कार्रवाई. आर्य कन्या उच्च विद्यालय में फर्जी बहाली पर विभाग सख्त
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तीन सदस्यीय टीम करेगी जांच
कार्रवाई. आर्य कन्या उच्च विद्यालय में फर्जी बहाली पर विभाग सख्त आर्य कन्या उच्च विद्यालय प्रकरण में 56 कर्मियों की फर्जी बहाली प्रकरण की जांच के लिये राज्य स्तर से तीन सदस्यीय टीम का गठन कर जांच के आदेश दिये गये हैं. विद्यालय प्रबंध समिति के सचिव की शिकायत पर शिक्षा विभाग के उपसचिव ने […]
आर्य कन्या उच्च विद्यालय प्रकरण में 56 कर्मियों की फर्जी बहाली प्रकरण की जांच के लिये राज्य स्तर से तीन सदस्यीय टीम का गठन कर जांच के आदेश दिये गये हैं. विद्यालय प्रबंध समिति के सचिव की शिकायत पर शिक्षा विभाग के उपसचिव ने टीम गठित कर सात दिनों के अंदर जांच रिपोर्ट तलब किया है.
खगड़िया : आर्य कन्या उच्च विद्यालय प्रकरण की जांच राज्य स्तर गठित तीन सदस्यीय टीम करेगी. शिक्षा विभाग के उप सचिव ने अपर सचिव स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम गठित करते हुए सात दिनों के अंदर पूरे प्रकरण की जांच कर रिपोर्ट तलब किया है. आर्य कन्या उच्च विद्यालय के प्रबंध समिति के सचिव नीलकमल दिवाकर की शिकायत पर शिक्षा विभाग के सचिव ने सख्ती दिखाते हुए राज्य स्तरीय टीम से जांच को हरी झंडी दिया था.
जिसके बाद गठित जांच टीम में शिक्षा विभाग के अपर सचिव विनोद कुमार सिंह, माध्यमिक शिक्षा में प्रतिनियोजित पदाधिकारी मो एमएच मंसूरी, अवर सचिव(स्थापना) अरुण कुमार शामिल हैं. इधर, पूरे मामले में राज्य स्तरीय टीम के द्वारा जांच की खबर से जिला शिक्षा विभाग में हड़कंप व्याप्त है. इधर, जिला प्रशासन की कार्रवाई से बचने के लिये उच्च न्यायालय में याचिका दायर किया गया है. इन्हीं सभी बिंदुओं पर उच्च न्यायालय का ध्यान आकृष्ट कराते हुए प्रशासन ने प्रतिशपथ पत्र दायर किया है. इसी आलोक में जिला प्रशासन ने उच्च न्यायालय में प्रतिशपथ दायर कर दिया है. जिसमें कई अहम गड़बड़ी की ओर उच्च न्यायालय का ध्यान आकृष्ट कराया गया है.
2012 में पद सृजन के लिये भेजा पत्र, 2009 में हो गयी बहाली
विद्यालय के प्रबंध समिति के सचिव श्री दिवाकर द्वारा शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को सौंपे गये पत्र में कई बिंदुओं पर प्रकाश डालते हुए बहाली से लेकर फर्जीवाड़े के सहारे वेतन भुगतान में गड़बड़ी पर से परदा हटाया है. नियमत : किसी भी सरकारी महकमे में बहाली के लिये पहले पद सृजन की अनुमति शिक्षा निदेशक से लेना अनिवार्य है. इसके बाद अखबार में विज्ञापन दिया जाना चाहिये. लेकिन आर्य कन्या उच्च विद्यालय में 56 शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की भरती में ये सारे नियम कायदे ताक पर रख दिये गये. महज विद्यालय के नोटिस बोर्ड पर सूचना चिपका कर बहाली कर ली गयी. शिक्षा निदेशक से पद सृजन की स्वीकृति नहीं ली गयी और ना ही विद्यालय में बहाली का अनुमोदन लिया गया. नियुक्ति की संपुष्टि अभी तक विभाग से नहीं मिली है. इन सरकारी प्रक्रिया पूरा किये बिना ही फर्जीवाड़ा के सहारे बहाल कर्मियों का समायोजन दिखा कर वेतन की निकासी भी कर ली गयी. ऐसे में सवाल उठता है कि जब तत्कालीन डीइओ द्वारा वर्ष 2012 में पद सृजन के अनुमोदन के लिये पत्र भेजा गया तो बहाली 2009 में कैसे कर ली गयी? महज नोटिस बोर्ड पर सूचना चिपका कर क्या सरकारी महकमे में कोई बहाली कैसे हो सकती है.
शिक्षा विभाग के उपसचिव ने तीन सदस्यीय टीम गठित कर सात दिनों के अंदर जांच कर मांगी रिपोर्ट
पूरे प्रकरण में पूर्व व वर्तमान डीइओ व तत्कालीन डीपीओ की भूमिका पर भी उठ रहे कई सवाल
2012 में पद सृजन के लिये शिक्षा निदेशक को भेजा गया पत्र लेकिन 2009 में ही हो गयी बहाली
विद्यालय के नोटिस बोर्ड पर सूचना चिपका कर 56 शिक्षक- शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की हो गयी नियुक्ति
ना अखबार में विज्ञापन और ना ही सरकारी प्रावधान का पालन, फर्जी बहाली बाद 22.50 लाख वेतन पर फूंके
तत्कालीन व वर्तमान डीइओ भी जांच के घेरे में
पूरे प्रकरण में तत्कालीन डीइओ डॉ ब्रज किशोर सिंह, वर्तमान डीइओ सुरेश प्रसाद साहु, तत्कालीन डीपीओ स्थापना की भूमिका की भी जांच हो सकती है. पूरे मामले में तत्कालीन डीपीओ स्थापना द्वारा दिये गये विद्यालय का निरीक्षण प्रतिवेदन सहित पूर्व डीइओ डॉ ब्रज किशोर सिंह द्वारा वेतन भुगतान का आदेश देने से जुड़े पत्र उनके गले की हड्डी बन सकती है. नियम कायदे को ताक पर रख कर पिछले दरवाजे से बहाली के बाद फर्जीवाड़े के सहारे वेतन भुगतान मामले में डीइओ के पत्रांक व डीपीओ स्थापना के पत्रांक से जारी पत्र भी सवालों के घेरे में है. बताया जाता है कि फर्जीवाड़ा के आधार पर पद सृजन, फिर पद सृजन का शिक्षा निदेशक से अनुमोदन लिये बिना 56 कर्मियों की बहाली कर ली गयी. इतना ही नहीं इसके बाद शिक्षा निदेशक से नियुक्ति के बिना अनुमोदन के ही समायोजन कर इन फर्जी कर्मचारियों के वेतन पर लाखों रुपये फूंक डाले.
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