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निलंबित कर्मी को 17 लाख भुगतान के मामले ने पकड़ा तूल

निलंबित कर्मी को 17 लाख भुगतान के मामले ने पकड़ा तूल – वार्ड पार्षदों ने कार्यपालक पदाधिकारी के खिलाफ खोला मोरचा- वरीय पदाधिकारी सहित नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव को भेज शिकायत पत्र- बैठक कर वार्ड पार्षदों ने कार्यपालक पदाधिकारी पर लगाया वित्तीय अनियमितता का आरोप फोटो- मधेपुरा 10कैप्शन- उपाध्यक्ष रामकृष्ण यादव की अध्यक्षता […]

निलंबित कर्मी को 17 लाख भुगतान के मामले ने पकड़ा तूल – वार्ड पार्षदों ने कार्यपालक पदाधिकारी के खिलाफ खोला मोरचा- वरीय पदाधिकारी सहित नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव को भेज शिकायत पत्र- बैठक कर वार्ड पार्षदों ने कार्यपालक पदाधिकारी पर लगाया वित्तीय अनियमितता का आरोप फोटो- मधेपुरा 10कैप्शन- उपाध्यक्ष रामकृष्ण यादव की अध्यक्षता में बैठक करते वार्ड पार्षद प्रतिनिधि, मधेपुरानगर परिषद मधेपुरा के संग्रहण कर्मचारी अशोक कुमार यादव का निलंबन समाप्त कर आनन फानन में 17 लाख के भुगतान के मामले ने तूल पकड़ लिया है. नगर परिषद के करीब दो दर्जन वार्ड पार्षदों ने कार्यपालक पदाधिकारी के इस कार्यशैली के खिलाफ मोरचा खोलेत हुए वरीय पदाधिकारी सहित नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव को पत्र भेज कर अविलंब कार्रवाई की मांग की है. वहीं पार्षदों ने बैठक कर कार्यपालक पदाधिकारी के खिलाफ आंदोलन का शंखनाद करते इसकी रूप रेखा तैयार की. रविवार को उप मुख्य पार्षद राम कृष्ण यादव की अध्यक्षता में वार्ड पार्षदों की बैठक आयोजित की गयी. बैठक में पार्षदों ने कहा कि नगर परिषद के निलंबित संग्रहण कर्मचारी अशोक कुमार यादव को तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी लखींद्र पासवान ने अनुशासन हीनता, कार्य में लापरवाही व पार्षद व कर्मियों के साथ अभ्रद व्यवहार करने के कारण निलंबित किया था. इसके अलावा तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा अशोक कुमार के खिलाफ प्रपत्र क भी गठित कर निर्गत किया गया था. लेकिन कार्यपालक पदाधिकारी लखिंद्र पासवान के स्थानांतरण हो जाने के बाद पदस्थापित स्थाीय पदाधिकारी के बार बार अवकाश पर रहने के कारण प्रभारी पदाधिकारी द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गयी. प्रभारी पदाधिकारी ने नियमों को ताक पर रख कर आनन फानन में कर्मी को निलंबन से मुक्त करते हुए वेतन एवं अंतर वेतन की राशि 17 लाख रुपये एक मुश्त भुगतान कर दिया गया. भुगतान की गयी राशि पर न तो सशक्त स्थायी समिति की स्वीकृति प्राप्त की गयी न तो मुख्य पार्षद की सहमति प्राप्त की गयी. हालांकि 12 अगस्त 15 को नगर परिषद की बैठक में सर्वसम्मति से अशोक कुमार यादव को बर्खास्त करने का निर्णय लिया गया था. लेकिन, बर्खास्त नहीं किया गया. मनमाने तरीके से कर्मी को निलंबन से मुक्त कर वेतन व अंतर वेतन एक ही दिन में भुगतान कर दिया गया. बैठक के दौरान वार्ड पार्षदों ने कार्यपालक पदाधिकारी विनय कुमार सिंह के कार्यशैली पर प्रश्न चिह्न खड़ा करते हुए कहा कि आनन-फानन में एक मुश्त राशि का भुगतान करना घोर वित्तीय अनियमितता को दर्शाता है. बैठक में वार्ड पार्षदों ने प्रस्ताव पास कर निर्णय लिया कि वित्तीय अनियमितता करने वाले कार्यपालक पदाधिकारी के खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई के लिए डीएम, आयुक्त, नगर विकास विभगा के प्रधान सचिव को पत्र लिखा जाये. बैठक में उप मुख्य पार्षद के अलावा वार्ड पार्षद ध्यानी यादव, मुकेश कुमार, दिनेश ऋषिदेव, मुकेश कुमार मुन्ना, दुखा महतो, मीरा कुमारी, सुधा कुमारी, वनिता देवी, कमला देवी, रतन देवी, मनोरमा देवी, राहेला कौशर, रेशाम प्रवीण, नुजहत प्रवीण सहित अन्य वार्ड पार्षद मौजूद थे. संचिका गायब करने का लगा था आरोप बैठक की अध्यक्षता करते हुए उपाध्यक्ष राम कृष्ण यादव ने कहा कि अशोक कुमार के खिलाफ न केवल नगर परिषद की सामान्य बोर्ड ने बरखास्तगी का निर्देश पारित किया है बल्कि सशक्त स्थायी समिति भी इस संबंध में निर्णय दे चुकी है. नगर परिषद में कार्यरत अशोक कुमार यादव कर संग्रहक के पद पर कार्यरत थे. उन पर अपनी सेवा पुस्तिका एवं संचिका कार्यालय से गायब कर अपने पास रखने का आरोप है. इसके अलावा कर्त्तव्यहीनता, सरकारी कर्मचारी के आचरण के विरूद्ध कार्य करने, नगर परिषद द्वारा भेजे गये किसी भी नोटिस को ग्रहण नहीं करने, कर संग्रहण वसूली कार्य में नागरिकों को परेशान करने, बिना सूचना के कार्यालय से अनुपस्थित रहने सहित अन्य आरोपों की लंबी फेहरिस्त है. ये आरोप नगर प्रशासन एवं पूर्व कार्यपालक पदाधिकारी ही लागाये गये थे.