मधेपुरा : सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार के द्वारा नामित सात सदस्यीय एक टीम ने मंडल कारा में रह रहे विचाराधीन महिला बंदी की शारीरिक, मानसिक, शिक्षा व स्वास्थ्य की जांच की. टीम में कई विभाग के विशेषज्ञ थे, जिसमें साइकॉलजिस्ट व्याख्याता डॉ अशोक कुमार, महिला चिकित्सक डॉ महाश्वेता, स्वयंसेवी संस्था से गुड्डी देवी, बीईओ यदुवंश यादव, टीएलवी पिंकी कुमारी, अधिवक्ता किरण कुमारी, संध्या कुमारी शामिल थे. जिनका चयन जिला विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष सह जिला व सत्र न्यायाधीश ने किया. दो घंटे तक मंडल कारा में रह रही विचाराधीन महिला कैदी से बारी – बारी से उनके स्वास्थ्य, मानसिक और शारीरिक व शिक्षा की जानकारी ली. मंडल कारा में विचाराधीन महिला बंदी के साथ कोई बच्चा नहीं पाया गया.
जांच के पश्चात मंडल कारा से बाहर आने पर बताया कि जांच का मुख्य उद्देश्य विचाराधीन महिला बंदी और उनके साथ रह रहे बच्चे, अगर बीमार हैं तो उनका इलाज सही से हो रहा है या नहीं, अगर उनके साथ बच्चे हैं तो उनकी शिक्षा हो रही है या नहीं, महिला को केस लड़ने अधिवक्ता है या नहीं, कैद महिला के परिवार में कोई है या नहीं, इन बातों की जानकारी ली गयी. उन्होंने कहा कि टीम के द्वारा जांच की रिपोर्ट जिला विधिक सेवा प्राधिकार को सौंपा जायेगा. जांच में बताया कि मंडल कारा में महिला बंदी के साथ कोई बच्चे नहीं है. सिर्फ सात विचाराधीन महिला थी.