मधुबनी : यूरिया खाद की किल्लत दिन व दिन गहराती जा रही है. किसान खाद नहीं मिल पाने की वजह से परेशान हैं. खेत से नमी चली गयी तो फिर खेत में यूरिया की कोई आवश्यकता नहीं रह जायेगी.
वर्षो पुरानी कहावत ह्यका वर्षा कृषि सुखानी समय चूक फिर का पछतानी इन दिनों किसानों के ऊपर सौ फीसदी सही साबित हो रही है. विगत दिनों हुई बारिश व निजी स्नेत से गेहूं का पटवन किया गया. इसके बाद खेत में यूरिया का समय से छिड़काव आवश्यक है.
यदि समय से यूरिया का छिड़काव नहीं किया गया तो उत्पाद पर इसका प्रभाव पड़ेगा, लेकिन यह इस जिले के किसानों का दुर्भाग्य है कि उन्हें अपने खेत में यूरिया का छिड़काव करने के लिए यूरिया नहीं मिल पा रहा है. किसान यूरिया लेने के लिए खाद दुकान के बाहर लंबी कतार में दिन भर लगे रहने को मजबूर हैं.
पहले 2001-02 में हुई थी समस्या
कृषि विशेषज्ञों की माने तो यूरिया खाद की किल्लत वर्षा बाद हुई है. इससे पहले वर्ष 2001-02 में कुछ स्थानों पर खाद को लेकर हंगामा हुआ था. उस दौरान तत्काल स्थिति पर काबू पा लिया गया था, लेकिन इस साल खाद नहीं मिलने की समस्या काफी गंभीर हो चुकी है.
सेटिंग का खेल जोरों पर
खाद को ऊंचे कीमत पर बेचने व कालाबाजारी के मामले को जिला प्रशासन ने गंभीरता से लिया है. इसको लेकर उड़नदस्ता टीम का गठन किया गया, लेकिन इस टीम ने अब दुकानों के साथ सेटिंग कर शुरू कर दिया है. हालांकि दो दिन पहले झंझारपुर के तीन दुकान को ऊंची कीमत पर खाद बेचने के आरोप में सील कर दिया था. इसी आरोप को लेकर रहिका प्रखंड के एक खाद दुकान पर छापेमारी की गयी, लेकिन किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई. जो क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है.
पदाधिकारी की देख रेख में हुई खाद की बिक्री
यूरिया खाद अधिक से अधिक किसानों को मिले इसके लिए विभाग ने व्यापक प्रबंध किये हैं. मंगलवार को मुख्यालय के सोनालिका ट्रेडर्स एवं शुभम ट्रेडर्स पर पदाधिकारी के देख रेख में यूरिया खाद का वितरण किया गया.
क्या कहते हैं अधिकारी
जिला कृषि पदाधिकारी शिलाजीत सिंह ने बताया है कि यूरिया खाद का आवंटन आवश्यकता के अनुसार नहीं किया गया है. इस कारण परेशानी हो रही है.