिट की स्थापना हो चुकी है.
हर साल बढ़ रहे मरीज
आंकड़ों के अनुसार हर साल टीबी मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है.
साल मरीजों की संख्या
2012 2242
2013 2272
2014 2298
2015 2429
2016 1241
मरीज को समय से कोर्स पूरा करना होगा
मरीजों की संख्या में निश्चय ही बढ़ोतरी हो रही है. पर लोगों के सहूलियत के लिये लगातार विभाग पहल कर रहा है. हर साल 80 फीसदी मरीज दवा से ठीक हो जाते है. मरीज को समय से और पूरा दवा का कोर्स करना होगा. साथ ही मरीज जहां कहीं भी जायें तो अपना मुंह ढंक कर रखें. ताकि यह बीमारी किसी दूसरे को ना हो.
डाॅ अमरेद्र प्रसाद कर्ण, नोडल अधिकारी
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