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खाद-बीज दुकानों पर हजार व पांच सौ के नोट चलाने की मांग

गोगरी : किसानों ने मांग की है कि जिस तरह सरकार ने पेट्रोल पंप और अस्पतालों में पुराने नोट चलाने की छूट पूर्व में दिया हुआ था. उसी तरह किसानों को भी खाद-बीज की दुकानों पर 500 व 1000 रुपए के नोट चलाने की छूट दी जाए. गोगरी प्रखंड के राटन निवासी किसान एवं नेता […]

गोगरी : किसानों ने मांग की है कि जिस तरह सरकार ने पेट्रोल पंप और अस्पतालों में पुराने नोट चलाने की छूट पूर्व में दिया हुआ था. उसी तरह किसानों को भी खाद-बीज की दुकानों पर 500 व 1000 रुपए के नोट चलाने की छूट दी जाए. गोगरी प्रखंड के राटन निवासी किसान एवं नेता राजो साह का कहना है कि नवंबर-दिसंबर किसान के लिए बुआई का समय है और ऐसे में 500 व 1000 रुपए के नोट बंद करने से किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

रामपुर निवासी किसान नेता सह मुखिया कृष्णानन्द यादव के मुताबिक किसानों की की आय उनकी उपज से ही होती है और ऐसे में 500 व 1000 रुपए के नोट बंद होने से उन्हें बुआई के दिनों में खाद, बीज व अन्य सामान खरीदने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. किसानों को खाद-बीज की दुकानों पर 500 व 1000 रुपये के नोट चलाने की छूट दी जाए. किसान संतोष सिंह ने बताया कि मेरे पास इतना पैसा नहीं है कि बीज खरीद सकूं. क्योंकि पुराने बड़े नोट स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं.

सरकार को हमारी मदद करने के लिए कोई रास्ता निकालना चाहिए. किसान घनश्याम गुप्ता ने बताया कि पुराने नोटों को स्वीकार तो किया ही नहीं जा रहा है बल्कि मार्केट में छोटे नोट भी नहीं मिल रहे हैं. इस कारण हम लोग खाद-बीज नहीं खरीद पा रहे हैं. हमें समझ नहीं आ रहा कि क्या करें. दूसरी तरफ सब्जी उगाने वाले छोटे किसान भी काफी परेशान हैं. किसानों का आरोप है कि नोटबंदी से उनके फसल की सही कीमत नहीं मिल रही है. बाजार में सब्जियों के भाव काफी कम हो गये हैं. जिससे उनको भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसानों के साथ-साथ व्यापारियों को भी अब भारी नुकसान का डर सताने लगा है. गोगरी व्यापर मंडल के अध्यक्ष सह पैक्स अध्यक्ष रघुवंस प्रसाद यादव का कहना है कि खरीफ की फसल के बाद प्रदेश में रबी फसलों की बुआई का सीजन शुरू हो गया है. लेकिन नकदी न होने के कारण किसानों को खाद-बीज के लिए परेशान होना पड़ रहा है. वासुदेवपुर के पैक्स अध्यक्ष गरीब दास यादव के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में बहुत कम किसानों के पास चेकबुक है. ऐसे में किसानों की समस्या को देखते हुए मजबूरन कारोबारियों को उधार खाद-बीज बेचना पड़ रहा है.

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