गम्हरिया में मंगलवार को हुई अमानवीय घटना एक तरह से प्रशासन की देन थी. अगर प्रशासन सुझबुझ से काम लेती तो गम्हरिया को यह दिन नहीं देखना पड़ता
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प्रशासनिक तानाशाही से सुलग रहा गम्हरिया बाजार
गम्हरिया में मंगलवार को हुई अमानवीय घटना एक तरह से प्रशासन की देन थी. अगर प्रशासन सुझबुझ से काम लेती तो गम्हरिया को यह दिन नहीं देखना पड़ता मधेपुरा : जिले के गम्हरिया बाजार प्रशासन की तानाशाही रवैये से लगातार तीसरे दिन भी सुलग रहा था. गम्हरिया में बुधवार को हालात तो शांतिपूर्ण रहा लेकिन […]
मधेपुरा : जिले के गम्हरिया बाजार प्रशासन की तानाशाही रवैये से लगातार तीसरे दिन भी सुलग रहा था. गम्हरिया में बुधवार को हालात तो शांतिपूर्ण रहा लेकिन दिन भर इस बात का अंदेशा बना रहा की कहीं कोई हंगामा न खड़ा हो जाये. हालांकि पुलिस की चहलकदमी तेज थी. मंगलवार को प्रशासन की तानाशाही कार्रवाई से गम्हरिया बाजार के व्यवसायी वर्ग में आक्रोश देखा जा रहा है.
गम्हरिया में प्रशासन की तानाशाही कार्रवाई का जिले भर में निंदा हो रही है. वहीं न्याय की उम्मीद में धरना दे रहे प्रत्याशी व प्रत्याशी समर्थक के साथ हुए बरर्बता पूर्वक पुलिसिया कार्रवाई ने लोकतंत्र को शर्मशार कर दिया. लोकतंत्र को शर्मशार करने वाली यह घटना प्रशासन की दमनकारी रवैये को उजागर करती है.
इस कार्रवाई के बाद प्रशासन आरोपों में घिरती नजर आ रही है. बहरहाल गम्हरिया की हालात तनावपूर्ण बनी हुई है. अंदर ही अंदर गम्हरिया के लोगों में सुलग रहा आक्रोश कब विस्फोटक रूप धारण कर लेगा यह कहना मुश्किल है.
मत पत्र मिलने की खबर पर जुटी थी भीड़
सोमवार को धरना पर करीब करीब सभी पंचायत के लोग बैठे हुए थे. उस भीड़ में वैसे भी लोग शामिल थे जिन्हें मतपत्र मिलने की बात मालूम हुई. वहां भीड़ ने गम्हरिया अंचलाधिकारी के साथ मारपीट की और एएसएसपी को बंधक बना लिया, लेकिन तब प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की. करीब छह घंटे तक एएसएसपी को बंधक बनाने के बाद रात करीब 11 बजे छोड़ दिया गया और वहां जमी अप्रत्याशित भीड़ समाप्त हो गयी.
दुकान बंद करने तक का नहीं मिला मौका
गम्हरिया में मंगलवार को हुई अमानवीय घटना एक तरह से प्रशासन की देन थी. अगर प्रशासन सुझबूझ से काम लेती तो गम्हरिया को यह दिन नहीं देखना पड़ता. गम्हरिया में सोमवार की तरह कहीं भीड़ नजर नहीं आ रही थी. मंगलवार को अपनी मांगों के समर्थन में प्रत्याशी समर्थकों के साथ शांतिपूर्ण ढंग से धरना दे रहे थे. जबकि पुलिस छावनी में तब्दिल गम्हरिया बाजार पूरी तरह प्रशासन के कंट्रोल में था. चुंकी प्रशासन अपनी शक्ति का प्रयोग बेकसुर लोगों पर कर रही थी.
वहां प्रशासन को वार्ता के लिए पहल करना था लेकिन ऐसा नहीं किया गया. वहीं धारा 144 लागू होने की न तो पूर्व सूचना दी गयी और न ही घोषणा की गयी. प्रशासन ने तानाशाह रवैया अपनाते हुए लोगों को न तो दुकान बंद करने का मौका दिया और न ही बाजार से हट जाने का अवसर.
