दियारा व टाल के किसान की हालत बन रही दयनीय लखीसराय. रबी फसल उत्पादक किसान प्राकृतिक, वन्य प्राणियों तथा खेत में नमी के अभाव में दोहरे मार से जूझ रहे हैं. जिसके परिणाम स्वरूप किसान की हालत दयनीय बनती जा रही है. फिर भी राज्य सरकार इसके प्रति संवेदनशील नहीं होने से किसानों में काफी आक्रोश व्याप्त है. जिले के दाल का कटोरा कहे जाने वाले बड़हिया टाल में सबसे ज्यादा रबी फसल का उत्पादन होता है. लेकिन इस वर्ष हरूहर एवं गंगा नदियों से 17 सौ हेक्टेयर भूमि डूब नहीं पायी. साथ ही नक्षत्र की अच्छी बारिश नहीं होने से खेतों में नमी बिल्कुल समाप्त हो गयी. सिंचाई के अभाव में किसानों ने अपने अपने खेतों में बोरिंग, चापाकल गाड़ कर खेत की पटवन कर रबी फसल चना, मसूर, केराव, खेसारी, राइ आदि की बुआई की. लेकिन पौधों में वृद्धि नहीं हो पा रही है. जिससे किसान काफी चिंतित हैं. वहीं दियारा क्षेत्र में फैली 12 सौ हेक्टेयर भूमि में किसान प्राकृतिक व वन्य प्राणी के दोहरे मार से त्राहिमाम कर रहे हैं. नक्षत्र की बारिश नहीं होने से पूर्व में खरीफ फसल मक्का, सोयाबीन, धान, मिश्रीकंद, मिर्च आदि फसल बर्बाद हो चुकी है. अब रबी फसल के लिए एक बीघा जमीन में पटवन करने में नौ से 10 घंटा का समय लगता है. जिन किसानों के द्वारा पूर्व में रबी फसल की बुआई की गयी है. उस पर वन्य प्राणी नीलगाय, वन सुअर पौधों को चटका रहे हैं. जिसको लेकर किसान काफी चिंतित है और अपने फसल की रक्षा रात में जाग कर कर रहे हैं. इतना ही नहीं दियारा क्षेत्र में वन्य प्राणी के आतंक से टमाटर, आलू, खरबूजा, ककड़ी, तारबूज आदि की खेती कम मात्रा में हो रही है. इस कारण दियारा के किसानों को प्रत्येक वर्ष हालत दयनीय बनता जा रहा है. इस संबंध में बड़हिया टाल के किसान आशुतोष कुमार ने बताया कि एकमात्र बड़हिया टाल में रबी फसल उत्पादन होता है. लेकिन इस वर्ष किसान दोहरी मार झेल रहे हैं. एक प्रकृति के कारण नक्षत्र की बारिश नहीं होने से टाल के खेतों में नमी नहीं रही. किसानों ने बोरिंग कर खेत में पटवन कर बुआई की तो फसल में वृद्धि नहीं हो पा रही है. जिससे किसान काफी चिंतित हैं. किसान मनोहर सिंह ने बताया कि दुर्भाग्य की बात है कि राज्य का सबसे बड़ा दलहन व तेलहन का भू भाग होने के बावजूद भी राज्य सरकार इसके प्रति संवेदनशील नहीं है. अगर इसके प्रति थोड़ा भी संवेदना जगाती तो यहां का किसान भी खुशहाल हो जाता. राज्य सरकार भी दलहन और तेलहन में आत्म निर्भर हो जाता. साथ ही राज्य के मजदूरों को अन्य प्रदेश कमाने के लिए नहीं जाना होता. किसान संजीव कुमार एवं राम नारायण सिंह ने आक्रोशित शब्दों में कहा कि किसानों के बल पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, एमएलए लोग बनते हैं लेकिन किसान की समस्या भूल कर अपनी समस्या सुख सुविधा के प्रति चिंता करने लगते हैं. अगर बड़हिया टाल के प्रति थोड़ा थोड़ा जन प्रतिनिधि से लेकर मुख्यमंत्री तक ध्यान देते तो पंजाब, हरियाणा की तरह बिहार भी विकसित राज्य में शुमार हो सकता है. दियारा के किसान अनिल कुमार ने बताया कि प्राकृतिक एवं वन्य प्राणियों के दोहरे मार से दियारा के किसान जूझ रहे हैं. दियारा के किसान द्वारा जो फसल लगायी जाती है. उसे नीलगाय, वन सुअर चट कर देता है. जिससे किसान त्राहिमाम में हैं. किसान प्रह्लाद सिंह ने बताया कि वन्य प्राणियों के आतंक से दियारा के किसान आलू, तरबूजा, टमाटर आदि की बुआई करना छोड़ दिया है. जो किसान कोई फसल लगाते हैं तो उनको रात भर वन्य प्राणियों से बचाने के लिए जागरण करना होता है. जिला प्रशासन अगर वन्य प्राणियों से दियारा क्षेत्र को राहत दिला दे तो यहां के किसान खुशहाल हो सकते हैं. प्रखंड कृषि पदाधिकारी बड़हिया सह पिपरिया धर्मेंद्र चौधरी ने बताया कि ठंड एवं रात्रि में ओस नहीं पड़ने के कारण पौधे की वृद्धि नहीं हो पा रही है. ज्योंहि ठंड एवं ओस पड़ना प्रारंभ हो जायेगा, पौधे में वृद्धि होने लगेगी. जहां तक वन्य प्राणी का सवाल है इसके लिए कई बार वन विभाग के पदाधिकारियों को लिखा गया है.
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दियारा व टाल के किसान की हालत बन रही दयनीय
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