मेदनीचौकी : सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न गांवों मिल्की, मुस्तफापुर, टोरलपुर, जकड़पुरा, खांड़ पर, मानूचक, आदि गांवों में मछुआरों की आबादी आजादी के 68 वर्ष बाद भी बुनियादी सुविधा पाने से वंचित है.
ये गरीबी , गंदगी और अशिक्षित की जिंदगी जीने को अभिशप्त है. इनकी स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. इनके लिए अभी तक किसी ने भी कुछ नही किया है. विकास की धारा से कटे हैं.
यहां गरीबी है, झोपड़ी में आज कुछ परिवार के लोग रह रहे है. इन्हें इंदिरा आवास की सुविधा नही मिल पायी है. इनकी भूख और कुपोषण की ओर किसी ने ध्यान नही गया. इनका मुख्य धंधा मछली मारना है.
गरखै नदी पर गोंदरी पुल के समीप बांध बंन जाने से इनका पेशा बुरी तरह प्रभावित हुआ है. किऊल नदी होकर गरखै नदी में पानी नही आता है. पहले गंगा का पानी आने से उसके साथ मछलियां भी बह कर आ जाया करती थीं.
अब एक मात्र आस जिवोरा पर है. गरखै नदी का पानी सड़ गया है. इससे मछलियों में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो पाती है. मछुआरे नाव लेकर नदी में निकल पड़ते हैं. वे मछलियों की खोज में रात भर जागते हैं. उन्हें रोज के गुजारे की चिंता है. जाल में फंसी मछलियों को लेकर पुरुष व महिलाएं मंडी चले जाते हैं. उसकी बिक्री से घर का चूल्हा जलता है. अधिकतर मछुआरे दारू पीते हैं. कल की इन्हें कोई चिंता नहीं. बस आज पर भरोसा है.