आरोपों को दबाने में जुट गया प्रशासन
गम्हरिया प्रखंड मुख्यालय के पीछे मुहर लगे मत पत्र मिलने की बात जैसे जैसे प्रखंड क्षेत्र में फैली लोगों का वहां जमावड़ा होने लगा. जबकि प्रखंड के करीब करीब सभी पंचायत के हारे हुए प्रत्याशी समर्थकों के साथ प्रखंड मुख्यालय पर धरना दे रहे थे. उनका आरोप था कि मतगणना में गड़बड़ी की गयी है. धरना पर बैठे दो पंचायत के मुखिया प्रत्याशी ने बताया कि मतगणना के दौरान पूर्णमतगणना की गयी लेकिन पूर्णमतगणना नहीं करा कर चुनाव अभिकर्ता को पीटा गया और धमकाया गया.
कुल मिला कर यह दो तीन मुख्य आरोप लगाये गये है. इन आरोपो का हल जिला पदाधिकारी ने मंगलवार को निकाला और गम्हरिया में लोगों को समझाया भी. लेकिन यह बात सोमवार को हो जाती तो मंगलवार को गम्हरिया बाजार के निवासी पिटने से बच जाते.
कड़ी धूप में लाठीचार्ज का अनुमति मिलते ही पुलिस फोर्स आपा से बाहर हो गयी. तब उनको गम्हरिया बाजार बाजार नहीं रणक्षेत्र दिखने लगा. पुलिस के प्रशिक्षु जवान को जैसे ही वरीय पदाधिकारी का आदेश मिला उन्होंने लोगों को जानवर की तरह पीटना शुरू कर दिया. लाठीचार्ज के बाद भड़की भीड़ पुलिस पर पथराव करने लगी.
बात यहीं नहीं थमी पथराव दोनों तरफ से होने लगा. पुलिस ने हवा में कई राउंड आंसू गैस के गोले भी दागे. बीच सड़क पर प्रदर्शनकारियों के साथ पुलिस भी उपद्रव मचाने में पीछे नहीं रही. पुलिस के द्वारा चलायी जा रही लाठी, ईट व पत्थर आम राहगीरों पर बरस रही थी.
जनाब इसे लाठी तंत्र कहे या गुंडागर्दी
आरोपों को दबाने के लिए प्रदर्शनकारियों पर दंडात्मक कार्रवाई करने का हक प्रशासन को जिसने भी दिया हो लेकिन आम राहगीरों के साथ साथ दुकानदारों के साथ मारपीट करने व दुकानों में तोड़फोड़ करने की इजाजत प्रशासन ने किससे ली थी. गम्हरिया बाजार के लोग प्रशासनिक महकमा से एक ही बात पूछ रही है कि जनाब इसे लाठी तंत्र कहे या गुंडागर्दी.
पीटे गये दुकानों का दर्द उनके जुबानों से निकल रहा है. कृष्णा ढाबा के मालिक व नौकर ने कहा कि जैसे ही लाठीचार्ज होने की सूचना मिली हम लोग दुकान को बंद कर रहे थे. लेकिन तब तक आधा दर्जन की संख्या में पहुंची पुलिस ने होटल में तोड़फोड़ शुरू कर दिया. जब उसे रोकने का प्रयास किया गया तो पीट पीट कर अधमरा कर दिया.
किसके इशारे पर पुलिस ने अपनाया तानाशाह रवैया
मंगलवार को गम्हरिया में हुई घटना की अगर उच्च स्तरीय जांच करायी जाये तो दुध का दुध और पानी का पानी हो जायेगा. प्रखंड मुख्यालय से जैसे ही प्रशासनिक पदधिकारियों का काफिला निकला लोग अपनी अपनी दुकान भी बंद करने लगे. लेकिन दुकान बंद करने में समय लगना तो लाजिमी ही है.
जब बगीचे में लोगों को बिना वार्ता किये ही पुलिस ने खदेड़ना शुरू कर दिया तो माहौल बिगड़ने लगा. यहां तक मामला प्रशासन के हाथ में था. लेकिन वहां किसी पदाधिकारी के इशारे पर पुलिस ने बरर्बता पूर्वक लाठी भांजनी शुरू कर दी. हालांकि चौसा थानाध्यक्ष सुमन कुमार सिंह ने जैसे तैसे पुलिस फोर्स को लाठी चार्ज करने से तत्काल रोक दिया था.
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