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शहर में सफाई का काम ठप, 30 टन कचरा फैला

मधुबनी : शहर में सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी है. मंगलवार को लगातार चौथे दिन भी शहर की साफ-सफाई नहीं हो सकी. साफ-सफाई शुरू कराने में नप प्रशासन के पसीने छूट रहे हैं. तो दूसरी ओर शहर प्रति दिन आठ टन कचरा इकठ्ठा कर रहा है. अब तक करीब तीस से बत्तीस टन […]

मधुबनी : शहर में सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी है. मंगलवार को लगातार चौथे दिन भी शहर की साफ-सफाई नहीं हो सकी. साफ-सफाई शुरू कराने में नप प्रशासन के पसीने छूट रहे हैं. तो दूसरी ओर शहर प्रति दिन आठ टन कचरा इकठ्ठा कर रहा है. अब तक करीब तीस से बत्तीस टन कचरा शहर में जमा हो चुका है.

अंदाजा लगाया जा सकता है कि शहर के चौक चौराहा व गलियों का हाल क्या होगा. कचरा पेटी में अब कचरा नहीं फेंका जा रहा है लोग बीच सड़क पर ही कचरा डाल रहे हैं. सरांध से आना जाना भी मुहाल बना हुआ है. लाख प्रयास के बाद भी शहर में सफाई की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की जा सकी.

लगातार चलता रहा बैठक का दौर : सफाई को लेकर नगर परिषद कार्यालय में कार्यपालक पदाधिकारी आशुतोष आनंद चौधरी कर्मियों के साथ लगातार बैठक कर रहे हैं. सोमवार को देर शाम असगर अली नामक कर्मी को सफाई व्यवस्था की जिम्मेदारी दी गयी. पर अब तक किसी प्रकार का कोइ पहल काम नहीं कर सका है. परेशानी कायम है.
नहीं मिले मजदूर : नप प्रशासन ने बैठक कर भले ही सफाइ व्यवस्था को दुरूस्त करने को लेकर बैठक किया, जिम्मेदारी भी दी गयी. पर अब तक सफाई करने वाले मजदूर ही नहीं मिल सका है. मंगलवार को घंटो मजदूर के साथ मान मनौव्वल चलता रहा. पर मजदूर किसी भी सूरत में मानने को तैयार नहीं हुए. मजदूरों का कहना था कि पहले भी नप प्रशासन ने हम लोगों को हर हाल में सात जून को बकाये राशि का भुगतान करने का आश्वासन दिया था. पर निर्धारित तिथि को भुगतान नहीं किया जा सका. ऐसे में दुबारा बिना पैसे का सफाइ का काम नहीं करेंगे. मजदूरो ने इस मामले को लेकर चेतावनी भी दे दिया है. कहा है कि जब तक भुगतान नहीं किया जाता है और दूसरे माध्यम से सफाई किया गया तो पूरे शहर भर को जाम कर दिया जायेगा.
कचरे से पट गया शहर : शहर में प्रतिदिन सात से आठ टन कचरे का उठाव होता है. शहर में सफाई के लिए बने 31 वार्डों में से 26 वार्डों में सफाई का कार्य सरस्वती आर्ट एंड कल्चर सेंटर के साथ एकरारनामा है. तीन दिनों से एनजीओ के मजदूरों द्वारा काम रोक देने के कारण सफाई का कार्य बंद है. अनुमानत: शहर में इन चार दिनों में करीब 30 टन कचरा जमा हो गया है. जिसके कारण शहर के प्रत्येक चौक चौराहों तथा मुहल्ला कचरा से पटा है. गौरतलब हो कि शहर में शनिवार से ही सफाई नहीं हो रहा है.
क्यों नहीं हुआ भुगतान
बिहार सरकार के वित्त विभाग की ओर से एक अप्रैल से सीएफएमएस लागू करने से भुगतान में कठिनाई आ रही है. पिछले दो महीने से नगर परिषद में वित्तीय संकट गहरा गया है. सफाई का कार्य कर रहे एनजीओ को भी इस कारण से भुगतान नहीं हो रहा है. जिसके कारण एनजीओ अपने मजदूरों का भुगतान नहीं कर पा रही है. दो महीने से मजदूरी का भुगतान नहीं मिलने के कारण मजदूरों ने सफाई का काम रोक दिया है.

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