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वेबसाइट पर नहीं डाला जाता है एलपीसी

वेबसाइट पर नहीं डाला जाता है एलपीसी -तत्कालीन डीएम के आदेश की उड़ रही धज्जियां-मानसी में शत-प्रतिशत एलपीसी एवं शुद्धि पत्र डाला जाता है वेबसाइट पर-खगड़िया, गोगरी, चौथम, परबत्ता, अलौली व बेलदौर में अल्प मात्रा में वेबसाइट पर डाला जाता है एलपीसी एवं शुद्धि पत्र-आईटी सहायकों को सौंपी गई थी जिम्मेवारी-एक बार फिर बढ़ी स्थानीय […]

वेबसाइट पर नहीं डाला जाता है एलपीसी -तत्कालीन डीएम के आदेश की उड़ रही धज्जियां-मानसी में शत-प्रतिशत एलपीसी एवं शुद्धि पत्र डाला जाता है वेबसाइट पर-खगड़िया, गोगरी, चौथम, परबत्ता, अलौली व बेलदौर में अल्प मात्रा में वेबसाइट पर डाला जाता है एलपीसी एवं शुद्धि पत्र-आईटी सहायकों को सौंपी गई थी जिम्मेवारी-एक बार फिर बढ़ी स्थानीय लोगों की परेशानी-एलपीसी का सत्यापन के लिए अंचल सह प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाने की विवशताप्रतिनिधि, खगड़ियाजिले के विभिन्न आरटीपीएस में डीएम के उस आदेश की धज्जियां उड़ रही है, जिसमें तत्कालीन डीएम राजीव रोशन ने लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम के तहत निर्गत होने वाले एलपीसी एवं मोटेशन का शुद्धि पत्र वेबसाइट पर डालने का आदेश दिया था. हालांकि, मानसी आरटीपीएस इसका अपवाद जरूर है. जबकि, खगडि़या, बेलदौर, चौथम, गोगरी, परबत्ता व अलौली प्रखंड में एलपीसी एवं शुद्धि पत्र वेबसाइट पर अल्प मात्रा में डाला जाता है. जिसके कारण लोगों की परेशानी बढ़ गई है. मानसी इकलौता ऐसा आरटीपीएस है, जहां शत-प्रतिशत एलपीसी एवं शुद्धि पत्र नियमित रूप से ई ब्लॉक्स.बीआइएचण्एनआइसी.इन नामक वेबसाइट पर डाला जाता है. आरटीपीएस में उक्त वेबसाइट पर एलपीसी एवं शुद्धि पत्र नहीं डालने के कारण कई तरह के प्रश्न उठने लगे हैं. सत्यापन में नहीं होती थी परेशानीएलपीसी एवं शुद्धि पत्र वेबसाइट पर डालने से जिले के लोगों को सत्यापन के लिए प्रखंड सह अंचल कार्यालय का चक्कर नहीं लगाना पड़ता था. लोग घर बैठे वेबसाइट पर आसानी से यह जानकारी हासिल कर लेते थे कि एलपीसी एवं शुद्धि पत्र स्वीकृत हुआ अथवा अस्वीकृत. किंतु, अब स्थिति बदल चुकी है. एक बार फिर लोगों को कार्यालय के बाबूओं के रहमोकरम पर निर्भर रहना पड़ता है. दौड़-धूप करने के बाद लोगों को यह जानकारी मिल पाती है कि उनका एलपीसी स्वीकृत हुआ या अस्वीकृत. इतना ही नहीं बैंक कर्मियों को भी इससे काफी राहत मिली थी. बैंक कर्मी बिना अंचल कार्यालय का चक्कर लगाये यह जानकारी हासिल कर लेते थे कौन एलपीसी स्वीकृत हुआ और कौन अस्वीकृत. अनियमितता को मिला बढ़ावाएलपीसी बनने के बाद भी भी लोगों को राहत नहीं मिलती है. एलपीसी बनने के बाद इसका सत्यापन जरूरी है. बिना सत्यापन के कोई भी बैंक किसी भी आवेदक को ऋण नहीं देती है. जिसके कारण आवेदक अंचल कार्यालय के बाबूओं के आगे-पीछे करने पर मजबूर हो जाते हैं. इतना ही नहीं बिना चढ़ावा का अगर एलपीसी का सत्यापन हो जाए तो यह बहुत बड़ी बात है. सूत्रों की यदि माने तो बिना चढ़ावा के एलपीसी का सत्यापन तो होता ही नहीं है. सूत्रों का यह भी कहना है कि उक्त वेबसाइट पर एलपीसी डालने से अनियमितता पर काफी हद तक विराम लगा था. किंतु, क्षणिक सुख के बाद अब लोग पुराने दिनों में लौट आये हैं।.आईटी सहायक को मिली थी जिम्मेवारीएलपीसी एवं शुद्धि पत्र वेबसाइट पर डालने की जिम्मेवारी आईटी सहायकों को सौंपी गई थी. शुरूआती दौर में एलपीसी एवं शुद्धि पत्र वेबसाइट पर डाला जा रहा था. किंतु, अब सिर्फ कारम पूरा किया जाता है. आये दिन आरटीपीएस काउंटर पर लोग यह जानने के लिए उतावला रहते हैं कि एलपीसी या शुद्धि पत्र स्वीकृत हुआ अथवा अस्वीकृत. डीएम से उम्मीदस्थानीय लोगों को डीएम साकेत कुमार ने यह उम्मीद है कि एलपीसी एवं शुद्धि पत्र पुन: वेबसाइट पर डालने की प्रक्रिया आरंभ होगी. कई लोगों का यह मानना है कि वेबसाइट पर एलपीसी एवं शुद्धि पत्र डालने से आवेदकों को शारीरिक परेशानियों से छुटकारा मिला था. शोषण-दोहण पर भी काफी हद तक विराम लगा था. किंतु, हाल के दिनों में एक बार फिर लोगों की परेशानी बढ़ गई है.

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