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इस्लाम को जिंदा रखने के लिए मनाया जाता है मुहर्रम – मौलाना रज्जाक

इस्लाम को जिंदा रखने के लिए मनाया जाता है मुहर्रम – मौलाना रज्जाक चंद्रमंडीह. मुर्हरम पर्व असत्य पर सत्य की जीत, समाज में एकता व भाइचारा के साथ रहने का संदेश देता है़ उक्त बाते प्रखंड के बेलबोना निवासी मौलाना रज्जाक बताते हुए कहते हैं कि मुहर्रम पर्व इस्लाम धर्म को जिंदा रखने के लिए […]

इस्लाम को जिंदा रखने के लिए मनाया जाता है मुहर्रम – मौलाना रज्जाक चंद्रमंडीह. मुर्हरम पर्व असत्य पर सत्य की जीत, समाज में एकता व भाइचारा के साथ रहने का संदेश देता है़ उक्त बाते प्रखंड के बेलबोना निवासी मौलाना रज्जाक बताते हुए कहते हैं कि मुहर्रम पर्व इस्लाम धर्म को जिंदा रखने के लिए प्रति वर्ष मनाया जाता है़ हजरत इमामे हसने रजिअल्लाह हो अल्हो रसुल अल्लाह सल्लाहो ताल अलेह वसलम के नवासे हैं. जिन्हांेने इस्लाम के कानुन व कुरान के फरमान को सदा आबाद रखने के लिए अजिद से जंग लड़ा. जबकि इमामे हसन को जंग लड़ने की ख्वाहीस नहीं थी़ इमामे हसन ने अजिद से कहा कि हमारे नाना जान हजरत मो़ सल्लाहो अलेहे वसलम ने जो इस्लाम धर्म का तरिका बताया है अगर तुम इसको मान लो तो हम तुम्हारी बात कबुल कर लेंगें. लेकिन अजिद ने नहीं माना और करबल्ला के मैदान में मो़ सल्लाहो अहेले वसलम के घराने का 72 जान निशार के साथ अजीदी फौजों ने ले ली़ फौजों की तादात बीस हजार से ज्यादा रहने के कारण इतनी सारी लोगों की जाने गयी़ इमामे हसन अपना हक पर अड़े हुए थे. लेकिन लड़ाई शुरु हुई और सात दिनों तक चलती रही़ इस्लाम को जिंदा रखने के लिए भारत के मुसलमानों ने इमामे हसन की शहादत पर मुहर्रम की तारीख पांच से दस तारीख तक गम मनाते हैं और उसके बाद कुरान पढ़कर उनके नाम पर उनकी आत्मा की शांति के लिए गरीबों को खाना खिलाया जाता है़ उन्होंने यह भी कहा कि त्योहार हमें भाईचारे और एकता के साथ रहने का संदेश देता है़

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