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रात में यात्रियों को परेशान करते हैं उचक्के

शहर के सरकारी व निजी बस पड़ाव पर यात्री सुविधाओं का घोर अभाव कहने को तो शहर में दो बस स्टैंड हैं. एक सरकारी व दूसरा निजी बस स्टैंड. जहां से हर दिन करीब 100 बसों का परिचालन होता है, लेकिन यात्री की सुविधा के नाम पर यहां कुछ नहीं है. यात्री को न सिर्फ […]

शहर के सरकारी व निजी बस पड़ाव पर यात्री सुविधाओं का घोर अभाव
कहने को तो शहर में दो बस स्टैंड हैं. एक सरकारी व दूसरा निजी बस स्टैंड. जहां से हर दिन करीब 100 बसों का परिचालन होता है, लेकिन यात्री की सुविधा के नाम पर यहां कुछ नहीं है. यात्री को न सिर्फ ठहरने व यात्र के दौरान परेशानी होती है. बल्कि यात्री असुरक्षित भी हैं. रात के समय यहां रुकना खतरे खाली नहीं है.
मधुबनी: जिला से बाहर दरभंगा, पटना सहित अन्य जगहों पर जाने के लिए हर रोज हजारों यात्री जिला मुख्यालय बस पकड़ने के लिए आते हैं. जहां कई बार यात्री को बाहर आने या बाहर जाने के दौरान घंटों बस का इंतजार करना पड़ता है.
यह समय इन यात्रियों के लिए किसी नरक से कम नहीं होता. दरअसल, सरकारी एवं निजी बस स्टैंड पर यात्री सुविधा का घोर अभाव है. स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यात्री के ठहरने के लिये यात्री शेड तक नहीं है. जिला मुख्यालय से खुलने वाली बस जो प्राइवेट एवं सरकारी बस अड्डे से निकलती हैं की भी हालत दयनीय है.
इन बस अड्डों पर यात्री सुविधा के नाम पर कोई इंतजाम नहीं है. प्राइवेट बस स्टैंड दरभंगा महारानी के ट्रस्ट की ओर से चलायी जाती है, वहीं सरकारी बस स्टैंड का नियंत्रण राज्य परिवहन निगम के जिम्मे हैं.
मूलभूत सुविधा का घोर अभाव
सरकारी बस अड्डा में यात्री के पेशाब घर व शौचालय की व्यवस्था नहीं. यहां तो यात्रियों को पीने के लिए चापाकल तक की व्यवस्था नहीं है. यही हाल कमोबेश प्राइवेट बस स्टैंड का भी है. इस बस स्टैंड में यात्री सुविधा के नाम पर मात्र एक चापाकल है. यहां भी शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं है. दूसरे शहरों एवं दूर दराज के गांवों से आने वाले यात्रियों को मूलभूत सुविधा के नहीं रहने से घोर परेशानी का सामना करना पड़ता है.
रात में ठहरने में होती है परेशानी
बस स्टैंड में देर रात को बस से आने वाले यात्रियों को बस स्टैंड में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. यात्री शेड नाम की चीज नहीं है न ही कोई वेटिंग रूम जैसी कोई व्यवस्था है इन बस स्टैंडों में. बस स्टैंड पर यात्री के सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं है. यदि कोई यात्री देर रात बस स्टैंड पर ठहर गये तो फिर उनका भगवान ही मालिक है.
न तो सुरक्षाकर्मी कभी कही नजर आते हैं और न ही कोई निजी सुरक्षा की व्यवस्था ही की गयी है. दूसरे शहर से मधुबनी आने वाले यात्री को जब गांव जाने के लिए दूसरे बस का इंतजार करने के लिए रूकना होता है तब उन्हें मधुबनी रेलवे स्टेशन पर रूकना पड़ता है, क्योंकि रात के अंधेरे में सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी यह जगह उपयुक्त नहीं है.
रात में यात्री नहीं हैं सुरक्षित
निजी व सरकारी बस स्टैंड में देर रात्रि आने वाले यात्री को उचक्के परेशान करते हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि देर रात बस से उतरने वाले यात्रियों के साथ उच्चक्कों की ओर से छीना-झपटी की घटनाओं को भी अंजाम दिया जाता है.
100 बसों का होता परिचालन
प्राइवेट बस स्टैंड से एक सौ छोटी बड़ी बसों का परिचालन होता है. यहां से लंबी दूरी की यात्र के लिए दूर देहात के गांवों से यात्री आते हैं. सिलीगुड़ी, कटिहार, पूर्णिया, पटना, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, जटही नेपाल सीतामढ़ी सहित कई अन्य शहरों के लिए यहां से बस खुलती है. वहीं, सरकारी बस पड़ाव से 18 बसें पटना के लिए खुलती है. सुबह तीन बजकर 50 मिनट से यात्री बस खुलने लगती है, जो रात 10:30 बजे तक विभिन्न समयों पर खुलती हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी
राज्य परिवहन निगम के प्रमंडलीय प्रबंधक शरनानंद झा ने बताया कि दो एकड़ जमीन पर परिवहन निगम के स्टैंड का मामला फिलहाल कोर्ट चल रहा है. उन्होंने कहा कि यात्रियों के मूलभूत सुविधा के लिए उन्होंने परिवहन निगम को लिखा है. निगम की ओर से इस पर आदेश मिलते ही परिवहन निगम के पड़ाव पर यात्री सुविधा बहाल की जायेगी. वहीं, निजी बस पड़ाव के प्रबंधक श्रवण पासवान ने बताया कि बस स्टैंड में सरकारी स्तर पर यात्रियों को कोई सुविधा नहीं है. साथ बस स्टैंड का अतिक्रमण भी कर लिया गया है.

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