मधुबनी : एक ओर सरकार व विभाग किसानों के स्थिति को सुधारने, फसलों की उपज बढ़ाने के दिशा में रोज नयी नयी पहल कर रही है. किसानों को अनुदानित दर पर खाद बीज व उपादान मुहैया करायी जा रही है तो दूसरी ओर विभागीय स्तर पर ही संचालित योनजाओं को पूरा करने में व्यापक तौर पर लापरवाही बरती जा रही है.
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नहीं हुआ थ्रेसिंग फ्लोर का निर्माण
मधुबनी : एक ओर सरकार व विभाग किसानों के स्थिति को सुधारने, फसलों की उपज बढ़ाने के दिशा में रोज नयी नयी पहल कर रही है. किसानों को अनुदानित दर पर खाद बीज व उपादान मुहैया करायी जा रही है तो दूसरी ओर विभागीय स्तर पर ही संचालित योनजाओं को पूरा करने में व्यापक तौर […]
इन योजनाओं को पूरा करने में न सिर्फ उदासीनता बरती गयी है. बल्कि इस नाम पर लाखों का हेराफेरी भी किये जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है. विभाग ने सभी 17 कृषि बीज गुणन क्षेत्र (फार्म हाउस ) में फसल के सुखाने व तैयार करने के लिए थ्रेसिंग फ्लोर योजना लागू किया था. इस योजना के तहत हर फार्म हाउस में 30/20 के लंबाई चौड़ाई में थ्रेसिंग फ्लोर का निर्माण होना था.
इसके लिये विभाग ने प्रति फ्लोर एक लाख एक हजार रुपये स्वीकृत किये थे, लेकिन आलम यह है कि आज तक अधिकांश फार्म हाउस में इसका निर्माण नहीं हो सका है. जहां कहीं फ्लोर का निर्माण किया गया है
वहां शेड का निर्माण नहीं हो सका है. प्रभात खबर जिले के सभी 17 फार्म हाउस का पड़ताल शुरू किया है. इसमें पहले पड़ताल में मुख्यालय से सटे पंडौल में स्थित फार्म हाउस की स्थिति इस
प्रकार है.
कई साल पहले किया गया था निर्माण
पंडौल स्थित बीज गुणन प्रक्षेत्र में निर्मित थ्रेसिंग फ्लोर अब नाम मात्र को रह गया है. इसका निर्माण कई सालों पहले किया गया था. पर सही तरीके से देख रेख व रख रखाव नहीं होने के कारण यह जर्जर होकर टूट गया है.
देखने से ही लगता है कि अब यह कृषि काम के योग्य नहीं है. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार नये थ्रेसिंग फ्लोर के लिये राशि निर्गत की गयी. पर अब तक निर्माण काम शुरू तक नहीं किया जा सका है.
संवेदक ने राशि कहां उपयोग किया इसकी किसी को जानकारी तक नहीं है. अनुमंडल कृषि पदाधिकारी को यह तक नहीं पता है कि उनके अधीन थ्रेसिंग फ्लोर का निर्माण कार्य किया गया है या नहीं. बीएओ को इससे कोई सरोकार ही नहीं है. जिला कृषि पदाधिकारी भी इस दिशा में चुप्पी साधे हैं. हालात यह है कि सरकार द्वारा सरकारी जमीन पर संचालित होने वाली योजना की उनके अपने ही कर्मी अनदेखी कर रहे है.
एक लाख एक हजार रुपये किये गये हैं खर्च
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पंडौल में थ्रेसिंग फ्लोर के निर्माण के लिए संवेदक को एक लाख एक हजार रुपये का भुगतान किया गया था. इसमें 76 हजार रुपये फ्लोर निर्माण व 25 हजार रुपये शेड निर्माण के लिये दिया गया था.
विभागीय अधिकारी बताते हैं कि फ्लोर निर्माण की राशि का भुगतान संवेदक को कर दिया गया है, लेकिन न तो फ्लोर का निर्माण किया गया और न ही शेड का निर्माण किया. सूत्रों की मानें तो पूरी की पूरी राशि का कथित तौर पर हेराफेरी कर दिये जाने की बात सामने आ रही है.
कोई पहल नहीं
इसे विभाग की कथित हेराफेरी में मिलीभगत कहें या फिर उदासीनता या फिर जानकारी का अभाव कि अब तक इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की गयी. न तो इसकी जांच की गयी और न ही निर्माण के दिशा में ही कोई पहल किया गया है. हालात यह हैं कि अनुमंडल कृषि पदाधिकारी को यह तक नहीं मालूम है कि उनके अधीन फार्म हाउस में थ्रेसिंग फ्लोर का निर्माण किया गया है या नहीं.
क्या कहते हैं अधिकारी
अनुमंडल कृषि पदाधिकारी सुधीर कुमार बताते हैं कि योजना की राशि उनके पदस्थापन से पूर्व ही संवेदक को दे दिया गया था, लेकिन
संवेदक द्वारा निर्माण नहीं किया जा रहा है. वहीं, संवेदक मुकेश कुमार से उनके मोबाइल नंबर पर संपर्क
करने की कोशिश की गयी, लेकिन रिंग होने के बाद भी उन्होंने कॉल रिसिव नहीं किया.
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