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हाइकोर्ट के फैसले पर भारी डीपीओ का आदेश

आखिर किस बात की मिल रही है सजा, दो वर्ष पूर्व हुआ चयन लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व हाइकोर्ट से मिला आदेश पर है भारती अधर में हाइकोर्ट में डीपीओ पक्षकार लेकिन आदेश की नहीं है जानकारी, समानांतर चल रहा है डीपीओ के यहां वाद मधेपुरा : वर्ष 2014 के नवंबर माह में आंगनबाड़ी सेविका पद […]

आखिर किस बात की मिल रही है सजा, दो वर्ष पूर्व हुआ चयन लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व हाइकोर्ट से मिला आदेश पर है भारती अधर में

हाइकोर्ट में डीपीओ पक्षकार लेकिन आदेश की नहीं है जानकारी, समानांतर चल रहा है डीपीओ के यहां वाद
मधेपुरा : वर्ष 2014 के नवंबर माह में आंगनबाड़ी सेविका पद पर चयनित भारती कुमारी दो वर्ष बीतने के बाद भी जॉब कोर्स प्रशिक्षण नहीं ले सकी. चयन 14 नवंबर 2014 को आम सभा में हुआ. मदनपुर पंचायत के वार्ड नंबर दो स्थित केंद्र संख्या 201 के सेविका पद पर चयन हेतु हो रही इस आम सभा में प्रकाशित मेधा सूची के अनुसार जहां भारती तीसरे नंबर पर थी. पहले नंबर पर पूजा कुमारी की माता के वार्डेन पद पर कार्यरत होने तथा दूसरे नंबर पर मीरा कुमारी के भाई शिक्षक पद पर कार्यरत होने के कारण इस पद पर चयन हेतु नियमावली के अनुसार अयोग्य माने गये. सीडीपीओ मधेपुरा द्वारा चयनपत्र दिया गया.
इसके विरोध में पूजा ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. वहां फैसला भारती के पक्ष में मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ द्वारा किया गया. एक मई 2015 को फैसला किया गया. भारती को सीडीपीओ द्वारा आठ नवंबर 2016 को जॉब कोर्स प्रशिक्षण में भेजने के लिए पत्र दिया गया. लेकिन पुन: सीडीपीओ ने 25 नवंबर को पत्र निकाल कर प्रशिक्षण पर रोक लगाने का आदेश जारी किया. इस बाबत सीडीपीओ ने बताया कि डीपीओ से प्राप्त निर्देश के अनुसार प्रशिक्षण से वापस बुलाने के लिए पत्र दिया गया है.
हाइकोर्ट से निर्णय के बाद भी नहीं मिला न्याय
चयन में असफल रही पूजा द्वारा विभिन्न कार्यालय में पत्र लिख कर अपना पक्ष रखा गया. इसके साथ – साथ पूजा की ओर से उच्च न्यायालय में सीडब्लूजेसी फाइल की गयी. पूजा के परिवाद पत्र के आधार पर जहां सीडीपीओ कार्यालय में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सर्व शिक्षा अभियान से पूजा के माता के मानदेय के बारे में जानकारी मांगी. वहां से बताया गया कि पूजा की मां को 65 सौ रुपये मासिक प्राप्त होते है. इस आधार पर पूजा के दावे को गलत ठहराया गया.
वहीं उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले की सुनवाई कर एक मई 2015 को आदेश पारित किया कि भारती के चयन पत्र को निरस्त करने के लिए कोई उपयुक्त आधार नहीं है.
लिहाजा सीडब्लूजेसी खारिज की जाती है. इस मामले में बिहार सरकार समेत निदेशक आइसीडीएस, सचिव आइसीडीएस, जिलाधिकारी मधेपुरा, डीपीओ मधेपुरा एवं सीडीपीओ मधेपुरा को भी पूजा ने पक्षकार बनाया था. फैसला आने के एक बरस से अधिक समय बाद भी भारती को जॉब कोर्स प्रशिक्षण में नहीं भेजा गया. वर्तमान सीडीपीओ द्वारा जब फैसले की प्रति देखी गयी तो भारती को प्रशिक्षण में भेजने के लिए पत्र जारी किया गया. लेकिन डीपीओ के आदेश के बाद पुन:
सीडीपीओ ने प्रशिक्षण से वापस बुलाने के लिए भी पत्र जारी कर दिया. यह भी गौरतलब है कि हाईकोर्ट में पक्षकार होने के बावजूद डीपीओ कार्यालय में इस मामले में समानांतर न केवल वाद चल रहा है बल्कि पूर्व के डीपीओ द्वारा उसपर स्थगन आदेश देने तक की भी सूचना है.
सीडीपीओ कार्यालय द्वारा उच्च न्यायालय में चले वाद के निर्णय की जानकारी नहीं दी गयी है. उनसे कारणपृच्छा की जा रही है. उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद डीपीओ कार्यालय में वाद का कोई औचित्य नहीं है. न्यायालय के निर्णय के अनुरूप कार्य किया जायेगा.
राखी कुमारी, डीपीओ, मधेपुरा.
डीपीओ से प्राप्त निर्देश के आलोक में प्रशिक्षण से वापस बुलाने के लिए पत्र दिया गया है. हालांकि भारती का चयन पूरी तरह वैधानिक है. भारती के विरोध में मेधा सूची में एक नंबर पर रहने वाली पूजा द्वारा हाइकोर्ट में वाद दायर किया गया था. लेकिन वहां भी पूजा के मां के वार्डेन होने के आधार पर वाद खारिज कर दिया गया.
मंजुला व्यास, सीडीपीओ मधेपुरा

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