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बाढ़ खत्म, पटरी पर लौटने लगी जिंदगी

टेढ़ागाछ : स्थानीय प्रखंड का चिल्हनिया, बीबीगंज कालपीर, डाकपोखर, धबेली, भौराहा, हटगांव, खनियाबाद, मटियारी, हवाकोल, बैगना पंचायत के अलावा मटियारी के माली टोला, धाधर, बलुआडांगी, मूढ़ी टोला बीबीगंज, खनिबाद टोला, बेगना सरपंच टोला, लोधाबाड़ी, सुनसनी, हवाकोल गांव, मुशहरी टोला, खजूरबाड़ी गांव रतुआ व कनकई नदी के उफा जाने से जलमग्न हो गया था. लोगों के […]

टेढ़ागाछ : स्थानीय प्रखंड का चिल्हनिया, बीबीगंज कालपीर, डाकपोखर, धबेली, भौराहा, हटगांव, खनियाबाद, मटियारी, हवाकोल, बैगना पंचायत के अलावा मटियारी के माली टोला, धाधर, बलुआडांगी, मूढ़ी टोला बीबीगंज, खनिबाद टोला, बेगना सरपंच टोला, लोधाबाड़ी, सुनसनी, हवाकोल गांव, मुशहरी टोला, खजूरबाड़ी गांव रतुआ व कनकई नदी के उफा जाने से जलमग्न हो गया था. लोगों के घरों से पानी निकल चुका है. प्राय: सभी लोग स्कूल, सामुदायिक भवन, सड़क से अपना डेरा तोड़ अपने-अपने घर लौट आए हैं.

कुछेक लोग सड़क पर अभी भी हैं. क्योंकि उनका घर भी गिर चुका है. इस त्रासदी में सर्वाधिक पीड़ित मालिन टोला और बलुआडांगी गांव के लोग हैं. शिविर भी अब बंद होने लगे हैं. दो वक्त का भोजन बाढ़ पीड़ितों को राहत शिविर में मिल रहा था. अब जब राहत शिविर बंद किए जाने की सूचना मिली है तो बाढ़ पीड़ितों के समक्ष भोजन की ¨चिंता सताने लगी है. बलुआडांगी गांव कालू लाल यादव कहते हैं कि 60 वर्ष की उम्र में ऐसी त्रासदी हमने नहीं देखी थी. हमारे गांव में आज तक न तो कोई राहत सामग्री मिली है और न कोई देखने आया है.

कहीं मत जाना, राहत के लिए नाम लिखाना : डाकपोखर पंचायत के वार्ड संख्या 13 बलुआडांगी काशी बाड़ी गांव. इस गांव में सभी लोग अपने घरों में लौट आए हैं. अधिकांश लोगों का फूस का घर था. पानी के दबाव को झेल नहीं पाया. किसी का घर टेढ़ा – मेढ़ा हुआ तो किसी घर धाराशायी हो गया. उसे ठीक करने की जद्दोजहद चल रही है. घर की महिलाएं एक सप्ताह से घर में जमे पानी के बाद बाढ़ के साथ आए कीचड़ को निकाल रही हैं. सभी अपने – अपने कामों में व्यस्त हैं. लेकिन उनकी नजरें उसे शख्स को तलाश रही है, जो बाढ़ पीड़ितों का सर्वे करने के लिए आना वाला है. गांव सोमे बेसरा और जहीरूद्दीन नदी किनारे बांस झाड़ के नीचे बैठे है. चारों तरफ जल जमाव का नजरा दिख रहा है. इन्होंने बताया कि रात में वार्ड सदस्य ने बताया था कि सुबह में बाढ़ पीड़ितों का सर्वे करने के लिए ब्लॉक से बाबू आने वाले हैं. मवेशी के लिए चारा लाने जाना था. लेकिन नहीं गये. क्योंकि राहत के लिए नाम लिखाना जरूरी है. बाढ़ में सबकुछ बह गया है, अब तो प्रशासन से मिलने वाली मदद पर ही भरोसा है.
राहत के नाम पर गांवों में राजनीति: बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत मुहैया कराने कराने के लिए सर्वे करने के लिए ब्लॉक से टीम आने वाली है. इसकी सूचना मिलने के साथ ही गांव में एक बारगी राजनीति शुरू हो गई है. चूंकि राहत सर्वे के लिए टीम आने वाली है. इसकी सूचना सबसे पहले पंचायत के प्रतिनिधियों को मिल रही है. वे अपने शुभ ¨चिंतकों को सूचित कर देते हैं. जिन लोगों ने पंचायत के चुनाव में जीते हुए प्रत्याशियों के खिलाफ मतदान किया था. वैसे प्राय: लोगों को सर्वे टीम आने की सूचना ही नहीं मिल रही है. हालांकि कई गांवों में सर्वे टीम की तत्परता की वजह से गंवई राजनीति की वजह से वंचित लोगों का नाम भी सर्वे सूची में दर्ज किया जा चुका है. लेकिन कुछेक गांवों से ऐसी सूचना मिल रही है कि बाढ़ पीड़ित मवेशी के लिए चारा लेने गए थे. उनके घर पर कोई नहीं था. ऐसे में उनका नाम सर्वे सूची में दर्ज नहीं किया गया.
बाढ़ पीड़ितों के बीच राहत का वितरण : छत्तरगाछ. पोठिया प्रखंड बाढ़ प्रभावित बुधरा पंचायत के वार्ड नंबर 14 में बाढ़ राहत वितरण के अंतिम चरण में गुरुवार को त्रिस्तरीय पंचायत के जनप्रतिनिधियों ने बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री का वितरण किया. मुख्यालय स्थित पंचायत होने के बाद भी राहत सामग्री वितरण में देरी से वार्ड नंबर 14 के पीड़ितों के बीच प्रशासन के प्रति आक्रोश पनप रहा था. जनप्रतिनिधियों के अथक प्रयास के बाद सही समय पर पीड़ितों के बीच राहत सामग्री का वितरण करवा कर लोगों के उम्मीद को टूटने नहीं दिया. स्थानीय प्रशासन की ओर टकटकी लगाए बैठे वार्ड नंबर 14 के वासियों को जनप्रतिनिधियों के प्रयास से आखिरकार राहत सामग्रियों का वितरण किया गया. इस मौके पर बुधरा पंचायत मुखिया प्रतिनिधि संजय उपाध्याय, पंचायत समिति सदस्य नंद लाल साहा, वार्ड सदस्य प्रतिनिधि खोगेन राय, जुल्फिकार आलम तथा दर्जनों ग्रामीण उपस्थित थे.

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