अशोक के खिलाफ हो चुकी है निलंबन की कार्रवाई वार्ड पार्षद ध्यानी यादव एवं मुकेश कुमार ने कहा कि अशोक यादव से 05 मई 2014 को नगर परिषद ने सेवा पुस्तिका व संचिका कार्यालय में जमा करने का निर्देश दिया. इस बाबत 22 अगस्त 2014 को पुन: नोटिस जारी की गयी. इसे अशोक यादव ने लेने से इनकार कर दिया. तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी ने 18 सितंबर 2014 को अशोक कुमार के आचरण को सरकारी कर्मी के आचार नियमावली के विरूद्ध पाते हुए अनुशासन हीन करार देते हुए प्रपत्र क गठित करने का निर्देश देते हुए बरखास्तगी की कार्रवाई शुरू करने संबंधी कारणपृच्छा की. अशोक कुमार यादव द्वारा 08 अक्टूबर 2014 को प्रपत्र क लेने से इनकार करने तथा पुराने आचरण को दोहराने पर अशोक यादव को निलंबित करने के लिए मुख्य पार्षद से आदेश प्राप्त करने के लिए तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी ने प्रस्तावित किया. तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी ने अशोक पर वित्तीय अनियमितता जैसे गंभीर आरोप की भी चर्चा की. कार्रवाई का लिया गया था निर्णय बैठक में वार्ड पार्षद दिनेश ऋषिदेव व दुखा महतो ने कहा कि अशोक कुमार पर लगातार लगाये गये गंभीर आरोपों के आलोक में उन्हें एक अप्रैल 2014 को निलंबित करने व बरखास्तगी की प्रक्रिया नियमानुसार अपनाने की सहमति मुख्य पार्षद ने दी. वहीं दो दिसंबर 2014 को सशक्त स्थायी समिति की बैठक में जहां अशोक यादव पर विधि सम्मत कार्रवाई का निर्णय लिया गया है. वहीं 12 अगस्त 2015 को नप बोर्ड की सामान्य बैठक में अशोक यादव के कार्यकलाप एवं बोर्ड के आदेश की अवहेलना तथा संचिका में उपलब्ध साक्ष्य के आलोक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि अशोक कुमार को सेवा से बरखास्त कर नगर विकास एवं आवास विभाग पटना को कार्रवाई के लिए लिखा जाये. कार्यपालक पदाधिकारी इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई कर अनुपालन प्रतिवेदन मुख्य पार्षद को प्रस्तुत करेंगे.आनन- फानन में किया गया लाखों का भुगतान वार्ड पार्षद मुकेश कुमार मुन्ना ने कहा कि वित्तीय अधिकार मिलते ही प्रभारी कार्यपालक पदाधिकारी ने 14 दिसंबर को आनन फानन में अशोक कुमार का निलंबन यह कहते हुए वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी कि प्रपत्र की विधिवत सुनवायी नहीं हुई. अशोक कुमार यादव को नोटिस का तामिला नहीं कराया गया. और अशोक कुमार 21 अगस्त से लगातार उपस्थिति पंजी पर हस्ताक्षर कर रहे हैं. जबकि अशोक यादव पर लगाये गये गंभीर आरोपों की लिस्ट में जबरन कार्यालय में घुस कर हाजिरी बनाना भी शामिल है. नियमों को ताक पर रख कर किया गया भुगतान वार्ड पार्षद सुधा कमला देवी ने कहा कि नगर परिषद की संपूर्ण प्रक्रिया या नियमों के पालन के लिए कार्यपालक ही जिम्मेदार होते हैं. नगर पालिका अधिनियम 2011 की कंडिका 11 स्पष्ट करता है कि कार्यपालक पदाधिकारी मुख्य पार्षद के पर्यवेक्षण में कार्य करेंगे और सशक्त स्थायी समिति और बोर्ड द्वारा पारित निर्णय ही मान्य होगा. इसके बावजूद सबकी अवहेलना करते हुए मुख्य पार्षद द्वारा जीपी अर्थात सरकारी वकील से विधि परामर्श प्राप्त करने के मंतव्य को दरकिनार करते हुए प्रभारी कार्यपालक पदाधिकारी ने केवल 26 दिसंबर को अशोक कुमार का निलंबन रद किया, बल्कि उन्हें वेतन तथा अन्य मदों में भारी भरकम 16 लाख रुपये का चेक भी निर्गत कर दिया.

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