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अल्ट्रासाउंड प्रकरण : दस दिन बाद भी प्राथमिकी नहीं

किशनगंजः राधिका अल्ट्रासाउंड प्रकरण के दस दिन बीत जाने के बाद गुरुवार को भी स्थानीय स्वास्थ्य विभाग द्वारा न्यायालय में प्राथमिकी दर्ज न किये जाने से अब स्थानीय लोग भी सिविल सजर्न की कार्यप्रणाली के खिलाफ अंगूली उठाने लगे है. जबकि गत 2 जून को जिला सलाहकार समिति की बैठक के दौरान राधिका अल्ट्रासाउंड के […]

किशनगंजः राधिका अल्ट्रासाउंड प्रकरण के दस दिन बीत जाने के बाद गुरुवार को भी स्थानीय स्वास्थ्य विभाग द्वारा न्यायालय में प्राथमिकी दर्ज न किये जाने से अब स्थानीय लोग भी सिविल सजर्न की कार्यप्रणाली के खिलाफ अंगूली उठाने लगे है. जबकि गत 2 जून को जिला सलाहकार समिति की बैठक के दौरान राधिका अल्ट्रासाउंड के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्णय ले लिया गया था.

स्थानीय लोगों के द्वारा लगाये जा रहे आरोपों से जिलाधिकारी द्वारा सीएस की संदिग्ध भूमिका की जांच के लिए गठित टीम के सदस्य भी सहमत है. जांच टीम के सदस्य अपर समाहर्ता वीरेंद्र कुमार मिश्र व एसडीपीओ महेश प्रसाद ने जिलाधिकारी को सौंपे गये जांच रिपोर्ट में इसकी पुष्टि कर दी है. प्रभात खबर सहित अन्य दैनिक अखबारों में प्रकाशित संबंधित खबरों के अवलोकन तथा संबंधित पक्षों के साथ की गयी पूछताछ के बाद जांच टीम के सदस्यों ने जिलाधिकारी को सौंपे गये रिपोर्ट में सीएस को पीसी एंड डीएनडीटी एक्ट 1994 की धारा 3(2) के उल्लंघन के दोषी के साथ साथ अल्ट्रासाउंड सेंटर में डॉक्टर की अनुपस्थिति में मरीजों का अल्ट्रासाउंड रक रहे दो टेक्नीशियनों को पकड़ कर स्थानीय लोगों के द्वारा पुलिस को सौंपने के बावजूद स्थानीय थाने में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज न कराने का भी दोषी पाया है.

इतना ही नहीं घटना की जानकारी मिलने पर घटनास्थल पर दलबल के साथ पहुंचे थानाध्यक्ष को भी सीएस ने सीजेएम प्रथम श्रेणी के न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष रिपोर्ट दर्ज करने की बात कह बैरंग लौटा दिया था. नतीजतन पुलिस के गिरफ्त में आने के बावजूद दोनों टेक्नीशियन को मात्र बांड भरा कर पुलिस को उन्हें छोड़ देना पड़ा था. जबकि मामले की जांच के लिए पहुंचे एसडीपीओ मो कासीम को भी सीएस ने अल्ट्रासाउंड सेंटर की रूटीन जांच की बात कही थी. इतना ही नहीं गत 27 मार्च को राधिका अल्ट्रासाउंड सेंटर की जांच के दौरान सेंटर द्वारा बरती जा रही घोर अनियमितता के बाद सीएस ने सेंटर को तो सील कर दिया परंतु जिलाधिकारी सह अध्यक्ष जिला स्वास्थ्य समिति को इसकी जानकारी तक देना मुनासीब नहीं समझा. जांच टीम के सदस्य जब सिविल सजर्न की भूमिका की जांच के लिए उनसे मिलने पहुंचे तो वे गायब मिले.

हालांकि सदस्यों द्वारा दूरभाष पर संपर्क करने पर उन्होंने पटना में आयोजित बैठक में भाग लेने की बात कही थी. जबकि सील करने व सीजर इत्यादि कागजात के संबंध में जानकारी मांगने पर उन्होंने प्रधान लिपिक के जिम्मे सामानों के रहने की बात कहीं तथा प्रधान लिपिक के भी अवकाश में रहने की जानकारी दी. अपनी जांच रिपोर्ट में टीम ने स्पष्ट शब्दों में उल्लेख किया है कि सिविल सजर्न द्वारा राधिका अल्ट्रासाउंड सेंटर के निरीक्षण के क्रम में प्रथम दृष्टया अनियमितता पाये जाने, व्यक्ति द्वारा डॉ वरूण कुमार के रूप में अल्ट्रासाउंड का कार्य किये जाने एवं विभिन्न अल्ट्रासाउंड के रिपोर्ट में डॉ वरुण कुमार के हस्ताक्षर में भिन्नता पाये जाने के बावजूद सीएस द्वारा सभी मामलों की अनदेखी करना तथा दोषी के विरुद्ध किसी भी प्रकार की कार्रवाई न करने से स्पष्ट होता है कि सीएस द्वारा साक्ष्य मिटाने एवं दोषी व्यक्तियों को बचाने का प्रयास किया गया है. जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपे जाने के बाद अब गेंद जिलाधिकारी के पाले में है तथा स्थानीय लोग जिलाधिकारी द्वारा सीएस के विरुद्ध की जाने वाली कार्रवाई की ओर टकटकी लगाये बैठे हैं.

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