दिघलबैंक : मवेशी तस्करी एवं असामाजिक तत्वों के रोकथाम को लेकर भारत नेपाल की सीमा पर तैनात एसएसबी द्वारा काफी चौकसी बरती जा रही है.आये दिन सीमावर्ती क्षेत्र में नाका, पेट्रोलिंग के अलावे नेपाल के पुलिस अधिकारियों एवं एपीएफ जवानों के साथ भी एसएसबी जवान संयुक्त गश्ती की जा रही है. ताकि सीमावर्ती क्षेत्र में कोई असामाजिक तत्व इसका फायदा न उठा सके.
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इंडो-नेपाल सीमा पर संयुक्त गश्त तेज, तस्करों व असामाजिक तत्वों पर रखी जा रही है विशेष नजर
दिघलबैंक : मवेशी तस्करी एवं असामाजिक तत्वों के रोकथाम को लेकर भारत नेपाल की सीमा पर तैनात एसएसबी द्वारा काफी चौकसी बरती जा रही है.आये दिन सीमावर्ती क्षेत्र में नाका, पेट्रोलिंग के अलावे नेपाल के पुलिस अधिकारियों एवं एपीएफ जवानों के साथ भी एसएसबी जवान संयुक्त गश्ती की जा रही है. ताकि सीमावर्ती क्षेत्र में […]
और पूरे देश में अमन और शांति बना रहे. इसी के मद्देनजर सोमवार को एसएसबी 12 वीं वाहिनी की ई कंपनी सिंघीमारी के जवानों ने परोसी मित्र राष्ट्र नेपाल के गौरीगंज एपीएफ जवानों के साथ सीमा पर संयुक्त पेट्रोलिंग की. दोनों देश के अधिकारियों ने भारत नेपाल सीमा पर स्थित बॉर्डर पीलर की सुरक्षा एवं सीमा पर बढ़ रहे अतिक्रमण और सीमावर्ती क्षेत्र से होने वाले घुसपैठ को रोकने के लिए पहल की.
जानकारी देते हुए ई कंपनी प्रभारी इंस्पेक्टर जसवीर सिंह ने बताया कि सीमावर्ती क्षेत्र में आतंकी गतिविधियों एवं असामाजिक तत्वों पर रोक लगाने के लिये भारत नेपाल सीमा पर तैनात एसएसबी के जवानों ने कमर कस ली है. इसी क्रम में एसएसबी एवं नेपाली एपीएफ के साथ सीमा पर संयुक्त पेट्रोलिंग कर सीमा का हाल जाना.
दोनों देश के जवानों ने बॉर्डर पर पिलर संख्या 139 से 142 के समीप पलसा, डाकुपाड़ा, बूढ़ी कनकई नदी के बीचों बीच तक करीब चार किलो मीटर पैदल पेट्रोलिंग किया. साथ ही दोनों देश के अधिकारियों ने आपस में अपनी तालमेल भी बेहतर की. संयुक्त पेट्रोलिंग में नेपाल के एपीएफ इंस्पेक्टर शायमन श्रेष्ठ ने बताया कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से वह सीमा पर हर संभव सहयोग करने को तैयार है. इस पेट्रोलिंग में एसएसबी सहित नेपाल के दर्जनों जवान शामिल थे.
इंडो-नेपाल सीमा पर स्थित गलगलिया स्टेशन उपेक्षा का शिकार
गलगालिया.भारत- नेपाल सीमा के काफी नजदीक होने के कारण गलगलिया स्टेशन पर आसपास के क्षेत्रों से लोग ट्रेन पकड़ कर गतंव्य स्थानों की ओर जाते है. फिर भी रेल प्रशासन के द्वारा इस स्टेशन की उपेक्षा जारी है. यात्रियों की समस्याओं में दिनों-दिन बढ़ोतरी हो रही है़ इस स्टेशन पर यात्री सुविधाओं का घोर अभाव है़ इस स्टेशन की महत्वपूर्ण समस्या पेयजल की कमी है.
एक चापाकल है उसी से यात्री अपनी प्यास बुझाते है. गलगालिया रेलवे स्टेशन से दिल्ली, पटना, कोलकाता मुंबई आदि गंतव्य स्थानों पर जानेवाले हजारों यात्री यहां से यात्रा करते हैं. इससे रेलवे प्रशासन को इस स्टेशन से अच्छी-खासी आमदनी होती है़ प्रत्येक माह रेलवे को लाखों रुपये की आय देने के बावजूद इस स्टेशन को रेलवे द्वारा कोई तरजीह नहीं दी जा रही है.
वही ब्रिटिश शासन काल में इस स्टेशन का काफी महत्व था. भारत- नेपाल के बीच रोटी बेटी के संबंध के कारण स्टेशन यात्रा करने वाले लोगों की संख्या दिनों दिन बढ़ रही है एवं रेलवे के राजस्व में भी इजाफा हो रहा है. इसके बावजूद यह स्टेशन उपेक्षा का शिकार बना हुआ है़
गलगलिया रेलवे स्टेशन से मात्र डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर भारत नेपाल सीमा का अंतरराष्ट्रीय मेची पुल है और व्यापारिक दृष्टि से देखा जाये तो एक ना एक दिन गलगलिया रेलवे स्टेशन अच्छे मुकाम पर होगी. गलगलिया रेलवे स्टेशन पर बालूरघाट एक्सप्रेस ट्रेन नहीं रुकती है.गलगलिया के लोगों ने कटिहार डीआरएम को कितनी बार लिखित आवेदन दिया. लेकिन आज तक गलगलिया रेलवे स्टेशन पर इस ट्रेन का ठहराव नहीं है. जिससे लोगों को किशनगंज आने के लिए ठाकुरगंज स्टेशन आना पड़ता है जो 10 किलोमीटर की दूरी पर है.
रेलवे स्टेशन की चौहद्दी गलगलिया रेलवे स्टेशन के पूरब में पश्चिम बंगाल के अधिकारी रेलवे स्टेशन अवस्थित है वहीं पश्चिम में भारत नेपाल सीमा पर बहने वाली नदी अवस्थित है वही गलगलिया स्टेशन के उत्तर दिशा में अंतरराष्ट्रीय भारत नेपाल का पुल अवस्थित है गलगलिया रेलवे स्टेशन के दक्षिणी छोड़ पर गलगलिया बाजार भारतीय स्टेट बैंक डाकघर वही एक उच्च विद्यालय अवस्थित है.
गलगलिया रेलवे स्टेशन पर व्यापार की अपार संभावनाएं है गलगलिया रेलवे स्टेशन जब छोटी लाइन थी तो रेलवे स्टेशन पर क्रॉसिंग लाइन हुआ करती थी जब से बड़ी लाइन बनी है तबसे गलगलिया स्टेशन सिंगल लाइन ही है. अगर भारत नेपाल सीमा पर स्थित स्टेशन को अत्याधुनिक स्वरूप दिया जाये तो इसकी अपनी एक विशिष्ट पहचान बनेगी.
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