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परियोजना अधर में लटकने पर लोगों ने जताया अफसोस

ठाकुरगंज, किशनगंजः सात वर्ष पूर्व शिलान्यास की गयी गलगलिया अररिया रेल परियोजना क्षेत्र के विकास में मील का पत्थर साबित हो सकती थी. तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव द्वारा 17 सितंबर 2007 को इस परियोजना की आधारशिला रखी गयी. यूपीए वन में शुरू हुई यह परियोजना यूपीए-टू में ठंडे बस्ते में डाल दी गयी. […]

ठाकुरगंज, किशनगंजः सात वर्ष पूर्व शिलान्यास की गयी गलगलिया अररिया रेल परियोजना क्षेत्र के विकास में मील का पत्थर साबित हो सकती थी. तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव द्वारा 17 सितंबर 2007 को इस परियोजना की आधारशिला रखी गयी. यूपीए वन में शुरू हुई यह परियोजना यूपीए-टू में ठंडे बस्ते में डाल दी गयी. सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण इस परियोजना में सात वर्षो के दौरान रेलवे अब तक भूमि का अधिग्रहण तक नहीं कर पाया. इस मामले में जिला प्रशासन की भूमिका भी काफी शिथिल रही.

101 किमी लंबी इस परियोजना में अब तक दुराघाटी के समीप मेची नदी पर एक पुल का निर्माण कार्य ही हो पाया है. पूर्व सांसद तस्लीमुद्दीन के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में चिह्न्ति यह परियोजना उनके कार्यकाल में शुरू हुई. पिछले लोकसभा चुनाव में चुनावी फायदा के उद्देश्य से शुरू हुई इस परियोजना में कार्य एक पुल निर्माण से आगे नहीं बढ़ पाया.

529 करोड़ की लागत के इस परियोजना के पूरे होने से अररिया-किशनगंज जैसे पिछड़े जिले में ठाकुरगंज दिघलबैंक, बहादुरगंज, टेढ़ागाछ एवं अररिया के सिकटी, जोकीहाट, कुर्साकांटा, पलासी, रेल मार्ग से जुटते ही यह मार्ग पूर्वोत्तर राज्यों को शेष मार्ग से जोड़ने के लिए मुरादाबाद लखनऊ-दरभंगा-मुजफ्फरपुर-फारबिसगंज-अररिया-ठाकुरगंज-सिलीगुड़ी होकर नया मार्ग उपलब्ध करवाता.

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