मधुबनीः जिले में टीबी रोग कहर बरपा रही है. टीबी से जनवरी से सितंबर 2013 तक कुल 1220 नये मरीज मिले हैं. इन सबों को निबंधित कर डॉट की दवा दी जा रही है. इसके अलावे 600 वैसे मरीजों को भी दवा दी जा रही है जिनका पूर्व में इलाज हुआ था पर उन्हें फिर से इलाज की जरूरत हुई. सर्वाधिक मरीज बिस्फी ट्रीटमेंट यूनिट में 318, सदर अस्पताल मधुबनी में 271, बाबूबरही ट्रीटमेंट यूनिट में 250, घोघरडीहा ट्रीटमेंट यूनिट में 231, झंझारपुर ट्रीटमेंट यूनिट में 204 टीबी के मरीजों की पहचान की गई है. कई ऐसे भी जिले में मरीज मिले हैं जिन पर रिफेंपिसीन और आइसोयनाइज्ड दवा का असर नहीं हो रहा है.
ऐसे मरीजों को मल्टी ड्रग रेसिसटेंट टीबी मरीज कहा जाता है. इनके बीमारी की पुष्टि के लिये यहां से पटना के आइआरएल लैब में मरीज का स्पूटम भेजा जाता है. पुष्टि होने पर मरीज को दस दिन ड्रग रेसिसटेंट टीबी सेंटर पटना में रहकर दवा खानी होती है. दवा का रिएक्सन नहीं होने पर मरीज को दस दिन के बाद मधुबनी वापस भेज दिया जाता है. सदर अस्पताल के मल्टी ड्रग रेसिसटेंट दवा भंडार से लगातार दो साल तक दवा दी जाती है. जिले में एमडीआर के 18 रोगी है. इसमें 15 को दवा दी जा रही है. तीन नये एमडीआर संदिग्ध रोगियों की पहचान की गई है, जिसका स्पूटम जांच के लिये पटना भेजा गया है.
प्रभारी जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. हरेंद्र कुमार आलोक ने बताया कि अगर किसी को 15 दिन से खांसी हो, बुखार, कमजोरी, भूख नहीं लगे, बलगम के साथ खून आये तो समीप के सरकारी अस्पताल में इलाज करायें. उन्होंने कहा कि टीबी की दवा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है.