गोगरी रेफरल अस्पताल प्रभारी के निजी क्लिनिक में मरीज की मौत के बाद थाने में प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी है. गिरफ्तारी के डर से चिकित्सक निजी क्लिनिक बंद कर फरार हैं. इससे पहले भी कई निजी नर्सिंग होम में मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ का मामला सामने आ चुका है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की नींद नहीं खुल पायी है.
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गोगरी पीएचसी प्रभारी सह निजी क्लिनिक संचालक.
गोगरी रेफरल अस्पताल प्रभारी के निजी क्लिनिक में मरीज की मौत के बाद थाने में प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी है. गिरफ्तारी के डर से चिकित्सक निजी क्लिनिक बंद कर फरार हैं. इससे पहले भी कई निजी नर्सिंग होम में मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ का मामला सामने आ चुका है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग […]
खगड़िया : एक बार फिर निजी नर्सिंग होम के चंगुल में फंस कर एक हंसता-खेलता परिवार फिर बरबाद हो गया. गौछारी के संजय चौरसिया को क्या पता था जिस डॉक्टर के पास वह बीमारी का इलाज कराने जा रहा है वहां जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया जाता है. पूरा मामला गोगरी रेफरल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अरविंद कुमार सिन्हा के निजी नर्सिंग होम से जुड़ा हुआ है. जहां 15 नवंबर को गौछारी के संजय चौरसिया हल्का सर्दी खांसी होने पर इलाज के लिये पहुंचे थे.
इलाज के नाम पर लापरवाही के कारण संजय मौत के मुंह में चला गया. मरीज की मौत के बाद दिलासा देने की बजाय चिकित्सक ने अपने कंपाउंडर की मदद से मरीज का पुरजा सहित सारे कागजात भी छीन लिया. पूरे प्रकरण में मृतक संजय के भाई के बयान पर गोगरी थाना में प्राथमिकी (कांड संख्या (193/16) दर्ज होने के बाद मरीज का इलाज करने वाले गोगरी रेफरल अस्पताल के प्रभारी डॉ अरविंद सिन्हा अपना निजी क्लिनिक बंद कर फरार हैं. साथ ही इस मामले में अभियुक्त बनाये गये दवा दुकानदार (मुरारी) सहित कंपाउंडर भी गायब है.
खुद बाइक चला कर क्लिनिक पहुंचा था संजय
संजय के भाई सुधाकर चौरसिया ने बताया कि 15 नवंबर को सर्दी -खांसी होने पर डॉ अरविंद कुमार सिन्हा के निजी क्लिनिक में इलाज के लिये खुद बाइक चलाकर संजय (मृतक) पहुंचा था. वह चल फिर रहा था. इस बीच डॉ. अरविंद ने ब्लड जांच व एक्सरे करवाने को कहा. जो करवाने सुधाकर चौरसिया चले गये. इस बीच उनके मोबाइल पर संजय का फोन आया अस्पताल जल्दी आइये. वह भागा-भागा क्लिनिक में पहुंचा तो भाई को स्लाइन चढ़ाया जा रहा था. डॉक्टर अरविंद के बारे में पता करने पर जानकारी मिली कि वह गोगरी रेफरल अस्पताल चले गये हैं. इस बीच संजय के पेट में दर्द बढ़ गया. मौके पर मौजूद कंपाउंडर ने तीन-चार सूई लगायी लेकिन संजय चौरसिया पेट दर्द से छटपटाता रहा और थोड़ी ही देर में उसने दम तोड़ दिया.
बिलख रहे मासूम सिसक रहे परिजन
संजय की मौत के बाद उसके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. उसके तीन छोटे -छोटे बच्चे के सिर से पिता का साया उठ गया. जिसके बाद उसके परिवार का भरण पोषण कैसा होगा.पत्नी ललिता देवी अभी भी गुमशुम उदास हैं और रह रह कर उसके चीत्कार को सुन ग्रामीणों की आंखे भी नम हो रही है. मृतक के मासूम बेटे सुशांत (7 वर्ष), सोनू (5 वर्ष), शुभम (3 वर्ष) बिलख रहे हैं. वहीं परिजन व पत्नी की सिसकियां सुन लोग डॉक्टर को कोस रहे हैं.
मृतक संजय के भाई के बयान पर मामला दर्ज कर लिया गया है. छानबीन जारी है…जल्द ही सच सामने लाकर दोषी पाये जाने पर चिकित्सक सहित इस प्रकरण में शामिल अन्य लोगों की गिरफ्तारी की जायेगी.
विनोद कुमार सिंह, गोगरी थानाध्यक्ष.
मेरे भाई संजय (मृतक) को हल्की सर्दी व खांसी थी. 15 नवंबर को गोगरी रेफरल अस्पताल प्रभारी डॉ अरविंद कुमार सिन्हा के निजी नर्सिंग होम में इलाज के लिये वह खुद बाइक चलाकर पहुंचा था. डॉक्टर ने पानी (स्लाइन) चढ़ाया और एक दो सूई कंपाउंडर ने दिया. जिसके बाद मेरा भाई छटपटाने लगा और उसने दम तोड़ दिया. मरीज की मौत हाते ही डॉ सिन्हा ने अपने कंपाउंडर की मदद से अपने नर्सिंग होम में इलाज का पुरजा भी छीन लिया. गलत इलाज के कारण मेरे भाई की मौत हुई है. गोगरी थाना में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद डॉक्टर व कंपाउंडर सहित दवा विक्रेता फरार है.
सुधाकर चौरसिया, मृतक का भाई.
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