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सीएम करेंगे मां कात्यायनी महोत्सव का उद्घाटन

प्रेसवार्ता में मौजूद एसडीओ व अन्य. खगाड़िया : आगामी 12 जनवरी से मां कात्यायनी महोत्सव शुरू होगी. महोत्सव को उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चेतना के दौरान संसारपुर में करेंगे. मां कातयायनी महोत्सव समिति के अध्यक्ष सह एसडीओ शिव कुमार शैव ने प्रेसवार्ता कर बताया कि पहली बार राजकीय समारोह के रूप में मां कात्यायनी महोत्सव […]

प्रेसवार्ता में मौजूद एसडीओ व अन्य.

खगाड़िया : आगामी 12 जनवरी से मां कात्यायनी महोत्सव शुरू होगी. महोत्सव को उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चेतना के दौरान संसारपुर में करेंगे. मां कातयायनी महोत्सव समिति के अध्यक्ष सह एसडीओ शिव कुमार शैव ने प्रेसवार्ता कर बताया कि पहली बार राजकीय समारोह के रूप में मां कात्यायनी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. डीएम व एसपी के प्रयास से सरकार द्वारा महोत्सव आयोजन के लिए तीन लाख रुपये का आवंटन दिया गया है. महोत्सव के लिए आयोजन समिति बनायी गयी है. 21 सदस्यीय आयोजन समिति में गोगरी अनुमंडल पदाधिकारी सहित विभिन्न लोगों को रखा गया है.
उन्होंने बताया कि महोत्सव आयोजन का मुख्य उद्देश्य जिले की पहचान धार्मिक एवं पर्यटन के क्षेत्र में बिहार के मानचित्र पर स्थापित करना है. उन्होंने कहा कि चेतना सभा से ही कात्यायनी महोत्सव का औपचारिक घोषणा किये जाने की संभावना है. 13 जनवरी को स्कूली बच्चों के द्वारा चित्रकला की प्रतियोगिता जेएनकेटी इंटर विद्यालय में होगी. जबकि 14 जनवरी को संध्या 4 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. 4 से 6.30 बजे तक स्थानीय कलाकार द्वारा तथा 7 बजे से 10 बजे रात्रि तक कला एवं संस्कृति विभाग द्वारा भेजे गए कलाकार द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम होगी.
यह है शक्तिपीठ : मां कात्यायनी शक्तिपीठ 52 शक्तिपीठ में एक है. इस शक्तिपीठ में मां का दाहिना हाथ गिरा है. मां कात्यायनी के लोकगीत (अहरैन) में उल्लेखित है कि चौथम राज के राजा मंगल सिंह और श्रीपत महाराज दोनों मित्र थे और माता कात्यायनी इन्हीं दोनों व्यक्तियों को स्वपन में दर्शन देकर अपने अस्तित्व का ज्ञान दिया. कहा जता है मां कात्यायनी ऋषि के पुत्री के रूप में जन्म लेकर मां कात्यायनी कहलायी. देवी पुराण में दुर्गा के जिन नौ रूपों का वर्णन किया गया है. उसमें मां कात्यायनी दुर्गा का छठा रूप है.
धार्मिक मान्यताएं
मां कात्यायनी शक्तिपीठ में जितने भी भक्तगण अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं. उनकी मनोकाकामएं पूर्ण होती है. मां कात्यायनी शक्तिपीठ में अन्य शक्तिपीठ के पूजन परम्पराओं से अलग पान पूजा परंपरा रही है. जो अन्य शक्तिपीठों में देखने को नहीं मिलती है. मां कात्यायनी शक्तिपीठ पशुपालक भक्तजनों के लिए भारत का सबसे प्रमुख तीर्थ स्थल है. यहां दुधारु पशु के नये बच्चों को जन्म देने के उपरांत सर्व प्रथम दूध मां के चरण में चढ़ाया जाता है. किसी भी दुधारू पशु के बीमार पड़ने पर मां के दरबार में पूजन के पश्चात उस दुधारु पशु की बीमारी ठीक हो जाती है.
जाने का मार्ग
रेलमार्ग सबसे सुगम एवं सुरक्षित मार्ग है. रेलमार्ग के लिए मानसी जंकशन से सहरसा वालही रेल मार्ग में धमाराह घाट रेलवे स्टेशन से उत्तर कर मंदिर जाना है. मां कात्यायनी महोत्सव समिति के अध्यक्ष डीएम, सदस्य अनुमंडल पदाधिकारी खगड़िया व गोगरी, एएसपी, अभियान खगड़िया, सहायक वाणिज्यकर पदाधिकारी खगड़िया, सुनील छैला बिहारी, रामपूजन सिंह, प्राचार्य कोसी कालेज खगड़िया, चन्द्रमणि सिंह प्राचार्य डीएवी खगड़िया, विकास कुमार सिंह अधिवक्ता, मानवेन्द्र कुमार मन्ना, पप्पु चौधरी, डाॅ प्रेम नागर पाण्डेया, डाॅ संजय कुमार, गोगरी, डाॅ जैनेन्द्र कुमार नाहर, डाॅ बीके विद्यार्थी, डाॅ आदिल निहाल, नीतिन जायसवाल, अभिषेक राज, एम अहमद, कुमार रंजन, मधुराज, अरूण कुमार यादव, युवराज शंभू आदि शामिल हैं.

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