जिले में तीन दर्जन से अधिक अल्ट्रासाउंड सेंटर का संचालन हो रहा है, विभाग इन अवैध संचालकों के प्रति नरम बनी हुई है.
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तकनीशियनों की है घोर कमी अनदेखी. अल्ट्रासाउंड सेंटर में रोज टूट रहे सरकारी नियम
जिले में तीन दर्जन से अधिक अल्ट्रासाउंड सेंटर का संचालन हो रहा है, विभाग इन अवैध संचालकों के प्रति नरम बनी हुई है. खगड़िया : जिले में सरकारी मापदंड को ताक पर रख कर अल्ट्रासाउंड का अवैध कारोबार फल फूल रहा है. संचालक फर्जी नाम व पते के आधार पर सेंटर का संचालन वर्षों से […]
खगड़िया : जिले में सरकारी मापदंड को ताक पर रख कर अल्ट्रासाउंड का अवैध कारोबार फल फूल रहा है. संचालक फर्जी नाम व पते के आधार पर सेंटर का संचालन वर्षों से करते आ रहे हैं. शहरी इलाकों के अलावा गोगरी अनुमंडल के जमालपुर, महेशखूंट, परबत्ता आदि स्थानों में लगभग तीन दर्जन से अधिक अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालित हैं,
जबकि रेडियोलॉजिस्ट की संख्या गिनती की है. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि इन सेंटरों का संचालन कैसे हो रहा है. आखिर क्या वजह है कि विभाग इन अवैध संचालकों के प्रति नरम बनी हुई है. पूछने पर सिविल सर्जन डॉ अरुण कुमार सिंह कहते हैं कि टीम का गठन हो गया है. जल्द ही सभी अल्ट्रासाउंड सेंटरों की जांच होगी.
अप्रशिक्षित तकनीशियनों से लिया जाता है काम
अब सवाल यह है कि बिना रेडियोलॉजिस्ट के मानक विहीन सेंटर का संचालन किस प्रकार हो रहा है. जानकार बताते हैं कि विभागीय सांठ-गांठ से ऐसे अल्ट्रासाउंड सेंटर आबाद है. इन मानक विहीन सेंटरों में तकनीशियनों की घोर कमी है. जानकार बताते है कि इन सेंटरों में जो आज तकनीशियन बन कर जांच कर रहे हैं, वे कल तक किसी नर्सिंग होम में कंपाउंडर थे, या फिर किसी अल्ट्रासाउंड सेंटर का पुरजा काटने का काम किया करता था. कई मामलों में ऐसा भी देखा गया है कि मरीज की बीमारी कुछ होती है और रिपोर्ट कुछ और दिया जाता है. इन्हीं अधकचरे रिपोर्ट पर इलाज शुरू होता है, जो मरीजों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालता है.
पीएनडीटी एक्ट का हो रहा उल्लंघन
जांच के समय एफ फार्म भरा जाना चाहिए, जिसे प्रत्येक माह की पांच तारीख तक सीएमओ कार्यालय में जमा कराना होता है. उस फार्म में जांच कराने वाले का नाम,पता, उम्र,फोन नंबर,बच्चों की संख्या एवं लिंग नहीं जांच करने का आश्वासन डॉक्टर द्वारा दिया जाता है. एफ फार्म को निर्धारित तारीख तक जमा नहीं करने पर पीएनडीटी एक्ट के अनुच्छेद के तहत तीन माह की सजा एवं दस हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है. जांच सेंटर में जांच के समय स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ एवं प्रशिक्षित तकनीशियन, शौचालय, निर्धारित दर तालिका, चिकित्सक का नाम व योग्यता बोर्ड, पीसी, पीएनडीटी एक्ट पुस्तिका एवं जांच कराने का संधारण पंजी होना आवश्यक है.
तंग कमरे में होती है जांच
अल्ट्रासाउंड के धंधे से जुड़े लोग जैसे तैसे अल्ट्रासाउंड मशीन खरीद कर इस धंधे से जुड़ जाते हैं. मानक विहीन अल्ट्रासाउंड सेंटरों में प्राय: अधिकांश सेंटरों में पीएनडीटी एक्ट का खुल्लम खुल्ला मजाक उड़ाया जाता है. तंग कमरे तथा प्लाइवुड की दीवारों के बीच मरीजों का स्कैन किया जाता है. जिससे मरीज समेत आसपास के लोगों में अल्ट्रावॉयलेट किरणें आसानी से पहुंच सकती है. जो आम लोगों के लिए काफी खतरनाक माना जाता है.
ऐसे अल्ट्रासाउंड सेंटरों व संचालकों पर कार्रवाई की योजना तैयार है. सभी सेंटरों की जांच होगी. इस धंधे से जुड़े अवांछित लोगों पर कार्रवाई भी की जायेगी.
डॉ अरुण कुमार सिंह, सिविल सर्जन
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