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कूड़े का ढ़ेर बना झाझा रेलवे स्टेशन

कूड़े का ढ़ेर बना झाझा रेलवे स्टेशन फोटो : 1 (अस्तित्व विहीन होता रेलवे तालाब)झाझा . प्रखंड मुख्यालय स्थित झाझा रेलवे तालाब रख-रखाव व विभागीय उदासीनता से अपना अस्तित्व खोने के कगार पर है. वर्तमान में तालाब में जमा कचरा से आसपास के वातावरण को प्रदूषित होकर रह गया है. आसपास के लोग तालाब से […]

कूड़े का ढ़ेर बना झाझा रेलवे स्टेशन फोटो : 1 (अस्तित्व विहीन होता रेलवे तालाब)झाझा . प्रखंड मुख्यालय स्थित झाझा रेलवे तालाब रख-रखाव व विभागीय उदासीनता से अपना अस्तित्व खोने के कगार पर है. वर्तमान में तालाब में जमा कचरा से आसपास के वातावरण को प्रदूषित होकर रह गया है. आसपास के लोग तालाब से निकलने वाली सड़ांध दुर्गंध से त्राहिमाम करने लगे हैं. वहीं जलीय जीव भी धीरे-धीरे समाप्त होने के कगार पर है. तालाब में जन्मे जहरीले पौधे व कचरा के कारण मछलियां भी पनप नहीं पा रही है. झाझा स्टेशन के पास शौचालय के नहीं रहने से रेलवे यात्रियों से लेकर अन्य लोग भी तालाब को ही शौच के रूप में प्रयोग करने लगे हैं.जिसके चलते दिनों दिन वातावरण बद से बदतर होता जा रहा है. अवकाश प्राप्त रेलकर्मी सुखदेव ठाकुर ,चुरामन यादव, धर्मेंद्र यादव,शशि कुमार,दिवाकर साव ने बताया कि जब स्टीम ईंजन रेलवे पटरियों पर दौड़ती थी. तब ईंजन में पानी देने के लिए विभाग द्वारा स्टेशनों के बगल में तालाब का निर्माण कराया जाता था. कालांतर में स्टीम ईंजन समाप्त हो गया. तब उसी प्रकार से तालाब की देखभाल भी रेलवे द्वारा नहीं किया जाता है. जिसके चलते तालाब में गंदगियों का अंबार पड़ने लगा. स्थानीय लोग बताते हैं कि तालाब के अस्तित्व विहीन होने से यहां के लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. तालाब की जर्जरता के कारण रेलकर्मी सहित आसपास के लोगों को पर्व-त्योहार में भी परेशानी होने लगा है. लोग बताते हैं इस तालाब की लंबाई-चाड़ौई इतनी अच्छी है कि विभाग इसका जीर्णोद्धार कर इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित कर दे तो झाझा शहर की सुंदरता भी बढ़ जायेगी तथा रेलवे को अच्छा खासा राजस्व भी प्राप्त हो सकेगा. लेकिन विभाग के उच्चाधिकारियों के उदासीन रवैया के चलते तालाब गंदगियों के साथ प्रदूषण फैला रही है.यदि इसी तरह प्रदूषण का बढ़ना बदस्तूर जारी रहा तो रेलवे कर्मी के परिवार सहित आसपास के लोग कई तरह के बीमारी के चपेट में आते रहेगें. कहते हैं स्टेशन प्रबंधक इस बाबत पूछे जाने पर झाझा स्टेशन प्रबंधक एस सोरेन ने बताते हैं कि तालाब की समस्या को लेकर कई बार उच्चाधिकारियों को लिखा गया है. इसके अलावे निरीक्षण में यहां आये उच्चाधिकारियों को भी अवगत कराया गया है.जीर्णोद्धार के बारे में भी बताया गया है. ऊपर से कोई आदेश आने के बाद ही जीर्णोद्धार संभव हो सकेगा.

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