मधुबनीः शिक्षक दिवस करीब आते ही शिक्षकों में उत्साह का माहौल है. इस दिवस पर सम्मान समारोह आयोजित किये जायेंगे जहां अवकाश प्राप्त शिक्षकों को सम्मानपूर्वक भावभीनी विदाई दी जायेगी.उनके सम्मान में भाषणों की गूंज सुनाई देगी.वहीं नियोजित शिक्षक इस दिवस को विश्वासघात दिवस के रूप में भी मनायेंगे. हालांकि सरकार ने नियोजित शिक्षकों के वेतन में दो से तीन हजार रुपये की वृद्धि कर उन्हें संतुष्ट करने की कोशिश की. पर नियोजित शिक्षकों ने इसे धोखा करार देते हुये इसका विरोध करने का निर्णय लिया है. साल 2013 का शिक्षक दिवस पिछले शिक्षक दिवस से कुछ अलग नजर आयेगा. मिड डे मील को लेकर बिहार में बच्चों की मौत से जिले के शिक्षक मर्माहत हैं.
जिले में आये दिन मिड डे मील खाकर बच्चों के बीमार होने की घटना से भी शिक्षक काफी चिंतित नजर आ रहे हैं. वहीं प्राथमिक और मिडिल स्कूलों में गुणवत्ता शिक्षा की चुनौती व शिक्षा के स्तर में आ रही गिरावट ने शिक्षा जगत में विरोधाभास का नया संकट पैदा कर दिया है. यूनिसेफ की उस रिपोर्ट ने जिले में तहलका मचा दी है जिसमें कहा गया कि पांचवीं कक्षा के छात्र भी कक्षा दो के सवाल हल नहीं कर पाते. गणित और भाषा में छात्र छात्राओं की कमजोरी ने तो शिक्षकों को नई चुनौती का सामना करने को विवश कर दिया है. गुणवत्ता कार्यक्रम, सीखें समङों,सतत व व्यापक मूल्यांकन ,शिक्षक प्रगति पत्रक,ग्रेडिंग आदि कई नूतन प्रयोग लागू करने का फरमान जारी कर दिया है. शिक्षकों के निजी ट्यूशन पर रोक लगा दी गई है. प्रारंभिक शिक्षा के उत्थान के लिये बनायी जा रही सरकारी योजनाओं ने शिक्षकों को नये शैक्षणिक परिवेश में ला दिया है. पर फर्जी शिक्षक बहाली के कलंक से जिला अभी तक मुक्त नहीं हो सका है.
फर्जी शिक्षकों पर प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है. वैसे स्कूलों के छात्रों को तब गहरा आघात लगा जब उन्हें जानकारी मिली कि उन्हें जो शिक्षक पढ़ा रहे थे वे फर्जी थे.शिक्षकों के निलंबन का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है. कहीं गैर हाजिर रहने के कारण तो कही उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं देने के कारण शिक्षकों पर गाज गिरने का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है.जिले में उस समय लोग चौंक उठे जब पटना से आई टीम ने जिले के एक शिक्षक पर काफी गंभीर आरोप लगाते हुये उन्हें निलंबित करने की अनुशंसा की. स्कूलों में शैक्षणिक माहौल के अभाव में अब तो बच्चे भी आंदोलन करने लगे हैं. किसी स्कूल में भवन की कमी है तो कहीं शौचालय की. उपस्कर के अभाव में बच्चे फर्श पर बैठ कर पढ़ने को मजबूर हैं.
इस हालात में शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षकों की चिंता लाजिमी है. पर परंपरा का निर्वाह तो होगा ही है. बच्चे प्रभात फेरी निकालेंगे, नारे लगायेंगे.सरकार ने इस दिवस को यादगार बनाने के लिये शिक्षा विभाग को बच्चों के लिये टोकन फलैग भी भेजा है. इसे अपने ड्रेस पर लगाकर बच्चे खुश नजर आयेंगे. पर इतना तो तय है कि इस शिक्षक दिवस पर माहौल बदला बदला नजर आयेगा. खुशी के स ा थ साथ आक्रोश भी उनके चेहरे पर रहेंगे.समय से वेतन नहीं मिलने का दर्द भी नियोजित शिक्षकों के चेहरे पर नजर आयेगा भले ही वह दिखाई न दे. शिक्षिकाओं का दर्द अलग रहेगा. उनकी अपनी पीड़ा है. घर कहीं तो स्कूल कहीं. नियोजित शिक्षिकाओं के सा थ भी यही हाल है. दूरदराज में पोस्टिंग उनके लिये अभिशाप बन गई है.